करियर को बनाएं सेहतमंद, आयुर्वेद में भी हैं अपार संभावनाएं; यहां जानें कहां कहां से कर सकते हैं कोर्स
करीब 77 फीसद भारतीय घरों में आजकल किसी न किसी रूप में आयुर्वेदिक प्रोडक्ट्स (जैसे दवाएं शैंपू साबुन केश तेल लोशन क्रीम टूथपेस्ट इत्यादि) का उपयोग हो रहा है।
नई दिल्ली [डॉ. राजीव पुंंडीर]। एम्स की तर्ज पर दिल्ली में अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान के बाद हाल ही में गुजरात आयुर्वेद शैक्षणिक एवं शोध संस्थान परिसर को राष्ट्रीय महत्व का दर्जा दिया जाना यह दर्शाता है कि केंद्र सरकार का लोगों के होलिस्टिक उपचार पर कितना जोर है। आयुर्वेदिक उत्पादों के प्रति बढ़ती जन-जागरूकता को देखते हुए माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में इस क्षेत्र में योग्य चिकित्सकों के साथ-साथ इससे जुड़े क्षेत्रों में विभिन्न स्तरों की नौकरियों और स्वरोजगार के अवसर भी खूब बढ़ेंगे..
दार्जिलिंग के पुनीत पोद्दार आज अपने आयुर्वेद टी ब्लेंड के लिए दुनियाभर में जाने जाते हैं। इनका ब्लेंडेड टी अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन, ताइवान, ऑस्ट्रेलिया, मलेशिया और सिंगापुर समेत करीब 25 देशों में निर्यात हो रहा है। देश-दुनिया में इनकी चाय को हेल्थ टी के रूप में काफी पसंद किया जाता है। कुछ समय पहले ही ब्लेंडेड ब्लैक टी कैटेगरी में इनके आयुर्वेद टी ब्लेंड को पुरस्कृत किया गया। पुनीत की तरह ही आज बहुत से युवा आयुर्वेद में काम आने वाली औषधियों की खेती करके, उसका बिजनेस करके लाखों की कमाई कर रहे हैं। आयुर्वेदिक प्रैक्टिशनर के रूप में भी ऐसे लोगों की मांग लगातार बढ़ रही है।
कंफेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (सीआइआइ) एवं पीडब्ल्यूसी की कुछ माह पहले आई एक रिपोर्ट के अनुसार, करीब 77 फीसद भारतीय घरों में आजकल किसी न किसी रूप में आयुर्वेदिक प्रोडक्ट्स (जैसे दवाएं, शैंपू, साबुन, केश तेल, लोशन, क्रीम, टूथपेस्ट इत्यादि) का उपयोग हो रहा है। रिपोर्ट्स की मानें, तो पिछले पांच सालों में यह उपयोग तेजी से बढ़ा है। अभी हर्बल/आयुर्वेद सेक्टर का कुल बाजार 30 हजार करोड़ रुपये से अधिक का है, जो लगातार बढ़ रहा है।
बढ़ती संभावनाएं
सरकार की ओर से प्राकृतिक चिकित्सा और इसके अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए अलग से आयुष विभाग का गठन किया गया है, जो प्राचीन उपचार शैलियों को प्रोत्साहित करता है। इसके अलावा, आयुर्वेद का प्रशिक्षण दिए जाने के लिए इसकी पढ़ाई पर भी बल दिया जा रहा है। हाल में जामनगर स्थित गुजरात आयर्वेद शैक्षणिक एवं शोध संस्थान परिसर को राष्ट्रीय महत्व के संस्थान का दर्जा दिया जाना इस दिशा में बड़ी पहल माना जा रहा है। आयुर्वेद को प्रोत्साहित करने के लिए ही तीन साल पहले देश को एम्स की तरह पहला अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (दिल्ली) समर्पित किया गया था। वैसे, पीएम मोदी जोर देकर यह कह चुके हैं कि देश के हर जिले में आयुर्वेद से जुड़ा अस्पताल हो, इस दिशा में उनकी सरकार काम कर रही है। जाहिर है, आने वाले दिनों में इस क्षेत्र में रोजगार के अवसर और बढ़ेंगे।
जॉब्स के मौके
