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परेशानियों से निबटने में मदद करेंगी ये स्किल्स, तुरंत अपनाएं

नौकरी पाने या नौकरी को बनाए रखने या फिर औरों से आगे निकलने के लिए अपने भीतर ‘सॉल्यूशन स्किल’ यानी समस्याओं को हल करने का कौशल बढ़ाने की जरूरत है।

By Neel RajputEdited By: Published: Mon, 16 Sep 2019 05:01 PM (IST)Updated: Mon, 16 Sep 2019 05:01 PM (IST)
परेशानियों से निबटने में मदद करेंगी ये स्किल्स, तुरंत अपनाएं

नई दिल्ली [जागरण स्पोशल]। बेशक इन दिनों जॉब मार्केट में मंदी और उदासी का माहौल है, लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं हैं कि नौकरियां मिलनी बंद हो गई हैं। मंदी का माहौल पूरी दुनिया में है और भारत इससे अछूता नहीं है। ऐसे में नौकरी पाने या नौकरी को बनाए रखने या फिर औरों से आगे निकलने के लिए अपने भीतर ‘सॉल्यूशन स्किल’ यानी समस्याओं को हल करने का कौशल बढ़ाने की जरूरत है। आगे न बढ़ पाने के लिए कुढ़ते रहने की बजाय क्यों जरूरी है इस तरह का कौशल सीखना, जानें यहां....

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अगर आप किसी संस्थान में कुछ वर्षों से काम कर रहे हैं और वहां के माहौल पर करीबी नजर रखते हैं, तो आपने भी जरूर गौर किया होगा कि तमाम संस्थानों की तरह वहां भी दो तरह के लोग हैं। एक, वे लोग जो किसी भी तरह की समस्या से दूर भागते हैं और दूसरे, वे जो समस्या आने पर उसका न केवल सामना करते हैं, बल्कि अपनी सूझबूझ से औरों को और संस्थान को भी किसी भी तरह की हानि होने से बचाते हैं।

इस तरह के लोग हमेशा पॉजिटिव सोच रखते हुए उत्साहित रहते हैं और मुश्किलों-मुसीबतों या प्रतिकूल परिस्थितियों से कभी घबराते नहीं। यही कारण है कि आप उन्हें कभी भी तनाव में नहीं देखेंगे। संभवत: अपनी इसी आदत के कारण उनके चेहरे पर हर समय मुस्कान भी रहती है। जरा सोचें, इस तरह के लोगों को अगर स्पेशल इंक्रीमेंट या प्रमोशन मिलता है, तो इसमें हर्ज ही क्या है? क्या इसकी वजह से किसी का कुढ़ना या ईर्ष्या करना उचित है? हर कोई यही कहेगा कि बिल्कुल नहीं। इसकी बजाय उनकी तरह बनने की प्रेरणा लेनी चाहिए।

समस्या है, तो समाधान भी है

किसी भी ऑफिस या संस्थान में छोटी-बड़ी समस्याएं सामने आना कोई नई बात नहीं। लेकिन इसका मतलब यह कतई नहीं कि किसी समस्या के सामने आने पर हर कोई हाथ पर हाथ रखकर बैठ जाए। समस्या है, तो उसका कोई न कोई समाधान भी होगा। पर मुश्किल यह है कि ज्यादातर लोग समस्याओं के बोझ से खुद को दबा लेते हैं।

किसी काम के न होने पर वे इन समस्याओं की ही दुहाई देने लगते हैं। पर किसी भी संस्थान में सीनियर मैनेजमेंट समस्याओं का पहाड़ देखने की बजाय उससे आसानी से निपटने वाले कुशल एंप्लॉई को पसंद करता है। आप अपने शुरुआती दिनों से अब तक के समय पर खुद गौर करें तो आप यही पाएंगे कि अनुभवी और व्यापक नजरिया रखने वाले वरिष्ठ सहयोगी किस तरह किसी भी समस्या का आसानी से हल निकाल लेते हैं।

नजरिया व्यापक बनाने की जरूरत

कई बार समस्या सामने आने या समस्याओं से घिर जाने पर एंप्लॉई यह कहते हुए भी मिल जाएंगे कि उन्हें तो ऐसी परिस्थितियों का सामना करने का कोई प्रशिक्षण ही नहीं दिया गया। पर यह कहना सही सोच नहीं है। दरअसल, अक्सर ऐसी कोई ट्रेनिंग दी ही नहीं जाती।

