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Chaitra Navratri Kab Hai 2024: चैत्र नवरात्र कब है? जानिए शुभ मुहूर्त से लेकर पूजा विधि तक सबकुछ, इस दिन कन्या पूजन

Bihar News चैत्र नवरात्र को लेकर पंडितों की राय सामने आई है। इस बार चैत्र नवरात्र कलश स्थापना 9 अप्रैल से शुरू हो रहा है। 15 अप्रैल को सुकर्मा योग में मां की प्रतिमा का पट भक्तों के लिए खुलेगा। 16 अप्रैल को महाष्टमी का व्रत तथा 17 अप्रैल को महानवमी का पाठ हवन व कन्या पूजन होगा। लोगों को अभी से देवी मां के त्योहार का इंतजार है।

By prabhat ranjan Edited By: Sanjeev Kumar Published: Fri, 29 Mar 2024 03:49 PM (IST)Updated: Fri, 29 Mar 2024 03:49 PM (IST)
Chaitra Navratri Kab Hai 2024: चैत्र नवरात्र कब है? जानिए शुभ मुहूर्त से लेकर पूजा विधि तक सबकुछ, इस दिन कन्या पूजन
चैत्र नवरात्र 9 अप्रैल से शुरू हो रहा है (जागरण)

जागरण संवाददाता, पटना। Chaitra Navratri 2024 Date: पवित्र चैत्र मास में हिंदुओं के कई पर्व त्योहार हैं। चैत्र नवरात्र से विक्रम संवत 2081 का आरंभ, चैती छठ, रामनवमी, चैत्र पूर्णिमा समेत अन्य पर्व है।

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9 अप्रैल को कलश स्थापना

चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, 9 अप्रैल मंगलवार को रेवती नक्षत्र हिंदू नव संवत्सर का आरंभ तथा वासंतिक नवरात्र कलश स्थापना के साथ आरंभ होगा।

16 अप्रैल को महाष्टमी व्रत

नया संवत मंगलवार को होने से इस वर्ष के राजा मंगल होंगे। ज्योतिष आचार्य पंडित राकेश झा ने पंचांगों के हवाले से बताया कि कलश स्थापना के दिन रेवती व अश्विनी नक्षत्र के युग्म संयोग के साथ सर्वार्थ अमृत सिद्धि योग का संयोग बना रहेगा। 15 अप्रैल को सुकर्मा योग में मां की प्रतिमा का पट भक्तों के लिए खुलेगा। 16 अप्रैल को महाष्टमी का व्रत तथा 17 अप्रैल को महानवमी का पाठ, हवन व कन्या पूजन होगा।

18 अप्रैल दशमी तिथि को देवी की विदाई कर जयंती धारण की जाएगी। कलश स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 5.46 बजे से दोपहर 12.24 बजे तक है। सुबह 11.26 बजे से 12.16 दोपहर तक अभिजीत मुहूर्त में घट स्थापना लाभाकारी होगी। ज्योतिष आचार्य पीके युग ने बताया कि मां शैलपुत्री को पीला, ब्रह्मचारिणी को हरा, चंद्रघंटा को पीला या हरा, कुष्मांडा को नारंगी, स्कंदमाता को सफेद, कात्यायनी को लाल, कालरात्रि को नीला, महागौरी को गुलाबी और सिद्धिदात्री को बैंगनी रंग का परिधान पहनाना शुभ माना जाता है।

मां के अलग-अलग रूपों की पूजा करने से भक्तों को मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है। नहाय-खाय के साथ आरंभ होगा छठ पर्व चैती छठ 12 अप्रैल को नहाय-खाय के साथ आरंभ होगा। नहाय-खाय के दिन व्रती गंगा स्नान कर अरवा चावल, चना दाल, कद्दू की सब्जी प्रसाद स्वरूप ग्रहण कर चार दिवसीय अनुष्ठान का संकल्प लेंगे। 13 अप्रैल को पूरे दिन उपवास कर शाम में खरना की पूजा के बाद प्रसाद ग्रहण करेंगी।

प्रसाद ग्रहण करने के साथ ही व्रती का 36 घंटों का निर्जला उपवास आरंभ हो जाएगा। चैत्र शुक्ल षष्ठी 14 अप्रैल को अस्ताचलगामी को अर्घ्य दिया जाएगा। 15 अप्रैल को सप्तमी तिथि में उदयीमान सूर्य को अर्घ्य देकर सूर्योपासना के महापर्व का समापन होगा। पुष्य नक्षत्र में 17 को मनेगी रामनवमी चैत्र शुक्ल नवमी तिथि 17 अप्रैल को अश्लेषा नक्षत्र के युग्म संयोग में रामनवमी मनेगा।

इस दिन श्रीराम का प्राकट्य दिवस मनाया जाएगा। घरों से लेकर मंदिरों तक में विधि-विधान के साथ हनुमत ध्वज स्थापित कर पूजा अर्चना होगी। श्रद्धालु रामचरित मानस का पाठ, राम रक्षा स्त्रोत का पाठ कर सुख-वैभव की कामना करेंगे। दिवस मां की पूजा प्रतिपदा शैलपुत्री दूसरा ब्रह्मचारिणीतीसरा चंद्रघंटा चाैथा कुष्मांडा पांचवां स्कंदमाता छठा कात्यािनी सातवां कालरात्रि आठवां महागौरी नौवां सिद्धिदात्री ........................

हिंदू नव वर्ष व चैत्र नवरात्र का आरंभ - नौ अप्रैल,  चैती छठ नहाय-खाय : 12 अप्रैल, खरना : 13 अप्रैल, सायंकालीन अर्घ्य : 14 अप्रैल, उदीयमान सूर्य को अर्घ्य व पारण - 15 अप्रैल, महाष्टमी व्रत : 16 अप्रैल, महानवमी, हवन, कन्या पूजन : 17 अप्रैल, रामनवमी व ध्वज पूजन - 17 अप्रैल, विजयादशमी : 18 अप्रैल, चैत्र पूर्णिमा - 23 अप्रैल

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