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दल हों या दिग्गज! यूपी की इस लोकसभा सीट पर कभी नहीं लगा पाए हैट्रिक, पढ़ें आजादी से बाद से अब तक का इतिहास

Lok Sabha Election 2024 उत्तर प्रदेश की बहराइच लोकसभा सीट में साल 1952 से लेकर 2019 तक 17 बार लोकसभा चुनाव हो चुके हैं। यहां से अब तक छह बार कांग्रेस ने जीत दर्ज की है जनसंघ और भाजपा के चिह्न पर भी प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की लेकिन अब तक कोई दल या प्रत्याशी जीत की हैट्रिक नहीं लगा पाया है।

By Mukesh Pandey Edited By: Abhishek Pandey Published: Mon, 15 Apr 2024 04:30 PM (IST)Updated: Mon, 15 Apr 2024 04:30 PM (IST)
दल हों या दिग्गज! यूपी की इस लोकसभा सीट पर कभी नहीं लगा पाए हैट्रिक

मुकेश पांडेय, बहराइच। संसदीय क्षेत्र से कोई भी उम्मीदवार अथवा दल हैट्रिक लगाने में कामयाब नहीं हो सका है। 1952 से 2019 अब तक 17 बार लोकसभा के चुनाव हो चुके हैं। यहां से अब तक छह बार कांग्रेस के प्रत्याशी विजयी हुए हैं तो भारतीय जनसंघ और भाजपा के चुनाव चिह्न पर छह बार उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की है।

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जनसंघ कोटे से एक जनता पार्टी के उम्मीदवार को सफलता मिली थी। यहां से स्वतंत्र पार्टी, बसपा, जनता दल और सपा को एक-एक बार लोकसभा में जीत दर्ज करने का मौका मिला है। महिलाओं ने भी दो बार यहां से विजय पताका फहराकर संसद में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है।

भाजपा लगा सकती है हैट्रिक

इस बार भाजपा ने लगातार तीसरी बार अपना उम्मीदवार बदला है, ऐसे में उम्मीदवार की हैट्रिक लगने का सवाल नहीं उठता है, लेकिन भाजपा हैट्रिक लगाकर इतिहास रच सकती है। अगर यहां के चुनावी इतिहास पर नजर डालें तो 1952 में पहली बार यहां से रफी अहमद की किदवई कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में सांसद चुने गए थे।

कांग्रेस ने 1957 के चुनाव में अपने दिग्गज नेता रफी अहमद किदवई को हटाकर सरदार जोगिंदर सिंह को चुनाव मैदान में उतरा और वह जीते। 1962 में स्वतंत्र पार्टी के राजा राम सिंह ने जीत दर्ज कर कांग्रेस की हैट्रिक की उम्मीद धूमिल कर दी।

1967 में पहली बार बाजी जनसंघ के केके नैयर के हाथ लगी तो 1971 में पंडित बदलूराम शुक्ल कांग्रेस से सांसद चुने गए। 1977 में जनता पार्टी के ओमप्रकाश त्यागी तो 1980 में कांग्रेस के मुजफ्फर हुसैन विजयी रहे।

1984 में कांग्रेस ने आरिफ मोहम्मद खान को उतारा। वह जीत गए, मगर 1989 में बागी होकर केंद्रीय मंत्री रहे आरिफ मोहम्मद खान जनता दल के नेतृत्वकर्ताओं में शामिल हो चुके थे। उन्होंने दल-बदल कर दूसरी बार विजयश्री पायी और कांग्रेस के हैट्रिक लगाने के सपने को तोड़ दिया।

1991 में आरिफ मोहम्मद खान को पराजय मिली और वह भी हैट्रिक से चूक गए। यहां से भाजपा के रुद्रसेन चौधरी विजयी रहे, लेकिन 1996 में उनके न रहने पर भाजपा ने पद्मसेन चौधरी को मैदान में उतारा और उन्हें विजय मिली।

1998 में बसपा के आरिफ मोहम्मद खान ने हराकर भाजपा की हैट्रिक लगाने के सपने को चकनाचूर कर दिया। आरिफ 1999 में भाजपा के पद्मसेन चौधरी से हारे। 2004 में रुबाब सैयदा सपा से चुनाव जीतीं तो 2009 में सीट आरक्षित होने के बाद कांग्रेस के कमल किशोर विजयी रहे।

2014 की मोदी लहर में भाजपा की सावित्रीबाई फुले तो 2019 में अक्षयवर लाल गोंड को जीत मिली।

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