देश में प्राकृतिक चिकित्सा को एक स्वतंत्र चिकित्सा पद्धति के रूप में मान्यता मिली हुई है। आयुर्वेद और होम्योपैथ के डॉक्टरों की अलग से सरकारी अस्पतालों में नियुक्ति की जा रही है। निजी अस्पतालों में भी ऐसे प्रोफेशनल्स की डिमांड है।
कोर्स एवं योग्यता
एमबीबीएस की तरह बैचलर ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसिन ऐंड सर्जरी (बीएएमएस) कोर्स भी साढ़े पांच साल का होता है, जिसमें साढ़े चार साल एकेडमिक्स और एक साल की इंटर्नशिप होती है। 50 प्रतिशत अंक के साथ पीसीबी विषयों से 12वीं उत्तीर्ण करने के बाद यह कोर्स किया जा सकता है।
भरोसे से बढ़ रहा स्कोप
आज की जीवनशैली को देखते हुए आयुर्वेद बहुत कारगर है। वैसे, यह भारतीयों के लिए कोई नया नहीं है। यह हमारे किचन से ही शुरू होता है, जैसे कि जीरा, धनिया, हल्दी, मेथी, अजवाइन इत्यादि। सर्दियों में च्यवनप्रास और जनरल टॉनिक अश्वगंधा तो करीब-करीब हर घर में इस्तेमाल होता है। दरअसल, आयुर्वेद हमें यह सिखाता है कि हर आदमी को अपना शरीर किस तरीके से समझना है, किस मौसम में उसे किस तरह के खाद्य पदार्थ खाने चाहिए। जिसे ये सब पता हो जाएगा, वह बीमार नहीं होगा या फिर कम बीमार होगा। आज बहुत सारी बीमारियों के लिए मरीज भी सिर्फ एलोपैथी पर निर्भर रहना नहीं चाहते।
समाज में बढ़ते इसी रुझान के चलते आज हर जगह इसका स्कोप हैं। पहले के मुकाबले बहुत से आयुर्वेद कॉलेज खुल गए हैं। इस क्षेत्र में आज बहुत अच्छी अपॉच्र्युनिटीज हैं, क्योंकि उच्च शिक्षित विशेषज्ञ बहुत कम हैं, जबकि डिमांड ज्यादा है। मेडिकल ऑफिसर्स या आयुर्वेदिक डॉक्टर के रूप में भी काफी मौके हैं। राज्य सरकारें सुदूर गांवों में इनकी तैनाती को प्राथमिकता दे रही हैं। इसके अलावा, अगर प्राइवेट प्रैक्टिस करते हैं, तब भी अच्छी कमाई की जा सकती है। क्लीनिकल रिसर्च के फील्ड में भी आजकल काफी अवसर हैं। आने वाले दिनों में अगर योग की तरह आयुर्वेद को भी विदेश में मान्यता मिल जाती है, तो फिर इस फील्ड में संभावनाओं की कल्पना नहीं जा सकती।
प्रमुख संस्थान-
राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान, गुजरात
वेबसाइट: www.nia.nic.in
बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी, वाराणसी
वेबसाइट: www.bhu.ac.in
श्री धन्वंतरि कॉलेज, चंडीगढ़
वेबसाइट: https://linkprotect.cudasvc.com
बढ़ा औषधीय पौधों की खेती का आकर्षण
आयुर्वेदिक औषधियों और सौंदर्य/प्रसाधन उत्पादों की लगातार बढ़ती मांग ने जड़ी, बूटियों, औषधीय पौधों की खेती का आकर्षण भी बढ़ा दिया है। इनमें एलोवेरा, तुलसी, शंखपुष्पी, अश्वगंधा, ब्राह्मी, बसिल, दारुहारिद्रा, जटामासी, जट्रोफा, लैवेंडर, लेमन ग्रास, पार्सले, सफेद मुसली, सर्पगंधा, मुलैठी तथा गेंदे के फूल समेत कुछ अन्य औषधीय फार्मिंग तेजी से लोकप्रिय हो रही है। आयुर्वेदिक दवाओं और हर्बल उत्पादों की इसी मांग को देखते हुए इन दिनों हरियाणा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल समेत कई राज्यों में बड़ी संख्या में मेडिसिनल प्लांट की खेती की जाने लगी है। इन बहुमूल्य औषधियों की खेती के साथ सबसे अच्छी बात यह है कि इनकी छोटी मात्रा भी अपने महंगे दामों के कारण आपको अच्छा मुनाफा दे सकती है।
(लेखक आयुर्वेद में एमडी हैं।)