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परीक्षा की टेंशन आपको कर ना दे बीमार, तनाव दूर करने के लिए करें ऐसा

स्वास्थ्य या अन्य किसी वजह से कोई पेपर उम्मीद के मुताबिक नहीं होता तो परेशान होने की जरूरत नहीं है।

By Neel RajputEdited By: Published: Mon, 24 Feb 2020 08:42 AM (IST)Updated: Mon, 24 Feb 2020 08:42 AM (IST)
परीक्षा की टेंशन आपको कर ना दे बीमार, तनाव दूर करने के लिए करें ऐसा

नई दिल्ली [अरुण श्रीवास्तव]। इन दिनों सीबीएसई सहित राज्यों की बोर्ड परीक्षाएं चल रही हैं। दसवीं-बारहवीं के विद्यार्थी इसमें अपना पूरा दम-खम दिखा रहे हैं। हालांकि अच्छे प्रदर्शन के चक्कर में कई परीक्षार्थी अनावश्यक दबाव में आकर परीक्षा में बेहतर नहीं कर पाते। स्वास्थ्य या अन्य किसी वजह से कोई पेपर उम्मीद के मुताबिक नहीं होता, तो परेशान होने की जरूरत नहीं है। अगर आप अपनी कमियों/गलतियों का विश्लेषण करते और उनसे सीख लेते हुए अपनी रुचि के क्षेत्र में आगे बढ़ेंगे, तो कामयाबी निश्चित रूप से आपके कदम चूमेगी। कैसे, बता रहे हैं यहां...

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उन्होंने पाठ्यक्रम को अच्छी तरह तैयार किया है। उसे अच्छी तरह समझकर (रटकर नहीं) पढ़ाई की है। घुमाफिराकर पूछे जाने वाले प्रश्नों को समझकर सटीक और प्रभावशाली उत्तर देने में खुद को सक्षम समझते हैं..., ऐसे परीक्षार्थी आत्मविश्वास से भरे होते हैं। परीक्षा उनके लिए तनाव का कारण नहीं, बल्कि सालाना उत्सव सरीखा होता है। हालांकि आज के समय में करियर और माता-पिता की अपेक्षाओं के कारण परीक्षार्थियों पर अधिक से अधिक अंक लाने का दबाव होता है। इस वजह से परीक्षा के इन दिनों में ज्यादातर परीक्षार्थियों की दिनचर्या बिगड़ी हुई होती है। वे न तो ठीक से खा-पी पा रहे होते हैं और न ही अच्छी नींद ही ले पा रहे होते हैं, जिसका प्रभाव उनकी सेहत पर पड़ता है। कहीं न कहीं इससे उनके आगे आने वाले पेपर्स की तैयारी भी प्रभावित होती है, जिससे उन्हें बचाने की जिम्मेदारी मां-बाप पर कहीं ज्यादा है।

सहज रखें माहौल

आपके बच्चे के कुछ पेपर हो चुके होंगे और कुछ होने वाले होंगे। ऐसे में अगर पिछला पेपर उम्मीद के मुताबिक अच्छा नहीं गया, तो इसे लेकर घर में हायतौबा वाला माहौल कतई न बनाएं। उसे भूलकर बच्चे को अगले पेपर की सहज तैयारी और रिवीजन के लिए प्रेरित करें। बच्चे को खुश रखने की कोशिश करें। उसे उसके मन का हल्का-फुल्का खिलाएं। गंभीर बातें करने की बजाय हंसी-मजाक करके उसका मनोरंजन करने का प्रयास करें, ताकि उसका जी हल्का हो सके और वह सहज रहते हुए अपनी तैयारी पर ध्यान दे सके।

अगर वह कूल यानी सहज रहेगा, तभी आगे वाले प्रश्नपत्रों को भी उम्मीद के मुताबिक बेहतर तरीके से हल कर सकेगा। अगर आप खराब हुए पिछले प्रश्नपत्रों की चर्चा कर-करके उसे कोसते रहेंगे, तो इससे हुई मायूसी से वह उबर नहीं सकेगा। इसका प्रभाव उसके आने वाले पेपर्स पर भी पड़ सकता है। क्या माता-पिता ऐसा चाहेंगे कि उसके बच्चे के आगे के पेपर भी अच्छे न हों? नहीं न! तो फिर क्यों नहीं आप उसके लिए खुशनुमा माहौल बनाने की पहल करते? इसमें क्या मुश्किल है?

