अमरावती सीट से नवनीत राणा की उम्मीदवारी पर भी ठनी रार, सीएम शिंदे के दो करीबी सहयोगी ही उम्मीदवारी का कर रहे विरोध
Maharashtra Politics राणा ने पिछला लोकसभा चुनाव निर्दलीय लड़ा था। तब उन्हें राकांपा का समर्थन मिला था। अमरावती लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली एक विधानसभा सीट बडनेरा से नवनीत राणा के पति रवि राणा भी निर्दलीय विधायक हैं।अब दोनों भाजपा में शामिल हो चुके हैं। अब अडसूल स्वयं भी इसी सीट से चुनाव लड़ने की घोषणा कर रहे हैं।
राज्य ब्यूरो, मुंबई। महाराष्ट्र के अमरावती लोकसभा क्षेत्र से भाजपा द्वारा तेज तर्रार महिला नेता नवनीत राणा को प्रत्याशी बनाए जाने से मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के सहयोगी ही असहयोग पर उतरे दिखाई दे रहे हैं। इसी सीट से पिछले चुनाव में नवनीत राणा से ही हारे शिंदे गुट के नेता आनंदराव अडसूल एवं शिंदे के एक और सहयोगी प्रहार जनशक्ति पार्टी के नेता बच्चू कडू नवनीत राणा की उम्मीदवारी का खुलकर विरोध कर रहे हैं।
राणा ने पिछला लोकसभा चुनाव निर्दलीय लड़ा था। तब उन्हें राकांपा का समर्थन मिला था। अमरावती लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली एक विधानसभा सीट बडनेरा से नवनीत राणा के पति रवि राणा भी निर्दलीय विधायक हैं। अब दोनों भाजपा में शामिल हो चुके हैं। पूर्व सांसद आनंदराव अडसूल को उम्मीद थी कि महायुति के सीट बंटवारे में यह सीट शिंदे गुट के हिस्से में आएगी, और वह स्वयं यहां से उम्मीदवार बनेंगे। लेकिन, भाजपा ने यह सीट अपने हिस्से में लेकर बुधवार को नवनीत राणा को अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया।
अब अडसूल स्वयं भी इसी सीट से चुनाव लड़ने की कर रहे हैं घोषणा
अब अडसूल स्वयं भी इसी सीट से चुनाव लड़ने की घोषणा कर रहे हैं। पिछले चुनाव में वह अविभाजित शिवसेना के उम्मीदवार थे। तब नवनीत राणा को 5,10,947 मत मिले थे, जबकि अडसूल को भी उनसे कुछ ही कम 4,73,996 मत मिले थे।राणा को दूसरी चुनौती एकनाथ शिंदे के एक और सहयोगी बच्चू कडू से मिल रही है। बच्चू कड़ू अमरावती की एक छोटी पार्टी प्रहार जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष हैं। उनकी पार्टी का उनके अलावा एक और विधायक भी अमरावती से ही है।
इस संसदीय क्षेत्र की बची तीन सीटें कांग्रेस के पास
जब शिंदे ने शिवसेना से बगावत की थी, तो बच्चू कड़ू उद्धव सरकार में अपना मंत्री पद छोड़कर उनका साथ देने के लिए उनके साथ गुवाहाटी चले गए थे। उनको अब तक शिंदे सरकार में कोई पद नहीं मिला है। अब लोकसभा चुनाव में भी वह खाली हाथ ही रह गए हैं। इस संसदीय क्षेत्र की बची तीन सीटें कांग्रेस के पास हैं। इसलिए, आनंदराव अडसूल एवं बच्चू कड़ू यदि नहीं माने तो नवनीत राणा के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं।