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Career in Cloud Computing: ऐसे बनाएं क्लाउड कंप्यूटिंग में करियर, इन क्षेत्रों मे हैं मौके

Career in Cloud Computing आज नेटफ्लिक्स हाटस्टार जैसे वीडियो स्ट्रीमिंग प्लेटफार्म्स इसी क्लाउड कंप्यूटिंग टेक्नोलाजी का इस्तेमाल कर रहे हैं। कह सकते हैं कि आइटी एंटरटेनमेंट से लेकर ई-कामर्स इंडस्ट्री टेक्नोलाजी आधारित स्टार्ट-अप्स के विकास में क्लाउड कंप्यूटिंग की बड़ी भूमिका रही है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Tue, 19 Jul 2022 04:29 PM (IST)Updated: Tue, 19 Jul 2022 04:29 PM (IST)
Career in Cloud Computing: ऐसे बनाएं क्लाउड कंप्यूटिंग में करियर, इन क्षेत्रों मे हैं मौके
Career in Cloud Computing: 2025 तक देश में करीब 20 लाख क्लाउड प्रोफेशनल्स की होगी जरूरत

अंशु सिंह। क्लाउड कंप्यूटिंग पर आधारित कामकाज देश और दुनिया में तेजी से बढ़ रहा है। माना जा रहा है कि 2025 तक देश में करीब 20 लाख क्लाउड प्रोफेशनल्स की जरूरत होगी। आइटी सेक्टर में रुचि रखने वाले युवा इस तकनीक में कुशलता हासिल कर क्लाउड कंप्यूटिंग के मास्टर के रूप में अपने करियर को उड़ान दे सकते हैं...

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इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म फेसबुक हो या वीडियो शेयरिंग प्लेटफार्म यूट्यूब, इन पर रोजाना लाखों की संख्या में वीडियो एवं तस्वीरें अपलोड होती हैं। इतने सारे वीडियो को इंस्टाल करने के लिए जिस तकनीक का इस्तेमाल करते हैं, वह है क्लाउड कंप्यूटिंग। गूगल ड्राइव भी एक बेहतरीन उदाहरण कहा जा सकता है, जो इसी टेक्नोलाजी की मदद से हजारों की संख्या में फोटोज, वीडियोज, डाक्यूमेंट्स को स्टोर करता है। 

इसने कारोबार को पहले से कहीं अधिक सरल एवं सुविधजनक बना दिया है। एक रिपोर्ट के अनुसार, आने वाले वर्षों में अगर तमाम एसएमईज क्लाउड कंप्यूटिंग को अपनाती हैं, तो इसका बाजार 56 बिलियन डालर के आसपास पहुंच जाएगा। इससे 1.1 मिलियन अतिरिक्त नौकरियों के सृजित होने की संभावना है। फिलहाल, नैसकाम का सर्वे कहता है कि 2020 में देश में तीन लाख 80 हजार के करीब नौकरियां क्रिएट हुई थीं। नैसकाम की रिपोर्ट के अनुसार, 2025 तक भारत को 20 लाख के करीब क्लाउड कंप्यूटिंग प्रोफेशनल्स की जरूरत होगी। इसका तात्पर्य है कि युवाओं को बड़े स्तर पर इस क्षेत्र में कुशल बनाने की आवश्यकता है।

क्या है क्लाउड कंप्यूटिंग; क्लाउड कंप्यूटिंग एक ऐसी टेक्नोलाजी है जिसके द्वारा इंटरनेट का इस्तेमाल कर विभिन्न प्रकार की सेवाएं प्रदान की जा सकती हैं। चाहे वह साफ्टवेयर प्रदान करना हो या सर्वर पर स्टोरेज स्पेस देना या कोई और सेवा। इसमें किसी भी प्रकार की कंप्यूटर की सर्विस को इंटरनेट के जरिए यूजर की मांग पर उसे प्रदान किया जाता है। जैसे, इस टेक्नोलाजी में यूजर को इंटरनेट के एक सर्वर पर (जिसे क्लाउड भी कहते हैं) डाटा स्टोरेज की सुविधा दी जाती है। यूजर क्लाउड पर सर्विस खरीदकर अपना डाटा उस पर सेव कर सकता है। यह डाटा वह दुनिया में कहीं से भी एक्सेस कर सकता है।