इस तरह की स्किल तो दूसरों को ऑब्जर्व करने, लगातार सीखते रहने और पॉजिटिव सोच से ही आती है। लगातार इस सोच के साथ काम करने पर एक समय ऐसा भी आ जाता है कि कोई भी मुश्किल आपको विचलित नहीं कर पाती। आप दबाव और मुश्किलों के बीच भी बेहतर काम करने के आदी हो जाते हैं। हां, कभी-कभी मैन्युफैक्चरिंग या तकनीक से जुड़ी कंपनियां जरूर अपने कर्मियों को प्रशिक्षण के लिए भेजती हैं, लेकिन हम यहां बात कॉमनसेंस यानी सामान्य विवेक-बुद्धि पर आधारित समस्याओं से निबटने की कर रहे हैं।

खुद करें पहल 

कई बार कोई नया काम सामने आने पर कुछ लोग उससे कन्नी काटते और बचते नजर आते हैं। उन्हें यह संशय होता है कि कहीं वह काम उन्हें ही न सौंप दिया जाए। ऐसी सोच के कारण वे अपने सीनियर के सामने पड़ से भी बचते रहते हैं। अगर मजबूरी में उन्हें वह काम करना भी पड़ता है, तो उसे लेकर तमाम तरह के मीन-मेख निकालेंगे, ताकि उनसे वह काम लेकर किसी और को दे दिया जाए या फिर उसमें इतनी देर कर देंगे कि उसका औचित्य ही समाप्त हो जाए।

इस तरह की सोच रखना न आपके लिए बेहतर होता है और न ही आपके विभाग के लिए, क्योंकि इससे दोनों की ही छवि खराब होती है। बेहतर यही होगा कि कंफर्ट जोन में रहने की बजाय आप अपने नियमित कामकाज के अलावा उत्साह के साथ खुद आगे बढ़कर नई चुनौतियां लेने की पहल करें। ऐसा काम मिल जाने के बाद उस पर खुशी-खुशी काम करें। इसमें कोई मुश्किल भी आती है, तो डरने या घबराने की बजाय अपनी सीनियर्स और सहयोगियों से मदद लेते हुए आगे बढ़ें।

सकारात्मकता को बनाएं आदत

अगर आप अपने काम, दिनचर्या, रोज-रोज की डांट, शिकायतों से परेशान हैं, तो थोड़ा समय निकाल कर विचार करें कि आखिर आपके साथ ऐसा क्यों होता है? आपके साथ ऐसा जानबूझ कर किया जा रहा है या फिर आपकी कमजोरी/गलती और कार्यशैली ही इसका कारण है? आम तौर पर किसी भी संस्थान में ऐसा साजिशन नहीं किया जाता। अगर आप ऐसा सोचते हैं, तो फिर से इस पर विचार कर लें। इससे ज्यादा जरूरी है अपनी कमियों, कमजोरियों और कार्यशैली पर विचार करना। अपनी कार्यशैली सुधारें।

किसी भी काम को अनमने ढंग से करने की बजाय जो भी काम शुरू करें, उसमें पूरी रुचि लें। उसमें मन रमाएं। देखें कि कैसे उसे ज्यादा से ज्यादा बेहतर किया जा सकता है। हर काम को इसी सोच से करना आरंभ कर दें। आप खुद देखेंगे कि आपको उसमें मजा आने लगा है। आप जब तल्लीन होकर उसे करते हैं, तो आपको खुद खुशी का एहसास होता है। जब वह काम तैयार होकर आपके सामने आता है, तो उसे देखकर गर्व का एहसास होगा। इस तरह की कार्यशैली पर लगातार काम करने से यह आपकी आदत बन जाएगा। काम को बेहतर ढंग से करके मिलने वाली खुशी ही आपका सबसे बड़ा इनाम होगा।

मुश्किलों से मिलती है ताकत

ऐसा कोई भी नहीं है, जिसकी जिंदगी में छोटी या बड़ी मुश्किल न आती हो। शायद ही किसी को थाली में सजाकर कामयाबी मिलती हो। इसलिए आप भी अपने करियर में आने वाली बाधाओं से बिल्कुल न घबराएं। इसकी बजाय उन बाधाओं को कामयाबी की सीढ़ी मानकर चलें।

मुश्किलों और बाधाओं से जूझ कर आगे बढ़ने वाले व्यक्ति का मनोबल और आत्मविश्वास ऊंचा होता है। वह विपरीत परिस्थितियों से घबराए बिना मुस्कराते हुए आगे बढ़ता रहता है। यही कारण है कि ऐसे लोग ही एक दिन लीडर यानी नेतृत्वकर्ता की भूमिका में आगे आते हैं। अगर आप भी लगातार आगे बढ़ना चाहते हैं, तो आपको अपनी भीतर इन गुणों का विकास करना होगा। ध्यान रखें, यह कौशल कहीं कोर्स करके नहीं सीखा जा सकता। इसे तो अपने नजरिए को व्यापक बनाकर और सकारात्मक सोच से ही सीखा जा सकता है।


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