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लोकतंत्र के महापर्व में शामिल होने के लिए, इन तरीकों से लोगों को जगा रहे जागरुक युवा

सत्रहवीं लोकसभा के चुनाव को लेकर 21वीं सदी के युवा मतदाताओं में भरपूर जोश है। 2019 के लोकसभा चुनाव में 8 करोड़ से ज्यादा युवा मतदाता अपने वोट के अधिकार का प्रयोग करेंगे।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Sat, 06 Apr 2019 02:37 PM (IST)Updated: Sat, 06 Apr 2019 05:22 PM (IST)
लोकतंत्र के महापर्व में शामिल होने के लिए, इन तरीकों से लोगों को जगा रहे जागरुक युवा
लोकतंत्र के महापर्व में शामिल होने के लिए, इन तरीकों से लोगों को जगा रहे जागरुक युवा

स्मिता। हर मतदाता का वोट कीमती होता है। वोट की मदद से ही योग्य प्रत्याशी चुनकर संसद भेजे जा सकते हैं, जो राष्ट्र को प्रगति और उन्नति के पथ पर अग्रसर कर सकते हैं। इसके लिए हर एक मतदाता को जागरूक रहना भी जरूरी है। यही वजह है कि देश के कोने-कोने से सजग किशोरों/युवाओं ने भी अपने-अपने कार्यों के जरिए उन्हें जागरूक करने का बीड़ा उठा लिया है।

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एक बार पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम पंजाब के रोपड़ गए,जहां उन्हें छात्रों को कुछ बताना था। यह बात मार्च 2014 की है। अलग-अलग राज्यों के छात्रों से घिरे कलाम ने उनसे पूछा कि क्या इस बार आप लोग मतदान की प्रक्रिया में भाग लेंगे? ज्यादातर ने बताया, चुनाव मैदान में मनपसंद उम्मीदवार और पार्टी न होने के कारण वे इस प्रक्रिया में भाग नहीं लेना चाहते।

इस पर कलाम ने उन लोगों को अपने बारे में जानकारी दी, ‘मैंने अब तक सभी चुनावों में भाग लिया है। वोट देने से पहले मैं अपने क्षेत्र के सभी उम्मीदवारों के बारे में जानकारियां एकत्रित करता हूं, उनमें कौन बेहतर है और कौन नहीं, सारी बातें जानने के बाद किसी एक योग्य उम्मीदवार को अपना वोट दे देता हूं।

लोकतंत्र में वोट देने का अधिकार सबसे अधिक मूल्यवान है। इसे गंवाना लोकतंत्र के अपमान के समान है। युवाओं के वोट तो और बेशकीमती हैं। उनके एक वोट की मदद से अच्छे प्रत्याशी चुनकर आ सकते हैं, जो देश को उन्नति की राह पर ले जा सकते हैं।’

दोस्तो, इन दिनों आप भी टीवी, रेडियो, अखबार, सोशल साइट्स के जरिए देश भर में चुनाव की सरगर्मियों से रूबरू हो रहे होंगे। आपके दोस्तों में से कई ऐसे भी होंगे, जो पहली बार मताधिकार का प्रयोग करने जा रहे होंगे। क्या आप जानते हैं कि ये युवा कलाम की कही इन बातों का बड़े ही रचनात्मक तरीके से अनुसरण कर रहे हैं। वे अपने अपने तरीके और हुनर की मदद से न सिर्फ लोगों को चुनाव प्रणाली, वोटिंग मशीन, वोटर लिस्ट आदि के बारे में बता रहे हैं, बल्कि मतदान में भाग लेने के लिए देश के नागरिकों को जागरूक भी कर रहे हैं।

किताब के जरिए मतदाताओं से गुजारिश :