क्लाउड कंप्यूटिंग में बड़े सिस्टम्स को प्राइवेट या पब्लिक नेटवर्क से जोड़कर डाटा और फाइल स्टोर कर सकते हैं। इस टेक्नोलाजी से कंप्यूटेशन, एप्लीकेशंस होस्टिंग, कंटेंट के स्टोरेज और डिलिवरी प्रोसेस में आने वाला खर्च काफी हद तक कम हो सकता है। इसकी मदद से एक संस्था या कंपनी अपने इंफ्रास्ट्रक्चर में अधिक बदलाव लाए बिना विकास कर सकती है। उन्हें रिसोर्सेज एवं डाटा की शेयरिंग में काफी फायदा होता है। इससे वायरस से होने वाले नुकसान के खतरे कम हो गए हैं। क्लाउड आधारित कंप्यूटर सिस्टम पर काम करने वाले को न किसी हार्डड्राइव की जरूरत होती है और न ही मदर बोर्ड की। सिर्फ की-बोर्ड, माउस, स्क्रीन और मोडम की मदद से कंप्यूटर को आपरेट किया जा सकता है। इससे मैनपावर की जरूरत और खर्चे कम हो गए हैं।

कैसे करता है काम: क्लाउड मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैं-प्राइवेट, पब्लिक औऱ हाइब्रिड। प्राइवेट क्लाउड के तहत एक कंपनी को प्राइवेट डोमेन दिया जाता है। इससे कंपनी को प्राइवेसी के साथ संवेदनशील डाटा की पूरी सुरक्षा मिलती है। पब्लिक क्लाउड में एक्सटर्नल प्रोवाइडर्स मल्टीपल क्लाइंट्स को क्लाउड असाइन करते हैं। इसके एवज में उन्हें एक निश्चित रकम अदा करनी होती है। सभी क्लाइंट्स सिंगल क्लाउड पर आपरेट करते हैं। वहीं, हाइब्रिड क्लाउड पब्लिक और प्राइवेट का कांबिनेशन होता है। क्लाउड कंप्यूटिंग में महंगे साफ्टवेयर पैकेजेज और हार्डवेयर सिस्टम्स इंस्टाल करने की जरूरत नहीं होती। सीधे इंटरनेट से सर्विस प्रोवाइडर को रकम देकर साफ्टवेयर को डाउनलो़ड किया जा सकता है।

शैक्षिक योग्यता: क्लाउड कंप्यूटिंग में करियर बनाने के लिए स्टूडेंट्स के पास किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से कंप्यूटर साइंस या बीटेक में स्नातक के अलावा क्लाउड कंप्यूटिंग में स्पेशलाइजेशन एवं पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री होनी चाहिए। वे क्लाउड कंप्यूटिंग और वर्चुअलाइजेशन में बीटेक, स्टोरेज एंड क्लाउड कंप्यूटिंग में मास्टर्स या फिर आइटी इंफ्रास्ट्रक्चर मैनेजमेंट जैसे कोर्स कर सकते हैं। हर संस्थान में कोर्स के अनुसार पात्रता निर्धारित होती है। वैसे, जिन छात्रों को इसमें आगे बढ़ने का जुनून है, वे डिप्लोमा या डिग्री कोर्स करके भी आ सकते हैं। इन दिनों आफलाइन एवं आनलाइन कई एडवांस सर्टिफिकेशन कोर्सेज भी आफर किए जा रहे हैं।

बुनियादी कौशल: क्लाउड कंप्यूटिंग के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रोग्रामिंग के अलावा डाटाबेस मैनजमेंट, क्लाउड एनवायरनमेंट सिक्योरिटी, नेटवर्क मैनेजमेंट, एआइ, मशीन लर्निंग जैसी स्किल्स होनी चाहिए। आपको कोडिंग के अलावा जावा स्क्रिप्ट, पाइथन प्रोग्रामिंग लैंग्वेज की जानकारी रखनी होगी। वर्चुअल नेटवर्क एवं क्लाउड नेटवर्किंग की जितनी बेसिक नालेज होगी, उतना अच्छा। डाटा इंटिग्रेशन, डाटा एनालिटिक्स, डाटा माइनिंग जैसी स्किल्स भी आगे बढ़ने का भरपूर मौका देती है।

