बनना चाहते हैं तो लीडर तो फॉलो करें ये महत्वपूर्ण टिप्स
लीडरशिप आज के दौर में एक ऐसा एहसास है जो हर व्यक्ति के दिलोदिमाग में किसी न किसी रूप में होता है। यह होना भी चाहिए।
नई दिल्ली [मिलन सिन्हा]। खेल का मैदान हो, ऑफिस हो या फैक्ट्री, हर व्यक्ति की चाहत होती है कि उसे टीम लीडर की पोजीशन मिले। इसके लिए मन में कितनी ही बातें और योजनाएं होती हैं। यह ठीक नहीं है, वह ठीक नहीं है, यहां ऐसा होता तो अच्छा होता, वहां यह बदलाव किया जाता तो बढ़िया होता। काश, मैं उनकी जगह होता इत्यादि। जीवन में आगे बढ़ने की इच्छा रखने वाले अधिकतर लोगों की मानसिकता कमोबेश ऐसी ही होती है। आइए जानते हैं अगर आपको टीम लीडर का पद मिल जाए, तो आगे किन-किन बातों को अमल में लाने की जरूरत होगी...
लीडरशिप, आज के दौर में एक ऐसा एहसास है, जो हर व्यक्ति के दिलोदिमाग में किसी न किसी रूप में होता है। यह होना भी चाहिए। लेकिन, क्या उस जिम्मेदारी को निभाना उतना आसान होता है, जैसा हम सोचते हैं? सच यह है कि अपवाद को छोड़ दें तो सिर्फ इच्छा करने से इच्छित मुकाम नहीं मिल जाता। उसके लिए यथोचित प्रयास करते रहना पड़ता है। फिर वह पोजीशन मिल जाने पर भी आगे उस जिम्मेदारी को बखूबी निभाने के लिए कई बातों को साधकर चलना पड़ता है।
अपने रोल को जानें
इसके लिए सबसे पहले अपने रोल को जानने की जरूरत है, यानी आप जहां भी काम कर रहे हैं, उसके विषय में अपटूडेट सब जानकारी आपके पास हो। मसलन, अगर आप मोबाइल कंपनी के सेल्स फील्ड में हैं, तो अपनी कंपनी की सेल्स पालिसी से लेकर अपने वार्षिक, तिमाही, मासिक एवं साप्ताहिक सेल्स टारगेट से आप पूर्णत अवगत हों।
अपने टारगेट को नियत समय के भीतर पूरा ही नहीं, बल्कि उससे ज्यादा हासिल करने की आपकी कार्ययोजना और उस पर अमल करने का रोडमैप बिल्कुलक्लीयर हो। इसके प्रति सजग रहें कि आपसे आपके सीनियर्स और जूनियर्स की क्या-क्या अपेक्षाएं हैं? यह जानकार और मानकर काम करें कि प्लान करके चलने, डेलिगेट करने और सबसे काम लेने में दक्ष होने का आपके परफॉर्मेंस से सीधा और गहरा रिश्ता होता है।
अपनी टीम के बारे में जानें
आपकी टीम छोटी है या बड़ी, सभी एक लोकेशन पर हैं या अलग-अलग लोकेशन पर, इसे ध्यान में रखकर काम करना लाजिमी है। जो भी स्थिति हो, आपको टीम के सारे मेंबर्स, छोटे-बड़े सब पोजीशन वाले का नाम और काम मालूम हो तो बेहतर। टीम छोटी हो तो टीम के सभी सदस्यों की पूरी प्रोफाइल-फैमिली बैकग्राउंड से लेकर प्रोफेशनल, एजुकेशनल बैकग्राउंड तक, हो सके तो हॉबी आदि के विषय में भी जानकारी रखनी चाहिए। इससे उनके साथ प्रोफेशनल और इमोशनल रूप से जुड़े रहने के कॉमन पॉइंट्स मिल जाते हैं। इतना ही नहीं, टीम में कौन, किस फील्ड में ज्यादा दक्ष है और कौन थोड़ा कम, कौन एक्स्ट्रा टाइम काम कर सकता है और कौन चाहकर भी कई जायज कारणों से नहीं कर सकता है। अच्छे लीडर को अपने टीम मेंबर्स की खूबियों और कमियों दोनों की पूरी जानकारी होती है।
काम का नॉलेज जरूरी
टीम लीडर को अपनी टीम द्वारा किए जाने वाले हर छोटे-बड़े काम की बुनियादी समझ तथा जानकारी होनी चाहिए। कहते हैं न कि नॉलेज इज पावर। इसके बहुत सारे फायदे हैं। किसी कार्य विशेष को करने में लगने वाले न्यूनतम और अधिकतम समय का पता होता है। इससे उस कार्य विशेष से जुड़े लक्ष्य को पूरा करने में कितना वक्त लगेगा, यह तय कर पाना आसान हो जाता है। इतना ही नहीं, किसी आकस्मिक घटना-दुर्घटना के वक्त कार्य बाधित नहीं होता और टीम बिना डरे-सहमे सामान्य रूप से कार्य संपादित कर पाती है।
सदा रहें तत्पर
जब भी कोई बड़ा और नया काम शुरू करना हो, उस समय टीम के सभी सदस्यों को मोटिवेट करने, उनके साथ मजबूती से खड़ा होने और उन्हें जरूरी मार्गदर्शन देना बेहतर होता है। इसका मतलब यह नहीं कि लीडर छोटी-छोटी बातों में हस्तक्षेप करे। इरादा सिर्फ टीम को आगे बढ़ने के लिए सब तरह से प्रेरित करना होता है। वह अपने सहकर्मी के अच्छे काम की प्रशंसा सार्वजानिक रूप से करता है और गलती करने पर उसकी अकेले में काउंसलिंग करता है। सीखना और सिखाना सच्चे लीडर की खासियत होती है।
खुद आगे आकर करें लीड जब भी कोई ऐसा काम करना हो जिसे करना जरूरी हो, लेकिन उसमें अपेक्षाकृत जोखिम ज्यादा हो या उसे आगे बढ़कर करने में अतिरिक्त साहस की जरूरत हो, तब लीडर को बेझिझक आगे आकर टीम को लीड करना चाहिए। ऐसा करने पर टीम के सदस्यों में पर्याप्त ऊर्जा और उत्साह का संचार होता है। पूरी टीम का मनोबल बढ़ता है। खास तौर से सेकंड लाइन लीडर्स को बहुत प्रेरणा मिलती है। दरअसल, टीम लीडर असफलता से नहीं डरता। वह तो बस हर काम को पूरी प्लानिंग के साथ निष्ठापूर्वक निष्पादित करने में विश्वास करता है।
अच्छा लीडर बातों का बादशाह नहीं, बल्कि कर्मठ कर्मयोगी होता है। वह जो कहता है, करता है। सोच-विचार-परामर्श के बाद निर्णय लेता है और उस पर कायम भी रहता है। वह मसला नहीं खड़ा करता, बल्कि छोटे-बड़े सभी मसलों का हल निकालता है और सबके सामने मिसाल कायम करता है। जॉन क्विंसी एडम्स कहते हैं, ‘अगर आपके एक्शन दूसरों को ज्यादा सपने देखने, ज्यादा सीखने, ज्यादा काम करने और ज्यादा विकास करने को प्रेरित करते हैं, तो आप सचमुच एक लीडर हैं।
(लेखक एक मोटिवेशनल स्पीकर हैं।)