स्वास्थ्य प्रबंधन में बड़े अवसर, हास्पिटल मैनेजमेंट कोर्स के माध्यम से इस क्षेत्र में कदम बढ़ा सकते हैं...
डा. राजेश वर्मा ने बताया कि भारत में इस समय दस लाख से अधिक हेल्थकेयर मैनेजमेंट एक्सपर्ट्स की आवश्यकता है। इसलिए हास्पिटल मैनेजमेंट का कोर्स करने वालों की अस्पतालों के अलावा विभिन्न हेल्थकेयर फैसिलिटीज में काफी मांग देखी जा रही है।
अंशु सिंह। भारतीय हेल्थकेयर सेक्टर आज करीब 160 बिलियन डालर की इंडस्ट्री बन चुकी है, जिसमें अस्पतालों के अलावा मेडिकल इक्विपमेंट, सप्लाई एवं इंश्योरेंस शामिल हैं। वैश्विक महामारी के दौरान सबने देखा कि कैसे स्वास्थ्य सेवाओं, अस्पतालों पर दबाव बढ़ गया। लेकिन अस्पताल बेहतर प्रबंधन के जरिये अचानक पैदा हुई परिस्थिति से उबर पाए। कह सकते हैं कि इसमें हास्पिटल/हेल्थ मैनेजर्स की बड़ी भूमिका रही। अगर आप भी हेल्थकेयर इंडस्ट्री की चुनौतियों को दूर करने का इरादा रखते हैं, तो हास्पिटल मैनेजमेंट कोर्स के माध्यम से इस क्षेत्र में कदम बढ़ा सकते हैं...
चिकित्सकों के परिवार से ताल्लुक रखने के कारण सभी चाहते थे कि अनुभव भी मेडिकल की तैयारी करें और डाक्टर बनकर अपने दादा व पिता की विरासत को संभालें। लेकिन उनके मन में कुछ और था। अस्पतालों में व्याप्त अव्यवस्था से वे वाकिफ थे और उसे ठीक करना चाहते थे। इसलिए अनुभव ने मेडिकल की प्रवेश परीक्षा में बैठने की बजाय हास्पिटल मैनेजमेंट में ग्रेजुएशन करने का निर्णय लिया। पढ़ाई पूरी करते ही दिल्ली स्थित एक अस्पताल में नौकरी भी लग गई। वह कहते हैं, ‘पहले के समय में सीनियर डाक्टर्स के ऊपर ही अस्पतालों की व्यवस्था संभालने की जिम्मेदारी होती थी, लेकिन आज समय बदल गया है। अस्पतालों के बेहतर प्रबंधन के लिए बाकायदा मैनेजमेंट प्रोफेशनल्स की मदद ली जा रही है। ये पेशेवर ही मरीजों तक सुनियोजित तरीके से स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाने का कार्य करते हैं। इससे चिकित्सकों के ऊपर रहने वाले दबाव भी कम हुआ है।‘
क्या है हास्पिटल मैनेजमेंट
किसी भी अस्पताल में मरीजों को समुचित चिकित्सा सेवा उपलब्ध कराने से संबंधित व्यवस्था को सुनियोजित करना और उन पर पैनी नजर बनाए रखना हास्पिटल मैनेजमेंट के अंतर्गत आता है। हेल्थ मैनेजर्स यह सुनिश्चित करते हैं कि अस्पताल में उपलब्ध सुविधाओं का बेहतर इस्तेमाल हो। वे एक ऐसा तंत्र विकसित करते हैं, जिससे इलाज के लिए के लिए आने वाले मरीजों को किसी प्रकार की दिक्कत न हो। वह अस्पताल से अच्छे एवं काबिल डाक्टरों को जोड़ने के साथ ही नये उपकरण एवं तकनीक की व्यवस्था करते हैं। यहां तक कि हास्पिटल में कोई हादसा होता है, तो उसकी जवाबदेही भी इन्हीं की होती है। अस्पताल की वित्तीय व्यवस्था, कर्मचारियों की सुविधा आदि का ध्यान रखना भी हेल्थ मैनेजर्स की जिम्मेदारी होती है। वे मरीजों की बेहतर देखभाल करने, रिसर्च एवं कम्युनिटी हेल्थ केयर के लिए भी जवाबदेह होते हैं।
शैक्षिक योग्यता
देश के विभिन्न संस्थानों द्वारा हास्पिटल मैनेजमेंट के कोर्स संचालित किए जा रहे हैं। साइंस एवं अन्य स्ट्रीम से 12वीं के बाद स्टूडेंट्स इसमें दाखिला ले सकते हैं। इसके लिए उन्हें कम से कम 50 प्रतिशत अंकों के साथ 12वीं उत्तीर्ण करनी होगी। स्नातक के बाद परास्नातक (हास्पिटल मैनेजमेंट/हास्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन) और पीएचडी भी कर सकते हैं। स्नातक के अलावा, पीजी, पीजी डिप्लोमा (हास्पिटल एवं हेल्थ मैनेजमेंट) एवं सर्टिफिकेट कोर्स करके इस सेक्टर में आगे बढ़ा जा सकता है। इंडियन सोसायटी आफ हेल्थ एडमिनिस्ट्रेशन से हास्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन में एक साल का डिस्टेंस लर्निंग कोर्स भी कर सकते हैं। कुछ संस्थानों के मैनेजमेंट कोर्स में दाखिले के लिए कैट, मैट व एक्सएटी की परीक्षा को उत्तीर्ण करना होता है।
