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उत्तराखंड में दाखिले की दौड़ से 15 हजार छात्र 'बेदखल', पढ़िए पूरी खबर

देहरादून के पांच कॉलेजों में इस बार दाखिले के लिए छात्र-छात्राओं को खासी मशक्कत करनी पड़ रही है। कारण पांचों कॉलेज में ग्रेजुएशन में 7445 सीटें हैं।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Sat, 20 Jul 2019 08:40 PM (IST)Updated: Sat, 20 Jul 2019 09:06 PM (IST)
उत्तराखंड में दाखिले की दौड़ से 15 हजार छात्र 'बेदखल', पढ़िए पूरी खबर
उत्तराखंड में दाखिले की दौड़ से 15 हजार छात्र 'बेदखल', पढ़िए पूरी खबर

देहरादून, अशोक केडियाल। दून के पांच कॉलेजों में इस बार दाखिले के लिए छात्र-छात्राओं को खासी मशक्कत करनी पड़ रही है। कारण पांचों कॉलेज में ग्रेजुएशन में 7445 सीटें हैं। मगर आवेदनों की संख्या करीब 23 हजार तक पहुंच गई है। ऐसे में 15443 छात्र-छात्राएं ऐसे हैं, जिन्हें किसी भी कॉलेज में दाखिला नहीं मिल सकेगा और उन्हें या तो किसी बाहर के कॉलेज की राह पकडऩी होगी या फिर किसी प्रोफेशनल कोर्स में दाखिला लेना पड़ेगा।

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दाखिले की दौड़ में सबसे बड़ी परेशानी उन छात्रों के सामने है, जो उत्तराखंड बोर्ड से पासआउट हुए हैं। क्योंकि सीबीएसइ और आइसीएसइ बोर्ड से पास छात्र अच्छे अंकों के कारण उत्तराखंड बोर्ड के छात्रों को खासी चुनौती दे रहे हैं। उस पर उत्तराखंड बोर्ड से पास छात्रों को कॉलेजों में दाखिले के दौरान मिलने वाली दस फीसद छूट को भी नैनीताल हाईकोर्ट ने एक याचिका की सुनवाई के बाद रद कर दिया है। 

डीबीएस पीजी कॉलेज में बीए प्रथम सेमेस्टर के लिए कुल 270 सीट निर्धारित हैं, जहां अधिकतम कट ऑफ 99.80 फीसद व न्यूनतम 78.00 फीसद तक गई। इससे साफ है कि 77 फीसद अंक लाने वाले छात्रों को भी डीबीएस में प्रवेश नहीं मिल पाएगा। प्रदेश के सबसे बड़े डीएवी पीजी कॉलेज में भी बीए प्रथम सेमेस्टर की 1475, बीएससी की 1140 और बीकॉम की 1200 सीटें निर्धारित हैं। इन सीटों पर प्रवेश होने के बाद भी 7342 छात्र-छात्राओं को दाखिले से वंचित रहना पड़ सकता है। 

निजी विवि में महंगी फीस 

दून के पांच सहायता प्राप्त कॉलेज डीएवी, डीबीएस, एसजीआरआर, एमकेपी और रायपुर डिग्री कॉलेज में दाखिले से वंचित छात्रों को निजी विवि व कॉलेजों में पारंपरिक कोर्स में मौका तो मिल सकता है लेकिन सरकारी कॉलेजों के मुकाबले वहां फीस अधिक देनी होगी। यह सभी छात्रों के बस की बात नहीं होगी। 

कॉलेज, सीटों की संख्या, आवेदन 

डीएवी, 3815, 11357 

डीबीएस,860, 4382 

एसजीआरआर, 860, 4383 

एमकेपी,1386, 2201 

रायपुर डिग्री कॉलेज, 560, 565 

बीएससी पीसीएम ग्रुप की कटऑफ (पहली) 

डीएवी, 80.80 फीसद 

डीबीएस,90.00 फीसद 

एसजीआरआर, 86.33 फीसद 

एमकेपी, 75.60 फीसद 

रायपुर डिग्री कॉलेज, 65.20 फीसद 

सवर्ण आरक्षण लागू होता, तो बढ़ते मौके 

सवर्ण आरक्षण लागू होने की सूरत में देहरादून के इन पांच कॉलेजों में 1759 और छात्र-छात्राओं को प्रवेश मिलता। मगर उच्च शिक्षा निदेशालय की तरफ से अभी तक इस बारे में कोई दिशा-निर्देश जारी नहीं हुए हैं। 

सवर्ण आरक्षण लागू होने के बाद बढ़ती सीटें 

डीएवी, 902 

डीबीएस,212 

एसजीआरआर,212 

एमकेपी,308 

रायपुर डिग्री कॉलेज125 

डीएवी के प्राचार्य डॉ. अजय सक्सेना ने बताया कि डीएवी पीजी कॉलेज में स्नातक की निर्धारित सीटों पर मेरिट के अनुसार प्रवेश दिए जा रहे हैं। सेमेस्टर सिस्टम लागू होने के बाद प्रत्येक विषय में शिक्षक होना जरूरी है, तभी यूजीसी के मानकों के अनुसार निर्धारित सेमेस्टर पीरियड पूरे हो सकेंगे। कॉलेज में शिक्षकों के स्वीकृत 185 में से 53 पद रिक्त हैं। सरकार निकट भविष्य में सवर्ण आरक्षण कोटा लागू करती है तो करीब स्नातक में 900 सीटों का इजाफा होगा। 

एसजीआरआर कॉलेज के प्राचार्य प्रो. वीए बौड़ाई का कहना है कि कॉलेज में स्नातक की निर्धारित 860 सीटों के लिए 4300 से अधिक छात्रों ने आवेदन किया। करीब एक सीट पर पांच छात्रों की दावेदारी है। कॉलेज में आधारभूत सुविधा एवं फैकल्टी के अनुसार सीटें निर्धारित हैं। कॉलेज में बीए और बीएससी में ऊंची मेरिट के कारण कई मेधावी छात्रों को दाखिले से महरूम रहना पड़ता है। अधिक से अधिक छात्रों को दून में उच्च शिक्षा का मौका मिले इस बारे में प्रयास होने चाहिए। 

एमकेपी पीजी कॉलेज की प्राचार्य डॉ. साधना गुप्ता ने बताया कि छात्राओं के लिए एमकेपी में स्नातक और स्नातकोत्तर करने का पूरा मौका मिलता है। कॉलेज मे स्नातक की पर्याप्त सीटें हैं। कुछ मेधावी छात्राएं अपनी रुचि से प्रदेश से बाहर दिल्ली, चंडीगढ़ और अन्य बड़े शहरों में पढ़ाई करने चली जाती हैं। कई छात्राएं पारंपरिक विषयों के बजाय प्रोफेशनल कोर्स में दाखिला ले लेती हैं। वैसे दून में कॉलेज के अलावा निजी विवि की विकल्प बनकर उभर रहे हैं। 

वहीं, डीबीएस कॉलेज के प्राचार्य ने बताया कि डीबीएस में दाखिला प्रत्येक मेधावी छात्र की पहली च्वाइस होती है। बीएससी पीसीएम में पहली कटऑफ 90 फीसद पर रुकना इसका प्रमाण है। हालांकि वर्तमान दौर में छात्रों के पास स्नातक की पढ़ाई के अलावा प्रोफेशनल कोर्स और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी की बेहतर विकल्प है। कई छात्र ऐसे भी हैं जो बीए, बीएससी करने के बजाय दो से तीन साल इंजीनियरिंग, मेडिकल, लॉ, प्रबंधन आदि की कोचिंग लेते हैं। 

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