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कैबिनेट में ही तय होगी स्पेक्ट्रम की कीमत

2जी स्पेक्ट्रम की दोबारा नीलामी के लिए न्यूनतम कीमत तय करने पर अंतिम फैसला लेने से अधिकारप्राप्त मंत्रिसमूह [ईजीओएम] भी पीछे हट गया। गृह मंत्री पी चिदंबरम की अध्यक्षता में गठित इस समूह ने ढाई घंटे की बैठक में नीलाम होने वाले स्पेक्ट्रम के लिए आधार मूल्य पर सहमति तो बना ली, लेकिन अंतिम फैसला करने की जिम्मेदारी कैबिनेट पर डाल दी। ईजीओएम ने दूरसंचार नियामक ट्राई की प्रस्तावित दरों से कम कीमत पर स्पेक्ट्रम आवंटित करने की सिफारिश की है।

By Edited By: Published: Fri, 20 Jul 2012 07:03 PM (IST)Updated: Fri, 20 Jul 2012 09:28 PM (IST)

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। 2जी स्पेक्ट्रम की दोबारा नीलामी के लिए न्यूनतम कीमत तय करने पर अंतिम फैसला लेने से अधिकारप्राप्त मंत्रिसमूह [ईजीओएम] भी पीछे हट गया। गृह मंत्री पी चिदंबरम की अध्यक्षता में गठित इस समूह ने ढाई घंटे की बैठक में नीलाम होने वाले स्पेक्ट्रम के लिए आधार मूल्य पर सहमति तो बना ली, लेकिन अंतिम फैसला करने की जिम्मेदारी कैबिनेट पर डाल दी। ईजीओएम ने दूरसंचार नियामक ट्राई की प्रस्तावित दरों से कम कीमत पर स्पेक्ट्रम आवंटित करने की सिफारिश की है।

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पूर्व वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी पहले इस ईजीओएम के अध्यक्ष थे। सारी तैयारियों के बावजूद प्रणब ने इस मुद्दे पर अंतिम फैसला नहीं किया। इसके बाद कृषि मंत्री शरद पवार को इस ईजीओएम का अध्यक्ष बनाया गया, लेकिन उन्होंने भी मना कर दिया। चूंकि इसके पहले का स्पेक्ट्रम आवंटन इतनी विवादों में फंस चुका है कि सरकार फूंक-फूंक कर कदम उठा रही है। आम तौर पर ईजीओएम के फैसले को कैबिनेट में ले जाने की जरूरत नहीं होती, लेकिन सरकार इस बार पूरी सतर्कता बरतना चाहती है। अब देखना होगा कि प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली कैबिनेट क्या फैसला करती है।

ईजीओएम की बैठक के बाद केंद्रीय संचार मंत्री कपिल सिब्बल ने बताया कि ईजीओएम सभी मुद्दों पर सरकार को स्पष्ट सिफारिश देगा। इस मंत्रिसमूह का गठन स्पेक्ट्रम की कीमत, उसके इस्तेमाल और भुगतान की शर्तो को तय करने के उद्देश्य से किया गया था। एक ही हफ्ते में ईजीओएम की यह दूसरी बैठक थी।

सुप्रीम कोर्ट ने 2008 में तत्कालीन संचार मंत्री ए राजा के कार्यकाल में आवंटित स्पेक्ट्रम और 122 लाइसेंस को रद कर दिया था। इससे खाली हुए स्पेक्ट्रम की नीलामी के लिए शीर्ष अदालत ने 31 अगस्त तक का समय दिया है। ट्राई ने एक मेगाह‌र्ट्ज स्पेक्ट्रम के लिए 3,622 करोड़ रुपये की कीमत की सिफारिश की है। इस आधार पर देश भर के सभी सर्किलों का लाइसेंस लेने पर किसी भी कंपनी को करीब 18,000 करोड़ रुपये का भुगतान करना होगा। दूरसंचार कंपनियां इसे बहुत ज्यादा बता रही हैं। कई कंपनियां कह चुकी हैं कि वे इस कीमत पर नीलामी में हिस्सा नहीं लेंगी।

सिब्बल ने ईजीओएम की बैठक में हुई चर्चा के बारे में विस्तार से ब्यौरा देने से इन्कार करते हुए सिर्फ इतना कहा कि मंत्रिसमूह ने ट्राई से कम कीमत सुझाई है। सूत्र बताते हैं कि नीलामी में हिस्सा लेने वाली कंपनियों को स्पेक्ट्रम कीमत के अलावा स्पेक्ट्रम इस्तेमाल करने के लिए सालाना फीस भी अलग से देनी होगी। यह शुल्क तीन से छह प्रतिशत सालाना हो सकता है।

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