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गरीब बच्चों की मसीहा बनीं डॉ. बर्खा, कूड़ा बीनने वाली को कराई लॉ; 6000 की संवार चुकी हैं जिदंगी

डॉ. बर्खा वर्षा जनजातियों बहरे गूंगे और कुष्ठ छात्रों के साथ काम करती हैं जो आज भी उच्च तकनीकी संचालित दुनिया में मूल अधिकारों से वंचित हैं।

By Neel RajputEdited By: Published: Mon, 21 Oct 2019 04:12 PM (IST)Updated: Mon, 21 Oct 2019 04:12 PM (IST)
गरीब बच्चों की मसीहा बनीं डॉ. बर्खा, कूड़ा बीनने वाली को कराई लॉ; 6000 की संवार चुकी हैं जिदंगी
गरीब बच्चों की मसीहा बनीं डॉ. बर्खा, कूड़ा बीनने वाली को कराई लॉ; 6000 की संवार चुकी हैं जिदंगी

नई दिल्ली [रीतिका मिश्रा]। पिछले 23 सालों से डा. बर्खा वर्षा अभिज्ञान फाउंंडेशन के जरिए आर्थिक कमजोर, बेसहारा, गरीबी में रहने वाले छोटे बच्चों को शिक्षा और स्वास्थ्य का उजाला दे रही हैं। वह आर्थिक रूप से विकसित वर्गों से छात्रों की प्रतिभा का पोषण करने के लिए कॉलेजों, विश्वविद्यालयों, गंदी बस्ती, अनाथालयों और शारीरिक रूप से अक्षम समूहों में विशेष कार्यशालाओं का आयोजन करती हैं। वो बताती हैं कि वह जनजातियों, बहरे, गूंगे और कुष्ठ छात्रों के साथ काम करती हैं जो आज भी उच्च तकनीकी संचालित दुनिया में मूल अधिकारों से वंचित हैं। इन बच्चों को वह शिक्षा दिलाती हैं जिससे उनमें स्वाभिमान की अलख जगती है।

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बर्खा बताती हैं कि अभिज्ञान द्वारा शिक्षा देने के लिए स्कूल चलाया जाता है। इसके लिए हर क्षेत्र में स्कूल की शाखा है। इसमें दिल्ली के लक्ष्मी नगर, शादीपुर, आदि इलाके भी शामिल हैं। उनके मुताबिक हर क्षेत्र के लगभग 50 गरीब बच्चे पढ़ने आते हैं। जिनमें उनको कक्षा 1 से 8 तक की पढ़ाई और कौशल विकास की शिक्षा दी जाती है क्योंकि उनके पास कोई बोर्ड की मान्यता नहीं है तो इसलिए वह नौवीं कक्षा से छात्रों को दूसरे स्कूल में पढ़ने के लिए भेजती हैं। वहीं, जब यह छात्र इंटर कर लेते हैं तो उनको उनकी इच्छा अनुसार आगे की पढ़ाई के लिए दाखिला दिलवाती हैं। वो बताती हैं कि अबतक 6 हजार बच्चों की जिंदगी को शिक्षा के माध्यम से संवार चुकी है।

उनके मुताबिक वे देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी शिक्षा को बढ़ावा दे रही हैं। इसमें श्रीलंका, भूटान, अफगानिस्तान, नेपाल और तुर्की में वंचित और विकलांग बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य पर लगातार काम किया जा रहा है। वो बताती हैं कि उनका मकसद गरीब बच्चों के जीवन स्तर, शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक उन्नति में सुधार करना है। वहीं, उन्होेंने समय-समय पर महिलाओं की सुरक्षा और सुुपोषण के लिए भी काम किया है। वह समय समय पर सुपोषण के लिए महिलाओं को आयरन और कैल्शियम की दवाई भी उपलब्ध कराती है। बर्खा बताती हैं कि उन्होंने नेपाल में ढाई साल महिला तस्करी पर काम किया है जिसमें उन्होंने 50 से ज्यादा महिलाओं को बचाया है।

बर्खा यूनेस्को की सदस्य भी हैं और दुनिया भर में शांति निर्माण और शांति अभ्यास पर काम कर रही हैं। इसके साथ ही वह शांति की संस्कृति बनाती हैं जिसमें सांस्कृतिक आदान- प्रदान के माध्यम से दुनिया भर में भारतीय शास्त्रीय संगीत और संस्कृति को बढ़ावा दिया जाता है।

कूड़ा बीनने वाली लड़की को कराई लॉ की पढ़ाई

बर्खा बताती हैं कि एक बार वह एक कूड़ा बीनने वाली बच्ची को किताब के पन्ने पलटता हुए देख रही थी। उन्होंने जब बच्ची से उसकी पढ़ाई कि इच्छा को लेकर पूछा तो बच्ची ने रोजगार का हवाला देकर मना किया। इसके बाद बर्खा ने बच्ची को कहा कि वह उसे हर दिन खाना और 10 रुपए देंगी। जिसके बाद बर्खा बच्ची को पढ़ाने लगी और उसे इंटर तक की शिक्षा दिलाई। वहीं, इंटर की पढ़ाई करने के बाद बच्ची ने कानून (लॉ) की पढ़ाई की इच्छा जताई। बर्खा ने बच्ची को लॉ कालेज में एडमीशन दिलाया। उनके मुताबिक आज वह बच्ची खुद के पैरों पर खड़ी है और स्वयं पर निर्भर है।

इन पुरस्कारों से हुई हैं सम्मानित

  • महिला सशक्तिकरण पुरस्कार 2017
  • भारत गौरव सम्मान 2017
  • राजीव गांधी एक्सीलेंस पुरस्कार 2017
  • भविष्य की महिला पुरस्कार 2018
  • इंडियन आइकान पुरस्कार 2018
  • प्राइड ऑफ इंडिया पुरस्कार 2018
  • महात्मा गांधी शांति पुरस्कार 2019
  • शाइनिंग वुमन अवार्ड 2019
  • अंतर्राष्ट्रीय व्यक्तिगत पुरस्कार 2019
  • महिला उत्थान पुरस्कार 2019
  • अंतर्राष्ट्रीय व्यक्तिगत पुरस्कार 2019

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