ग्वालियर के लेखक और सोशल रिफॉर्मर अतुल कुमार इन दिनों काफी व्यस्त रहते हैं। वे पढ़ाई से समय निकालकर आधार कार्ड की जरूरत, मतदाता पहचान पत्र और ईवीएम के फायदे-नुकसान के बारे में लोगों को ब्लॉग, सेमिनार आदि के जरिए बता रहे हैं। कुछ दिन पहले इसी विषय पर उन्होंने एक किताब लिखी थी-‘डिजिटलाइजेशन फॉर द प्रॉसपरस नेशन’।

इस किताब के लिए उन्हें भारत सरकार की ओर से सराहना-पत्र भी मिले। अतुल कहते हैं,‘मैंने अपनी किताब में लिखा है कि अक्सर चुनाव के बाद ईवीएम पर सवाल उठने लगते हैं। पारदर्शिता नहीं होने के कारण भारतीय नागरिकों को यह पता ही नहीं चल पाता है कि उनका वोट मनपसंद उम्मीदवार को मिल पाया या नहीं। डिजिटल आइडेंटिटी कार्ड की तरह यदि ईवीएम में भी फिंगर प्रिंट की व्यवस्था हो, तो सूचना के अधिकार के तहत हम अपने वोट के बारे में जान सकते हैं।’ अतुल अपने ‘यूथ की आवाज’ ब्लॉग के जरिए भी चुनाव प्रक्रिया और सही उम्मीदवार का चुनाव करने की गुजारिश युवाओं से करते हैं।

पेंटिंग बना है हथियार:

प्रसिद्ध कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान बचपन में राष्ट्र के प्रति जो भी महसूस करतीं, उसे अपनी कविताओं में ढाल लेतीं। वे कहतीं कि लोगों को आजादी के प्रति जागरूक करने का सबसे बड़ा हथियार उनकी कविताएं हैं। अब अनुजा पोकले जैसे युवाओं ने भी मतदाताओं को जागरूक करने के लिए पेंटिंग को हथियार बनाया है। हाल में उनकी 10वीं बोर्ड की परीक्षाएं खत्म हुई हैं। वे अभी 18 साल की नहीं हुई हैं, लेकिन चाहती हैं कि आम चुनाव 2019 में सभी मतदाता भाग लें। वे कहती हैं, ‘केंद्र में जो भी सरकार बनती है, वह जनता के लिए और जनता द्वारा ही बन पाएगी।

यदि आपको अपने मोहल्ले, राज्य और देश को विकसित होते हुए देखना है, तो मतदाताओं को समय निकालकर चुनाव में भाग लेना ही होगा। उन्हें यह बताने का एकमात्र जरिया मेरी पेंटिंग है।’ अनुजा पोकले के पिता रामचंद्र पोकले और मां सीमा पोकले भी पेंटर हैं। छोटी उम्र से ही अनुजा अपने पिता को राष्ट्र,राजनीति, देशभक्ति आदि थीम पर पेंटिंग करते हुए देखती थीं। अनुजा आगे बताती हैं, ‘आमतौर पर लोग राजनीति को कीचड़ के समान मानते हैं, जबकि यह लोकतंत्र की मजबूती का जरूरी अंग है। इसलिए लोगों को मतदान के लिए जागरूक करना जरूरी है।’

माउंटेनियरिंग बना प्रेरणास्नोत:

क्या यह कल्पना की जा सकती है कि पहाड़ पर चढ़ते हुए भी मतदाताओं को जागरूक किया जा सकता है? ऐसा कर दिखाया है मुंबई के माउंटेनियर जय कोल्हेटकर ने। जय माउंटेनियरिंग के बीच देश की राजनीतिक खबरों से भी स्वयं को हमेशा अपडेट रखते हैं। वे कहते हैं,‘मतदाताओं को जागरूक करने का मैं कोई भी अवसर हाथ से जाने नहीं देना चाहता। रॉक लैंडिंग के लिए मैं अपने दोस्तों के साथ बदानी (कर्नाटक) गया हुआ था। वहां पर जब मैं कुछ लोगों से मिला और उनसे पूछा कि क्या वे लोकसभा चुनाव में भाग ले रहे हैं? इस पर ज्यादातर लोगों ने कुछ न कुछ बहाना बता दिया। मैंने उन लोगों को चुनाव और वोट के महत्व के बारे में कई महत्वपूर्ण बातें बताईं और मन ही मन यह दृढ़ निश्चय कर लिया कि बाकी लोगों को भी मतदान में भाग लेने के लिए प्रेरित करूंगा।’

