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हार्वर्ड की राह पर भारतीय इंस्टीट्यूट, स्पॉन्सर्ड रिसर्च से आईआईटी छात्रों को हो रहे हैं ये फायदे

किताबों पर आधारित पढ़ाई से अलग साल 2012 में भारत के कुछ संस्थानों में स्पॉन्सर्ड रिसर्च शुरू किया गया। यह रिसर्च सामान्य पीएडी से बिल्कुल अलग है।

By Rajat SinghEdited By: Published: Thu, 10 Oct 2019 02:48 PM (IST)Updated: Thu, 10 Oct 2019 03:15 PM (IST)
हार्वर्ड की राह पर भारतीय इंस्टीट्यूट, स्पॉन्सर्ड रिसर्च से आईआईटी छात्रों को हो रहे हैं ये फायदे
हार्वर्ड की राह पर भारतीय इंस्टीट्यूट, स्पॉन्सर्ड रिसर्च से आईआईटी छात्रों को हो रहे हैं ये फायदे

नई दिल्ली, जेएनएन।  इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नॉलजी, मद्रास (IIT Madras) ने स्पॉन्सर्ड रिचर्स के जरिए साल 2018-2019 में  536.54 करोड़ रुपए की कमाई की। इसके अलावा मुंबई, दिल्ली और गुवाहटी आईईटी ने भी अच्छी कमाई की है। किताबों पर आधारित पढ़ाई से अलग साल 2012 में भारत के कुछ संस्थानों में स्पॉन्सर्ड रिसर्च शुरू किया गया। यह रिसर्च सामान्य पीएचडी से बिल्कुल अलग है। इसमें विषय का चुनाव आप नहीं करते हैं। बल्कि आपको उन विषय पर रिसर्च करना होता है, जो कि मार्केट ओरिएंटेड हैं, और जिसकी जरूरत उस किसी कंपनी या एजेंसी को है, जो इस रिचर्स को स्पांसर कर रही होती है। इस तरह के रिसर्च के बल पर हॉवर्ड जैसी प्रतिष्ठित संस्थानों ने काफी नाम कमाया है। ऐसे पढ़ाई के कई सारे फायदे भी हैं..

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मार्केट की जरूरत होगी पूरी

साल 2018 में टेक महिंद्रा के सीईओ और एमडी सीपी गुरुनानी का एक बयान खूब चर्चा में आया था। जब गुरुनानी के कहा था कि 94 फीसद इंजीनियरिंग ग्रेजुएट जॉब के लिए फिट नहीं है। शिक्षा के खराब स्तर को लेकर समय-समय पर ऐसे आरोप लगते रहे हैं कि वह मार्केट की जरूरतों को पूरा नहीं करता है। वह उन्हीं घिसे पीटे किताबों पर आधारित है, जो पचासों साल से पढ़ाई जा रही है। वास्‍तव में इस नए ट्रेंड से इस स्थिति को बेहतर बनाया जा सकता है। स्पॉन्सर्ड रिसर्च से यह समस्या काफी हद तक दूर हो सकती है। इसमें कंपनियां वर्तमान जरूरतों के हिसाब यूनिवर्सिटी से रिसर्च कराती हैं। ऐसे में इन रिसर्च से कंपनियों का काम होगा और छात्र वर्तमान माहौल के हिसाब से पढ़ाई कर सकेंगे। इससे मानव संसाधन की गुणवत्ता में काफी सुधार हो सकता है।

छात्रों को मिलेगा बेहतर अवसर

स्पॉन्सर्ड रिसर्च का दूसरा फायदा है कि छात्रों को इसका लाभ मिलेगा। इसकेे तहत कंपनियों का संपर्क सीधे उन छात्रों से होता है, जो उस प्रोजेेक्ट पर काम कर रहे होते हैं। इससे छात्र पहले से ही कंपनियों की जरूरत को समझनेे लगते हैं। वहीं, कंपनियों ने उनके संबंध भी बन जातेे हैं। कुछ मामले में छात्र प्रोजेक्ट के साथ कंपनियों में जा भी सकते हैं। इसके अलावा कोर्स के बाद जब छात्र नौकरी की तलाश में होंगे, तो कंपनियां उनके काम से परिचित भी होती हैं। इसका सीधा फायदा छात्रों को मिलता है।

इंस्टीट्यूट को मिलेगी स्वायत्ता

अभी तक भारत में सभी बड़े सरकारी शिक्षा संस्थान सरकार के द्वारा दिए गए फंड पर काम करते रहे हैं। इसकी वजह से वे लगातार सरकारी दबाव में होते हैं और अपनी इच्छा के अनुसार काम नहीं कर पाते। स्पॉन्सर्ड रिसर्च से संस्थानों को भारी मात्रा में पैसा मिलता है। मद्रास आईईटी ने ऐसेे ही प्रोजेेक्ट से इस वित्त वर्ष में 536.54 करोड़ रुपए की कमाई की है। ऐसे में संस्थानों की स्वायत्ता काफी हद तक बढ़ेगी। इसका सीधा फायदा संस्थान और छात्रों को मिलेगा।

Photo Credit- Jagran Josh

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