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अगले शैक्षणिक सत्र से पांच सैनिक स्कूलों में प्रवेश ले सकेंगी लड़कियां, सरकार का बड़ा फैसला

केंद्र सरकार ने 2020-21 शैक्षणिक सत्र से पांच सैनिक स्कूलों में लड़कियों के प्रवेश को भी मंजूरी दे दी है। एक पायलट प्रोजेक्ट के बाद यह फैसला लिया गया है।

By TaniskEdited By: Published: Mon, 09 Dec 2019 08:07 PM (IST)Updated: Mon, 09 Dec 2019 08:07 PM (IST)
अगले शैक्षणिक सत्र से पांच सैनिक स्कूलों में प्रवेश ले सकेंगी लड़कियां, सरकार का बड़ा फैसला
अगले शैक्षणिक सत्र से पांच सैनिक स्कूलों में प्रवेश ले सकेंगी लड़कियां, सरकार का बड़ा फैसला

नई दिल्ली, प्रेट्र। केंद्र सरकार ने 2020-21 शैक्षणिक सत्र से पांच सैनिक स्कूलों में लड़कियों के प्रवेश को भी मंजूरी दे दी है। एक पायलट प्रोजेक्ट के बाद यह फैसला लिया गया है। इसके बाद सभी 31 सैनिक स्कूलों में लड़कियां प्रवेश पा सकेंगी जिसके लिए समयबद्ध कार्ययोजना लागू की जाएगी।

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रक्षा राज्यमंत्री श्रीपद नाइक ने सोमवार को राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान कहा कि सरकार ने पांच सैनिक स्कूलों कालिकिरी (आंध्र प्रदेश), कोडागु (कर्नाटक), घोड़ाखाल (उत्तराखंड), चंद्रपुर (महाराष्ट्र) और बीजापुर (कर्नाटक) में शैक्षणिक सत्र 2020-21 के लिए लड़कियों के प्रवेश को मंजूरी दी है।

परियोजना की सफलता के बाद सरकार का फैसला

उन्होंने कहा, 'पायलट परियोजना के तहत मिजोरम के चिंगचिप स्थित सैनिक स्कूल में 2018-19 सत्र से लड़कियों की शिक्षा शुरू की गई थी। परियोजना की सफलता के बाद सरकार ने अन्य सैनिक स्कूलों में लड़कियों के प्रवेश का फैसला किया।'

10 फीसद आरक्षण का प्रावधान

एक पूरक प्रश्न के जवाब में मंत्री ने कहा कि देश के सभी 31 सैनिक स्कूलों में लड़कियां प्रवेश प्राप्त कर सकेंगी। इसके लिए समयबद्ध कार्ययोजना लागू की जाएगी। एक अन्य पूरक प्रश्न के जवाब में नाइक ने कहा कि सरकार ने ऐसे स्कूलों में लड़कियों के लिए 10 फीसद आरक्षण का प्रावधान किया है। एक अन्य सवाल के जवाब में मंत्री ने कहा कि यदि कोई राज्य सैनिक स्कूल की जरूरत समझते हैं तो वह केंद्र के पास अपना प्रस्ताव भेज सकते हैं।

शिक्षा ऋण माफ करने का कोई प्रस्ताव नहीं

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि शिक्षा ऋण माफ करने का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। लोकसभा में एक लिखित प्रश्न के उत्तर में वित्त मंत्री ने यह जानकारी दी। उन्होंने यह भी कहा कि कर्ज अदायगी के लिए बैंकों की ओर से दबाव बनाए जाने के कारण किसी छात्र के आत्महत्या करने का कोई मामला सामने नहीं आया है। सरकारी क्षेत्र के बैंकों द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, पिछले तीन साल (2016-17) से इस वर्ष मार्च तक शिक्षा कर्ज बकाया 67,685.59 करोड़ रुपये से बढ़कर सितंबर में 75,450.68 करोड़ रुपये हो गया।


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