मौके और भी आएंगे

अगर किसी वजह से कोई पेपर अच्छा नहीं भी हुआ, तो क्या हुआ? क्या इससे जिंदगी और करियर के सारे मौके समाप्त हो गए? बिल्कुल नहीं। अभी तो यह शुरुआत है। आपके बच्चे की जिंदगी में कामयाबी के अभी बहुतेरे मौके आएंगे। अगर आप उसे कोसने, धिक्कारने की बजाय उसे उसकी रुचि की दिशा में प्रेरित करते रहेंगे, उसकी छोटी-छोटी उपलब्धियों को सराहेंगे, उसकी सफलताओं-असफलताओं, मुश्किलों में हमेशा उसके साथ खड़े रहेंगे, तो निश्चित रूप से वह एक न एक दिन अपनी उपलब्धियों से हर किसी को चकित कर सकता है। बस आप सिर्फ उसका मनोबल बढ़ाते रहें और उसे अपने आप पर भरोसा रखने का विश्वास दिलाएं।

न आए यू-टर्न की नौबत

कई बार कोई परीक्षार्थी अच्छा प्रदर्शन इसलिए भी नहीं कर पाता, क्योंकि स्ट्रीम और विषय उसकी पसंद के नहीं होते। माता-पिता के दबाव में उन्हें लेना पड़ा होता है। ऐसा अक्सर देखने-सुनने को मिलता है। अभिभावकों द्वारा अपने बच्चे की रुचि/पसंद को समझ कर उसे उस दिशा में आगे बढ़ाने की बजाय अपनी पसंद के क्षेत्र में आगे बढ़ने की जिद के कारण बच्चे का आगे का रास्ता दुरूह होता जाता है। उनकी मर्जी के कारण वह उस रास्ते को चुन तो लेता है, पर मन न लगने के कारण वह उसका कभी आनंद नहीं उठा पाता। हालांकि कुशाग्र बुद्धि होने के कारण कुछ बच्चे उसमें भी अच्छा प्रदर्शन करके दिखा देते हैं, पर ज्यादातर ‘फ्लॉप’ साबित होते हैं। इतने पर भी उनके अभिभावकों को समझ में नहीं आता और वे अपनी जिद पर अड़े रहते हैं। इसका परिणाम यह होता है कि बच्चा निराशा-हताशा और फिर अंतत: अवसाद में डूबता जाता है।

आखिर क्यों आए ऐसी नौबत? यह अच्छी बात है कि आप अपने बच्चे के बेहतर भविष्य को लेकर चिंतित हैं और ऐसा उसके भले के लिए ही कर रहे हैं, पर क्या आपको इस बात का अंदाजा है कि आपकी इस अच्छाई में ही उसके लिए गहरी खाई है, जिससे वह शायद ही कभी उबर पाए। अगर एक बार वह अपनी पसंद की राह के विपरीत आपके द्वारा चुने गए रास्ते पर बढ़ गया और कुछ साल बिता लिए, तो फिर शायद ही उसे यू-टर्न लेने का मौका मिले। अगर वह उसमें रुचि लेने लगे तो ठीक, अन्यथा यह स्थिति उसे शायद ही पूरे करियर में कभी खुशी दे पाए।

खोलें खुशियों का रास्ता

अगर आप वाकई अपने बच्चे को लगातार आगे बढ़ते हुए देखना चाहते हैं, तो अपनी जिद, अपने सपने उसके जरिए पूरे करवाने की बजाय उसकी रुचियों को अच्छी तरह समझते हुए कोई निर्णय लेना होगा। अगर आप दूसरों की कामयाबी को देखते हुए उस पर भी वहीं फार्मूले थोपना चाहते हैं, तो ठहर जाएं। आप बहुत बड़ी गलती करने जा रहे हैं। इससे बचें। अपने बच्चे के बारे में कोई भी निर्णय लेने से पहले उसकी पसंद-नापसंद को जान-समझ लें। अगर अभी तक आप उसकी रुचियों को समझ नहीं सके हैं, तो अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा है। एक बार फिर नए सिरे से कोशिश करें। उसकी पसंद-नापसंद, उसकी आदतों आदि पर गौर करते हुए निष्कर्ष तक पहुंचने का प्रयास करें।


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