संभावनाएं: भारत में ई-कामर्स कंपनियां और एसएमईज में क्लाउड कंप्यूटिंग पेशेवरों की मांग है, जो दिनों-दिन बढ़ ही रही है। क्लाउड कंप्यूटिंग करने के उपरांत क्लाउड साफ्टवेयर इंजीनियर, क्लाउड इंजीनियर, क्लाउड ओटोमेशन इंजीनियर, डाटा इंजीनियर, बैकएंड डेवलपर, डेवलपमेंट आपरेशंस इंजीनियर, फ्रंट एंड डेवलपर, फुल स्टैक डेवलपर, क्लाउड सिस्टम्स एडमिनिस्ट्रेटर, क्लाउड सर्विस डेवलपर, क्लाउड आर्किटेक्ट, क्लाउड कंसल्टेंट, क्लाउड प्रोडक्ट मैनेजर, क्लाउड सिक्योरिटी स्पेशलिस्ट के रूप में कार्य कर सकते हैं। टीसीएस, इंफोसिस, एचसीएल, टेक महिंद्रा जैसी कंपनियां क्लाउड कंप्यूटिंग के प्रोफेशनल्स को बड़े पैमाने पर नियुक्त करती हैं।

डिजिटाइजेशन ने बढ़ाई क्लाउड प्रोफेशनल्स की मांग: एचसीएल टेक्नोलाजीज की क्लाउड कंसल्टेंट सविता पाल ने बताया कि बैंकिंग, इंश्योरेंस, रिटेल एवं ई-कामर्स इंडस्ट्री में डिजिटल सर्विस के बढ़ते दायरे ने क्लाउड कंप्यूटिंग टेक्नोलाजी की उपयोगिता को साबित कर दिया है। आज क्लाउड स्ट्रेटेजी के बिना किसी भी बिजनेस की रणनीति नहीं तैयार हो रही है। विभिन्न क्षेत्र की कंपनियां वर्कलोड को मैनेज करने के लिए ‘क्लाउड फर्स्ट पालिसी’ अपना रही हैं। वहीं, रिमोट वर्किंग के ट्रेंड के कारण एक्सपर्ट क्लाउड प्रोफेशनल्स की इन दिनों काफी मांग देखी जा रही है। ऐसे में जो स्टूडेंट इस सेक्टर में करियर बनाना चाहते हैं, वे कुछ बेसिक टेक्निकल स्किल्स एवं प्रोग्रामिंग लैंग्वेज (पाइथन, पावरशेल,शेल स्क्रिप्टिंग, गो आदि) की जानकारी के साथ आगे बढ़ सकते हैं। इसके लिए वे एडब्ल्यूएस, माइक्रोसाफ्ट एज्योर, गूगल क्लाउड प्लेटफार्म, ओरेकल, अमेजन वेब सर्विस जैसे क्लाउड कंप्यूटिंग प्लेटफार्म्स की मदद ले सकते हैं। इस समय, कंपनियां क्लाउड माइग्रेशन, मशीन लर्निंग, एआइ में कुशल पेशेवरों को हायरिंग में प्राथमिकता दे रही हैं। वैसे, सबसे अच्छा यह रहेगा कि स्टूडेंट्स कंप्यूटर साइंस या आइटी में डिग्री लेने के बाद क्लाउड कंप्यूटिंग में अतिरिक्त विशेषज्ञता हासिल कर इस ओर अपने कदम बढ़ाएं। जितना अनुभव होगा, उतना ही आगे बढ़ेंगे।

प्रमुख संस्थान

एसआरएम यूनिवर्सिटी, चेन्नई

https://www.srmist.edu.in/

एलपीयू, जालंधर

https://www.lpu.in/

प्रेसिडेंसी यूनिवर्सिटी, बेंगलुरु

https://presidencyuniversity.in/

शूलिनी यूनिवर्सिटी, सोलन

https://shooliniuniversity.com


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