ब्याज दर में कोई कटौती नहीं
मुश्किल हालातो से जूझ रही अर्थव्यवस्था मे जान फूंकने की एक कोशिश मे सोमवार को भारतीय रिजर्व बैक अपनी तिमाही मौद्रिक नीति की समीक्षा मे रेपो दर मे एक चौथाई फीसद की कटौती कर सकता है।
नई दिल्ली। मुश्किल हालातों से जूझ रही अर्थव्यवस्था में जान फूंकने की एक कोशिश में सोमवार को भारतीय रिजर्व बैंक ने अपनी तिमाही मौद्रिक नीति की समीक्षा की। लेकिन आरबीआई ने उम्मीदों से विपरीत रेपो रेट और सीआरआर में किसी तरह की कोई कटौती नहीं की है। इस फैसले से उन लोगों को जरूर ठेस पहुंची है जो ब्याज दर में कटौती की आस लगाए हुए थे। इससे पहले आरबीआई गवर्नर और वित्तमंत्री ने भी रेपो रेट और सीआरआर में कटौती करने के संकेत दिए थे।
देश की विकास दर नौ साल में पहली बार न्यूनतम स्तर पर पहुंच गई है। औद्योगिक उत्पादन में भी तेज गिरावट ने अर्थव्यवस्था को निराश किया है। इन आंकड़ों के आने के बाद से ही सरकार विकास की रफ्तार बढ़ाने के उपायों पर जोर दे रही है। उद्योगों से लेकर सरकार तक रिजर्व बैंक से ब्याज दरों में कटौती के उपाय करने की अपेक्षा की जा रही थी।
हालांकि, महंगाई के आंकड़ों ने रिजर्व बैंक की मुश्किलें एक बार फिर बढ़ा दी है। पिछले दो महीने से महंगाई की दर में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। खासतौर पर खाद्य उत्पादों की महंगाई ने ब्याज दरों में कटौती के रिजर्व बैंक के विकल्प को काफी मुश्किल कर दिया था।
लेकिन सूत्रों के मुताबिक सरकार ने केंद्रीय बैंक को यह संकेत दे दिए हैं कि फिलहाल महंगाई से ज्यादा सुस्त होती आर्थिक विकास की रफ्तार महत्वपूर्ण है। शनिवार को वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी ने भी उम्मीद जाहिर की थी कि रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति समायोजित कर उद्योगों को राहत देगा। लेकिन सोमवार को आरबीआई ने इससे उलट फैसला लेते हुए रेपो रेट को छुआ तक नहीं। रेपो की मौजूदा दर आठ प्रतिशत है।
जानकार मान रहे थे कि उद्योगों को कर्ज उपलब्ध कराने के लिए आरबीआई बैंकिंग सिस्टम में नकदी बढ़ाने के उपाय भी कर सकता है। वैसे इस साल रिजर्व बैंक पहले ही सीआरआर में सवा फीसद की कमी कर चुका है।
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