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करियर में मिली नाकामी से घबराएं नहीं, सबक लेकर बढ़ें आगे

हम सबको उन कार्यों के बारे में संदेह होता है जो हम पहली बार कर रहे हैं और अगर ये संदेह हमारे करियर या भविष्य के बारे में है तो चुनौतियां और बढ़ जाती हैं।

By Neel RajputEdited By: Published: Tue, 08 Oct 2019 11:22 AM (IST)Updated: Tue, 08 Oct 2019 11:22 AM (IST)
करियर में मिली नाकामी से घबराएं नहीं, सबक लेकर बढ़ें आगे
करियर में मिली नाकामी से घबराएं नहीं, सबक लेकर बढ़ें आगे

नई दिल्ली [विनीत टंडन]। बीते दिनों स्वीडन की ग्रेटा थुनबर्ग नामक लड़की ने विश्व जलवायु सम्मेलन में, जहां पूरे विश्व के नेता वैश्विक पर्यावरणीय मुद्दों का निवारण करने के लिए इकट्ठा हुए थे, अपने भाषण से तहलका मचा दिया था। ग्रेटा जो सिर्फ सोलह साल की हैं, ने अपने जोशीले भाषण में विश्व के नेताओं से सवाल किया ‘आपकी हिम्मत कैसे हुई’ और यह वीडियो इंटरनेट पर भी खूब वायरल हुआ। उसका यह शक्तिशाली भाषण पूरे विश्व में अखबारों की सुर्खियां बन चुका है। यह शब्दों और स्वतंत्र विचारों की वह शक्ति है जो हमारे पास मौजूद है।

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अपने करियर में कितनी बार हम अवसर से चूक जाते हैं, क्योंकि हम किसी चीज के लिए कभी खड़े नहीं हुए? कितनी बार हम अपनी उम्र, शिक्षा, योग्यताओं, अनुभवों और उन सभी अन्य चीजों पर, जो हमें छोटा और अधूरा महसूस करवाती हैं, सवाल करते हैं? हम सब बराबर पैदा हुए हैं। यह विचार की समानता और निडरता की भावना है जो सारा अंतर पैदा करती है। यहां नीचे कुछ ऐसी युक्तियां बताई गई हैं, जिनका हम अपने करियर और जीवन को सार्थक बनाने के लिए प्रयोग कर सकते हैं...

गलतियों से सीखिए

हम सबको उन कार्यों के बारे में संदेह होता है जो हम पहली बार कर रहे हैं और अगर ये संदेह हमारे करियर या भविष्य के बारे में है तो चुनौतियां और बढ़ जाती हैं। गाड़ी चलाने या तैराकी सीखने के पाठ की कल्पना कीजिए। प्रथम प्रयास के लिए हमें खुद को अपनी सीमाओं तक धकेलना पड़ता है और फिर कौशल, ज्ञान और बारीक परख के साथ यह अपेक्षाकृत आसान बन जाता है। मेरी जिंदगी में ऐसा समय भी आया, जब मैं सोचा करता था कि क्या मैं कभी कमा भी पाऊंगा। अब मैं विश्वास से कह सकता हूं कि यह केवल एक विचार था। अपने संदेहों पर चर्चा करने या उन्हें साझा करने में संकोच न करें। हो सकता है कि कई पहले ही वह कर चुका हो जिसकी आप योजना बना रहे हैं।

अधिक सोच-विचार से बचें

एक बदलाव लाने में क्या लगता है? यह पैसा, स्वास्थ्य या कोई अन्य चीज नहीं है। यह निडरता है। जब महात्मा गांधी ने ‘भारत छोड़ो’ आंदोलन शुरू किया था, तब यह निर्णय का वह पल था जिससे अखिल भारतीय आंदोलन की शुरुआत हुई। यदि उन्होंने इस पर सोच-विचार करके योजना बनाई होती और इससे अधिक बड़ा बनाने के हर-एक पहलू पर गौर किया होता, तो हो सकता है कि हालात अलग होते। बहुत ज्यादा सोचविचार करने में मत उलझें।

अगर आप सच्चाई का पीछा कर रहे हैं, अगर आप किसी ऐसे निमित्त का पीछा कर रहे हैं जो वैयक्तिक हितों से अधिक बड़ा है तो यह असंभव है कि आप गलत साबित होंगे। हमारे द्वारा लिए हर-एक निर्णय में वहां एक विज्ञान, एक कला और कुछ-एक अंदर की आवाज हमेशा शामिल होती है। जैसा कि महात्मा गांधी ने कहा था, ‘आप में अवश्य ही वह बदलाव होने चाहिए जो आप संसार में देखना चाहते हैं।’ हर चीज हमारी चेतना पर छा जाने से पहले एक छोटे रूप में शुरू होती है, एक साधारण तरीके से शुरू होती है।


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