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आलोचनाओं से ना हों आहत, खुद जांचें अपनी गलती और आगे बढ़ें

संयमी व्यक्ति आलोचना का नकारात्मक प्रभाव अपने ऊपर नहीं पड़ने देता। वह देखता है कि उसकी आलोचना क्यों हुई।

By Neel RajputEdited By: Published: Mon, 18 Nov 2019 09:00 AM (IST)Updated: Mon, 18 Nov 2019 09:04 AM (IST)
आलोचनाओं से ना हों आहत, खुद जांचें अपनी गलती और आगे बढ़ें

नई दिल्ली [रेणु जैन]। दुनिया में एक कायदा सालों से चला आ रहा है और वह यह है कि जब भी आप कोई अलग काम करते हैं तो पहले लोग आप पर हंसते हैं, फिर आपका विरोध शुरू कर देते हैं। वैसे भी संयमी व्यक्ति आलोचना का नकारात्मक प्रभाव अपने ऊपर नहीं पड़ने देता। वह देखता है कि उसकी आलोचना क्यों हुई। तत्पश्चात वह अपनी गलती को सुधारता है और आलोचक को अपना सबसे बड़ा हितैषी मानता है। एक देश के राष्ट्राध्यक्ष ने पद संभालते ही अपने मुख्य सचिव को आदेश दिया कि वह उसके आलोचकों की लिस्ट तैयार करें।

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जिस व्यक्ति ने कभी भी चाहे थोड़ी ही सही, उसकी आलोचना की हो उसका नाम इस लिस्ट में होना चाहिए। सचिव ने तुरंत लिस्ट तैयार की। फिर उसने कहा, अब जो मेरे कट्टर आलोचक हैं, उनके नाम अलग छांट लें। सचिव ने ऐसा ही किया। फिर पूछा, अब बताइए इनके साथ कैसा सलूक किया जाए। क्या सजा दी जाए। राष्ट्राध्यक्ष ने कहा कैसी सजा। इन सभी को सम्मानपूर्वक यहां बुलाइए। मैं इन्हें अपना प्रमुख सलाहकार नियुक्त करना चाहता हूं। सचिव हैरान होकर देखता ही रह गया। तब राष्ट्राध्यक्ष ने कहा, आज जिस पद पर मैं पहुंचा हूं, उसमें इन लोगों का बड़ा योगदान है। समय-समय पर मेरी आलोचना करके यदि ये मुझे सचेत न करते तो शायद इतनी जल्दी मैं इस पद पर नहीं पहुंच पाता। तो आप भी आलोचना से कभी आहत न हों, बल्कि उसे चुनौती मानकर आगे बढ़ें। अपना आत्मनिरीक्षण करें। अपनी गलतियों को तुरंत सुधारें।

दें अपना बेस्ट

आलोचना होने के बाद व्यक्ति को स्वाभाविक रूप से बुरा लगता है। ऐसे में अपने आपको अच्छा महसूस करने की सार्थक पहल भी आपको ही करनी पड़ेगी। याद रखें हम अपनी आलोचना को शांति के साथ स्वीकार करते हैं, तभी हम बेहतर इंसान बनते हैं।

खुद जांचें गलती कहां हुई

कोई भी इंसान परफेक्ट नहीं होता। गलतियां सबसे होती हैं। हम उन गलतियों से सीख कर खुद को बेहतर बनाएं। कहा गया है कि असफलता ही व्यक्ति की सबसे बड़ी शिक्षक होती है। भूल जाएं बेमतलब आलोचनाओं को यदि कोई बेमतलब आपकी आलोचना कर रहा हो, तो उसे भूलने में ही बेहतरी है। बेमतलब की आलोचनाओं को अपने व्यक्तित्व पर हावी न होने दें। हेनरी फोर्ड को जिंदगी में कई बार कुटिल आलोचनाओं का शिकार होना पड़ा, लेकिन उन्होंने कभी इसकी परवाह नहीं की, बल्कि उन्होंने फोर्ड मोटर कंपनी की नींव रखी। उन्होंने सिर्फ अपने कस्टमर्स की बात सुनी और उनके सुझाव से फोर्ड ने ऑटोमोबाइल्स के क्षेत्र में क्रांति ला दी। उन्होंने सामान्य इंसान को भी कार तक पहुंचा दिया।


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