इसके बाद जय ने इसे अपना मिशन बना लिया। जब भी वे सुदूर गांव या दूर-दराज के इलाके (हाल में लद्दाख) में माउंटेनियरिंग के लिए जाते हैं, तो लोगों को मतदान में भाग लेने के लिए जरूर प्रोत्साहित करते हैं। जय कहते हैं,‘जब तक मतदाता अच्छे प्रतिनिधि के चुनाव के लिए प्रयास नहीं करेंगे, तब तक उन्हें देश के साथ-साथ एथलेटिक्स और खेलों को बढ़ावा देने वाले नेता नहीं मिल पाएंगे।’

सोशल साइट्स और थियेटर की भी ले रहे मदद:

एजुकेशन, बिजनेस, साइंस-टेक्नोलॉजी जैसे विषयों पर एक्सपर्ट स्पीकर के लिए मंच मुहैया कराती है टेडएक्स संस्था। इसके स्पीच यूट्यूब पर भी उपलब्ध हैं। इसके स्टार स्पीकर हैं लेखक और मोटिवेशनल स्पीकर यश तिवारी। यश के यूट्यूब, इंस्टाग्राम, फेसबुक आदि पर हजारों फॉलोअर्स हैं। इसलिए वे सोशल साइट्स के जरिए मतदाताओं को जागरूक करने का काम कर रहे हैं। पढ़ाई के साथ कई और काम कर रहे यश के लिए टाइम मैनेजमेंट का मंत्र सबसे अधिक प्रभावी है। यश कहते हैं कि कुछ सेकंड्स में अपलोड हुई आपकी छोटी- सी पोस्ट का प्रभाव बहुत बड़ा है। यह सदा के लिए संरक्षित हो जाता है।

दूसरी ओर, अंजलि भाटिया थियेटर आर्टिस्ट हैं और नुक्कड़ नाटकों में अभिनय के जरिये लोगों को जागरूक करने का काम करती हैं। वे कहती हैं कि कुछ दिन पहले तक जिस तरह स्वच्छता नाटकों का मुद्दा बनी हुई थी, उसी तरह मतदान भी देशभर में खेले जाने वाले नाटकों की विषयवस्तु होना चाहिए। वे अपने अनुभव शेयर करते हुए बताती हैं कि मुझे अच्छी तरह याद है कि जब मैंने देश की राजनीति और मतदान को अपने नाटकों के संवाद में शामिल किया, तो इसे देखने और ज्यादा भीड़ जुटने लगी

मिसिंग वोटर्स की तलाश और सहायता:

कुछ मतदाताओं के पास वोटर कार्ड तो हैं, लेकिन वोटिंग लिस्ट में नाम नहीं होने के कारण वे मतदान में भाग नहीं ले पाते हैं। ऐसे ही मिसिंग वोटर को सामने लाने का काम किया है हैदराबाद के खालिद सैफुल्लाह की रेलाब्स टेक्नोलॉजीज कंपनी ने। इसी कंपनी के लिए काम करते हैं युवा साजिद। साजिद ने बताया कि इस कंपनी द्वारा बनाए गए मिसिंग वोटर्स एप के जरिए न सिर्फ यह जाना जा सकता है कि अलग-अलग मतदान केंद्रों के कितने वोटर मिसिंग हैं, बल्कि मतदाता भी यह जान सकते हैं कि वोटर लिस्ट में उसका नाम है या नहीं। इसके जरिए वह वोटर लिस्ट में अपना नाम भी जुड़वा सकते हैं। 


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