केरल के शिक्षक ने राष्ट्रपति कार्यालय को भेजा पत्र, सिटिजनशिप एजुकेशन को बढ़ावा देने के लिए कॉन्स्टीट्यूशन क्लब शुरू करने का किया अनुरोध
एक शिक्षक के रूप में पूरे भारत में यात्रा करने वाले बीनू ने कहा कि स्टूडेंट्स को बहुत कम उम्र में संवैधानिक मूल्यों को सिखाने की जरूरत है और सबसे अच्छा तरीका स्कूलों में सिटिजनशिप एजुकेशन को शामिल करना और इसे पाठ्यक्रम में लाना है।
स्टूडेंट्स के बीच सिटिजनशिप एजुकेशन को बढ़ावा देने की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए केरल के एक शिक्षक ने देश के राष्ट्रपति से स्कूलों में (कॉन्स्टीट्यूशन क्लब) संवैधानिक क्लब शुरू करने का अनुरोध किया है। केरल में स्थित कोट्टायम के एक 40 वर्षीय शिक्षक बीनू पीजी ने इस संबंध में पहले ही राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान को पत्र भेजा है और राजभवन ने उनके अनुरोध को मार्च 2020 में भारत के राष्ट्रपति कार्यालय को भेज दिया है। बीनू को पूरी उम्मीद है कि इसे लेकर सरकार द्वारा एक सकारात्मक निर्णय लिया जाएगा।
एक शिक्षक के रूप में पूरे भारत में यात्रा करने वाले बीनू ने कहा कि स्टूडेंट्स को बहुत कम उम्र में संवैधानिक मूल्यों को सिखाने की जरूरत है और सबसे अच्छा तरीका स्कूलों में नागरिकता की शिक्षा को शामिल करना और इसे पाठ्यक्रम में लाना है। उन्होंने कहा कि जब भारत अपनी आजादी की 75वीं वर्षगांठ मना रहा है, यह शिक्षा के क्षेत्र में इस तरह के ऐतिहासिक कदम को लागू करने का आदर्श समय होगा।
बीनू ने कहा कि संविधान देश का सर्वोच्च कानून है। यह सिर्फ एक किताब नहीं है। इसमें लिखी बातें और इसके द्वारा बनाए गए मूल्य देश को भारत बनाते हैं। हालांकि, दुख की बात है कि कई युवा पीढ़ी को संवैधानिक और नागरिकता के मूल्यों के बारे में कोई जानकारी नहीं है। बीनू ने अपने बारे में बताया कि वे लगभग 10 वर्षों से संविधान पर कक्षाएं ले रहे हैं और सभी छात्रों को संविधान की शिक्षा दी जानी चाहिए। इससे उन्हें कानून का पालन करने वाले बेहतर नागरिक बनने में मदद मिलेगी। बीनू लगभग 15 वर्षों से एक शिक्षक के तौर पर अपना योगदान दे रहे हैं और केरल में राष्ट्रीय सेवा योजना के परियोजना अधिकारी के रूप में भी कार्य कर चुके हैं। उन्होंने वाराणसी में भी अंग्रेजी शिक्षक के तौर पर अपना योगदान दिया है।
शिक्षक बीनू पीजी ने कहा कि कॉन्स्टीट्यूशन क्लब का उद्देश्य छात्र-छात्राओं की सामाजिक गतिविधियों में भाग लेने और संवैधानिक साक्षरता को बढ़ावा देने की क्षमता को विकसित करना है। यह स्टूडेंट्स को विचारशील नागरिकों के रूप में विकसित होने में सहयोग करेगा और इस तरह से लोकतंत्र को भी मजबूत करेगा। यह निष्क्रिय नागरिकों को सक्रिय नागरिकों में बदल देगा। संवैधानिक क्लब के अलावा, बीनू ने राज्यपाल को लिखे अपने पत्र में सरकार से बी एन राव के योगदानों को उजागर करने के लिए आवश्यक कदम उठाने का अनुरोध किया, जो एक सिविल सेवक, न्यायविद और संवैधानिक विद्वान थे।