कोरोना संकट: जुनूनी लोगों की पहल, जॉब के साथ ऑनलाइन टीचिंग से संवार रहे बच्चों का भविष्य
ऑनलाइन क्लासेज लेने वाले ये लोग शिक्षा के अलावा अन्य पेशेवर क्षेत्रों से जुड़े हैं। उन्होंने अपनी व्यस्त दिनचर्या से बच्चों को पढ़ाने उन्हें स्किल्ड बनाने का फैसला लिया है।
नई दिल्ली, [अंशु सिंह]। सरकार शिक्षा व्यवस्था को पटरी पर लाने की कोशिश में जुटी है। वहीं, कुछ जुनूनी युवा व पेशेवर लोग ऑनलाइन माध्यम से स्टूडेंट्स से कनेक्ट कर रहे हैं। उनका मार्गदर्शन कर रहे हैं, ताकि पढ़ाई की लय बनी रही है।
कोविड 19 ने देश की अर्थव्यवस्था से लेकर पूरी शिक्षा व्यवस्था को हिला कर रख दिया है। सरकार तेजी से इसे पटरी पर लाने की कोशिशों में जुटी है। वहीं, सामाजिक स्तर पर भी अनेक प्रयास हो रहे हैं। लॉकडाउन के कारण घरों में कैद लोग अपने ज्ञान और हुनर से बच्चों-किशोरों-युवाओं की मदद कर रहे हैं। ऑनलाइन क्लासेज लेने वाले ये लोग शिक्षा के अलावा अन्य पेशेवर क्षेत्रों से जुड़े हैं। लेकिन वक्त की मांग को देखते हुए उन्होंने अपनी व्यस्त दिनचर्या से बच्चों को पढ़ाने, उन्हें स्किल्ड बनाने का फैसला लिया है।
ट्रैवलर से बनीं शिक्षक
सुकन्या नंगकुमार पेशे से ट्रैवलर एवं उद्यमी हैं। वैश्विक महामारी से पहले उनका अधिकांश समय देश-दुनिया घूमने में बीतता था। लेकिन इस समय वे उत्तराखंड स्थित अपने घर में बच्चों-परिवार के साथ क्वालिटी समय बिता रही हैं और साथ ही साथ स्पेशल नीड वाले बच्चों को भिन्न-भिन्न प्रकार के आर्ट-क्राफ्ट या एक्टिविटी में इंगेज कर रही हैं। साथ ही उनके पैरेंट्स की काउंसलिंग भी कर रही हैं कि कैसे वे घरों में बंद इन बच्चों की देखभाल करें। दरअसल, सुकन्या एक सर्टिफाइड स्पेशल एजुकेटर रही हैं। दस से अधिक वर्षों का टीचिंग एक्सपीरियंस है। लेकिन घूमने के शौक के कारण यह पेशा पीछे छूट गया था, जिसमें अब वे दोबारा से सक्रिय हो गई हैं एक बिल्कुल नए अंदाज में।
शुरू की ऑनलाइन मैथ्स क्लास
एचआर मैनेजर अंकित भाटिया एक निजी अस्पताल में कार्यरत हैं। इन दिनों इनकी व्यस्तता काफी बढ़ी हुई भी है। बावजूद इसके, अंकित ने बच्चों को अपने फुर्सत के क्षणों में कुछ सिखाने का फैसला लिया। वे बताते हैं, मेरी बचपन से मैथ्स में दिलचस्पी रही है। घर में या दोस्तों को जब कभी जरूरत पड़ती थी, तो मैं उनके सवालों का हल निकाला करता था। इस लॉकडाउन में एकदम से खयाल आया कि क्यों न आम बच्चों के लिए कोई ऑनलाइन क्लास शुरू करूं और फिर हो गई शुरुआत। ये अपने फेसबुक पेज पर क्लासेज की जानकारी शेयर करते हैं। यहां कोई भी रजिस्ट्रेशन कराकर अपने क्वैश्चंस का आंसर प्राप्त कर सकता है।
तेजी से बढ़ता ऑनलाइन एजुकेशन मार्केट
शीर्ष मार्केट रिसर्च एवं एनालिसिस कंपनी वेलोसिटी एमआर के एक अध्ययन के अनुसार, आज करीब 72 प्रतिशत भारतीय पारंपरिक क्लासेज की जगह ऑनलाइन या ई-लर्निंग टूल्स को प्राथमिकता दे रहे हैं। इससे ये भी उम्मीद जतायी जा रही है कि 2021 तक भारतीय ऑनलाइन एजुकेशन मार्केट करीब 2 बिलियन यूएस डॉलर के आसपास पहुंच जाएगा। कोविड-19 की वजह से तमाम शिक्षाकर्मी भी तकनीक को आत्मसात कर रहे हैं।
यू-ट्यूब चैनल से पहुंचे स्टूडेंट्स तक
