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CJI चंद्रचूड़ ने न्यायिक प्रक्रिया में टेक्नोलॉजी और AI के इस्तेमाल को गेम चेंजर बताया, मगर इस बार से किया आगाह

भारत के प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने न्यायिक प्रक्रिया में प्रौद्योगिकी के बढ़ते कदम और आर्टीफिशल इंटेलीजेंस (एआई) के इस्तेमाल को गेम चेंजर बताते हुए कहा कि यह समय विकास को अपनाने का है लेकिन यह देखना होगा कि तकनीकी का पूरा लाभ कैसे लिया जाए। सीजेआई ने अदालती फैसलों में एआई के शुरू हो चुके इस्तेमाल का उदाहरण देते हुए कहा कि एआई पर गहन विमर्श की जरूरत है।

By Jagran News Edited By: Abhinav Atrey Published: Sat, 13 Apr 2024 11:55 PM (IST)Updated: Sat, 13 Apr 2024 11:55 PM (IST)
CJI चंद्रचूड़ ने न्यायिक प्रक्रिया में टेक्नोलॉजी और AI के इस्तेमाल को गेम चेंजर बताया, मगर इस बार से किया आगाह
एआई का प्रयोग अवसर और चुनौतियां दोनों प्रस्तुत करता है- सीजेआई (फाइल फोटो)

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भारत के प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने न्यायिक प्रक्रिया में प्रौद्योगिकी के बढ़ते कदम और आर्टीफिशल इंटेलीजेंस (एआई) के इस्तेमाल को गेम चेंजर बताते हुए कहा कि यह समय विकास को अपनाने का है लेकिन यह देखना होगा कि तकनीकी का पूरा लाभ कैसे लिया जाए।

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सीजेआई ने अदालती फैसलों में एआई के शुरू हो चुके इस्तेमाल का उदाहरण देते हुए कहा कि एआई का एकीकरण जटिल नैतिक, कानूनी और व्यावहारिक विचारों को जन्म देता है जिन पर गहन विमर्श की जरूरत है।

खतरे की गुंजाइश के प्रति आगाह किया

उन्होंने न्यायिक क्षेत्र में एआई के इस्तेमाल में खतरे की गुंजाइश के प्रति आगाह करते हुए कहा कि अदालती निर्णय में एआई का प्रयोग अवसर और चुनौतियां दोनों प्रस्तुत करता है इस पर सूक्ष्मता से विचार करने की आवश्यकता है। लेकिन सीजेआई ने इसके साथ ही भारतीय न्यायपालिका में कंप्यूटरीकरण और तेजी से बढ़ते तकनीक के इस्तेमाल की सराहना की और बताया कि कैसे यह न्याय को सुगम बना रहा है।

कार्यक्रम को किया संबोधित

प्रधान न्यायाधीश ने ये बातें शनिवार को न्यायपालिका में तकनीकी और आर्टीफिशल इंटेलीजेंस के इस्तेमाल पर दो दिवसीय भारत-सिंगापुर न्यायिक सम्मेलन के उद्घाटन संबोधन में कहीं। इस मौके पर भारत के सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के न्यायाधीशों के अलावा सिंगापुर के चीफ जस्टिस सुंद्रेश मेनन भी मौजूद थे।

कानूनी क्षेत्र में लीगल रिसर्च में एआई गेम चेंजर की तरह उभरा

चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि कानूनी क्षेत्र में लीगल रिसर्च में एआई एक गेम चेंजर की तरह उभरा है। ये कानूनी पेशे से जुड़े लोगों को दक्षता और सटीकता के साथ सशक्त बनाता है। सीजेआई ने कहा कि चैट जीपीटी के इस्तेमाल के साथ ये सवाल उठ रहे हैं कि किसी मामले में निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए एआई पर भरोसा करना चाहिए कि नहीं।

एआई गलत नतीजे भी देता है- सीजेआई

उन्होंने उदाहरण देकर कहा कि कई बार एआई गलत नतीजे भी देता है। अदालती कार्यवाही सहित आधुनिक प्रक्रियाओं में एआइ का एकीकरण जटिल नैतिक, कानूनी और व्यावहारिक विचारों को जन्म देता है जो गहन जांच की मांग करते हैं। हालांकि इसके साथ ही चीफ जस्टिस ने भारतीय न्यायपालिका द्वारा अपनाई गई तकनीक से सहज और सरल हुई न्याय प्रक्रिया का भी उदाहरण दिया।

वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई से लोगों को आराम हुआ

कोरोना काल में शुरू की गई वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई से लोगों को कैसे आराम हुआ और अदालत आने में लगने वाला समय और परेशानी से निजात मिली। उन्होंने कहा कि भारत एक जीवंत पारिस्तथिकी तंत्र और समृद्ध कानूनी विरासत का दावा करता है। भारत न्याय प्रणाली के भीतर तकनीक को अपना रहा है। हमारी ईकोर्ट परियोजना का उद्देश्य देश भर की अदालतों को कंप्यूटरीकृत करना है न्यायपालिका को सभी स्तरों पर डिजिटल बनाना है। इसमें देश भर की अदालतों में आनलाइन केस प्रबंधन प्रणाली स्थापित करना है।

इस मौके पर सिंगापुर के चीफ जस्टिस ने भी न्यायिक प्रक्रिया में तकनीक के बढ़ते इस्तेमाल की चर्चा की।

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