बुनियादी कौशल
हास्पिटल मैनेजर्स को वित्तीय, इंफार्मेशन सिस्टम एवं डाटा एनालिसिस की अच्छी जानकारी रखनी होती है। उनका व्यक्तित्व दोस्ताना और कम्युनिकेशन स्किल मजबूत होनी चाहिए, क्योंकि उन्हें मरीजों के साथ-साथ विभिन्न विभागों से को-आर्डिनेट करना होता है। इसके लिए धैर्य के साथ काम करना बहुत जरूरी है। इसके अलावा, उन्हें त्वरित फैसला लेने में सक्षम होना चाहिए।
संभावनाएं
हास्पिटल मैनेजमेंट ग्रेजुएट मिडिल लेवल से लेकर संस्थान के शीर्ष पदों पर कार्य कर सकते हैं। इंडस्ट्री में पर्याप्त अनुभव हासिल करने के बाद वे अपना अस्पताल या केयर होम भी शुरू कर सकते हैं। इसके अलावा अपनी योग्यता के अनुसार कालेजों में शिक्षक या लेक्चरर के पद पर कार्य कर सकते हैं। जैसा कि सभी जानते हैं कि अस्पतालों के आपरेशन यानी संचालन में काफी खर्च होता है, लिहाजा वित्तीय प्रबंधन के लिए इन दिनों बड़े अस्पतालों में चीफ फाइनेंशियल आफिसर के पदों पर भी नियुक्ति हो रही है। इसके अलावा, हास्पिटल एडमिनिस्ट्रेटर्स की भी अच्छी मांग है, जो पर्दे के पीछे रहकर सारे कार्य करते हैं। चाहे वह खर्चे को मैनेज करना हो या नियम-कायदे तैयार करना हो, जिससे कि मरीजों को आसानी से मेडिकल सुविधाएं उपलब्ध कराई जा सकें। हास्पिटल मैनेजमेंट करने वाले हेल्थकेयर एक्चुअरी, हेड आफ इक्विपमेंट जैसे पदों पर भी कार्य कर सकते हैं। हेल्थकेयर एक्चुअरी के प्रोफेशनल्स जहां स्वयंसेवी संस्थाओं के लिए काम करते हैं और इंश्योरेंस प्लान आदि बनाने में मदद करते हैं, वहीं, इक्विपमेंट डिजाइनिंग एवं मेंटिनेंस, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, बायोटेक्नोलाजी एवं मैकेनिकल इंजीनियरिंग का कोर्स करने वाले इक्विपमेंट डिपार्टमेंट की जिम्मेदारी संभालते हैं।
दस लाख से अधिक हेल्थकेयर विशेषज्ञों की आवश्यकता
भारत में इस समय दस लाख से अधिक हेल्थकेयर मैनेजमेंट एक्सपर्ट्स की आवश्यकता है। इसलिए हास्पिटल मैनेजमेंट का कोर्स करने वालों की अस्पतालों के अलावा विभिन्न हेल्थकेयर फैसिलिटीज में काफी मांग देखी जा रही है। हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स अस्पतालों में रेगुलर सेवाएं देने के अलावा बतौर कंसल्टेंट, मैनेजर एवं असिस्टेंट हास्पिटल एडमिनिस्ट्रेटर के तौर पर कार्य कर सकते हैं।
डा. राजेश वर्मा
प्रोफेसर एवं डीन, मित्तल स्कूल आफ बिजनेस, लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी
प्रमुख संस्थान
आल इंडिया इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंसेज, दिल्ली
https://www.aiims.edu/en.html
आर्म्ड फोर्सेज मेडिकल कालेज, पुणे
https://afmc.nic.in/
देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर
https://www.dauniv.ac.in/
फैकल्टी आफ मैनेजमेंट स्टडीज, दिल्ली यूनिवर्सिटी
http://www.fms.edu/
लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी, लुधियाना
https://www.lpu.in/
बिड़ला इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलाजी एंड साइंस, पिलानी
https://www.bits-pilani.ac.in/