मैं अक्सर स्कूल-कॉलेज-यूनिवर्सिटी में लेक्चर आदि देने के लिए जाता रहता हूं। मोटिवेशनल स्पीकर के तौर पर भी आमंत्रित किया जाता रहा हूं। मैंने भारत की इंटर्नल सिक्योरिटी को लेकर चुनौतियां, सिविल सेवा परीक्षा आपकी मुट्ठी में, एथिक्स, इंटिग्रिटी ऐंड एटिट्यूड जैसी कुछ किताबें भी लिखी हैं। कुछ वर्ष पहले अनएकेडमी के लिए भी वीडियो कंटेंट उपलब्ध कराए थे, जिसमें इंटर्नल सिक्योरिटी ऑफ इंडिया, सिविल सर्विस परीक्षा की तैयारी को लेकर क्लासेज थीं। ये काफी पसंद की गईं थीं। लेकिन अब तक ये सब बिखरी हुईं थीं। मुझे लगा कि इन्हें एक प्लेटफॉर्म पर लाना चाहिए और फिर मैंने हाल ही में अपना एक यू-ट्यूब चैनल शुरू किया है। जिस पेशे में मैं हूं, वहां वक्त की वैसे ही बहुत किल्लत होती है। इस समय जिम्मेदारियां और भी बढ़ी हुई हैं। लेकिन इससे उन बच्चों-युवाओं की पढ़ाई, उनकी परीक्षा की तैयारियों में कोई कमी नहीं आनी चाहिए। इसलिए कोशिश रहेगी कि आने वाले दिनों में अपने चैनल पर ज्यादा से ज्यादा वीडियोज शेयर कर सकूं। मैं मानता हूं कि ऑनलाइन माध्यम के आने से कंटेंट क्रिएट करना और उसकी शेयरिंग कहीं अधिक आसान हो गई है। इससे मुझ जैसे लोगों को किसी संस्था आदि में जाने की जरूरत नहीं। वीडियो कंटेंट के जरिये अधिक से अधिक युवाओं तक पहुंचा जा सकता है। उनकी मदद की जा सकती है।
-अशोक कुमार, डीजी (कानून-व्यवस्था), उत्तराखंड
दिव्यांगों के लिए ऑनलाइन क्लास
एक महीने से ज्यादा हो गए हैं घर में रहते हुए। सारी जिम्मेदारियां निपटाने के बाद भी काफी समय बच जा रहा था, तो मैंने सोचा कि क्यों न अपनी विशेषज्ञता से स्पेशल बच्चों (मानसिक रूप से दिव्यांग) की मदद करूं, जो घर में बंद से हो गए हैं, जबकि उन्हें ऐसे रहने की ज्यादा आदत नहीं होती है। उन्हें नियमित रूप से स्पेशल होम्स में काउंसलिंग एवं लर्निंग एक्टिविटीज के लिए ले जाना पड़ता है, जो इस समय पूरी तरह बंद है। उनका रूटीन पूरी तरह बदल गया है। इसलिए मैं फेसबुक के जरिये इन बच्चों को फ्री में गाइड करती हूं। उन्हें बताती हूं कि समय का कैसे सदुपयोग करें। उन्हें तमाम एक्टिविटीज बताती हूं। बच्चों के अलावा उनके पैरेंट्स की भी काउंसलिंग करती हूं, ताकि वे स्थिति को सकारात्मक होकर हैंडल कर सकें।
-सुकन्या नंगकुमार, ट्रैवलर एवं स्पेशल एजुकेटर
बच्चों के लिए ऑनलाइन कोडिंग क्लास
मेरी पृष्ठभूमि इंजीनियरिंग की है। आइटी में बीटेक किया है। लेकिन 17 साल की उम्र से पढ़ाने का शौक रहा है। इस लॉकडाउन पीरियड में मैंने यूं ही ट्रायल के तौर पर बच्चों के लिए ऑनलाइन कोडिंग क्लास शुरू की। इसका काफी अच्छा रिस्पॉन्स मिला। पैरेंट्स को यह सुविधाजनक लगता है, क्योंकि इसके लिए कहीं जाने की जरूरत नहीं पड़ती। इस समय मुंबई के अलावा दिल्ली से भी बच्चों ने वीकेंड्स पर होने वाली इन क्लासेज को ज्वाइन कर रखा है। इनमें साढ़े चार साल से लेकर 14 वर्ष की उम्र के बच्चे कोडिंग सीख रहे हैं। इनमें कुछ तो बहुत जल्दी बेसिक लेवल को पार कर एडवांस लेवल तक पहुंच गए हैं। वैसे, मैं बच्चों पर किसी प्रकार का दबाव नहीं डालती। वे खेल-खेल में, मजे में जितना सीख सकें, उतना अच्छा। इसलिए सेशन का समय भी एक घंटे का ही रखा है।
-शीतल गांधी, कोडिंग टीचर, मुंबई
ऑनलाइन क्लास के लिए ये हैं जरूरी
- किसी भी एक सब्जेक्ट में हो विशेषज्ञता-शुरुआत में किसी एक ऑनलाइन ट्यूशन साइट के साथ जुड़कर काम करना अच्छा रहेगा।
- खुद से शुरू करना चाहते हों, तो पहले फ्लायर या वर्ड ऑफ माउथ के जरिए थोड़ा विज्ञापन करें
- फेसबुक एवं अन्य सोशल साइट्स पर अपना पेज बना सकते हैं।
- ऑनलाइन क्लासेज के लिए कंप्यूटर/लैपटॉप होना जरूरी है
- इंटरनेट कनेक्शन के साथ लाइव चैट की सुविधा भी हो