पेट्रो मूल्यवृद्धि के नए फार्मूले की तैयारी
तेल कंपनियो की बिगड़ती माली हालत और पेट्रो मूल्यवृद्धि के राजनीतिक विरोध के बीच तालमेल बिठाने के लिए एक नया फार्मूला तैयार किया जा रहा है। इसके तहत तेल कंपनियो को पेट्रोल की कीमत बढ़ाने की इजाजत देने और ऊंची आय वाले वर्ग [अमीरों] को सब्सिडी वाली रसोई गैस की आपूर्ति से वंचित रखा जा सकता है। राजनीतिक वजहों से सरकार डीजल की खुदरा कीमत मे फिलहाल कोई छेड़छाड़ नही करना चाहती है।
नई दिल्ली [जयप्रकाश रंजन]। तेल कंपनियों की बिगड़ती माली हालत और पेट्रो मूल्यवृद्धि के राजनीतिक विरोध के बीच तालमेल बिठाने के लिए एक नया फार्मूला तैयार किया जा रहा है। इसके तहत तेल कंपनियों को पेट्रोल की कीमत बढ़ाने की इजाजत देने और ऊंची आय वाले वर्ग [अमीरों] को सब्सिडी वाली रसोई गैस की आपूर्ति से वंचित रखा जा सकता है। राजनीतिक वजहों से सरकार डीजल की खुदरा कीमत में फिलहाल कोई छेड़छाड़ नहीं करना चाहती है।
पेट्रोलियम मंत्री जयपाल रेड्डी इस फार्मूले को मंत्रियों के अधिकारप्राप्त समूह [ईजीओएम] के समक्ष रखेंगे। वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी की अध्यक्षता में गठित यह समूह संसद के मौजूदा सत्र की समाप्ति के तुरंत बाद बैठक करने वाला है। इसमें तेल कंपनियों को 1 जून, 2012 से पेट्रोल मूल्यवृद्धि की इजाजत मिल सकती है। ईजीओएम की बैठक में रेड्डी यह प्रस्ताव रखेंगे कि डीजल की खुदरा कीमत में हस्तक्षेप को पेट्रोल और रसोई गैस पर सरकार के फैसले की प्रतिक्रिया को देखते हुए रोका जा सकता है।
सूत्रों का कहना है कि पेट्रोलियम मंत्री राजनीतिक हालात को देखते हुए एक प्रायोगिक प्रस्ताव तैयार करने के पक्ष में हैं। अगर डीजल को महंगा नहीं किया जाए तो अन्य उत्पादों में मूल्यवृद्धि के फैसलों का राजनीतिक दलों की तरफ से बड़ा विरोध नहीं होगा। वैसे, तेल कंपनियों को पेट्रोल की कितनी कीमत बढ़ाने की इजाजत मिले यह फैसला ईजीओएम में ही होगा। तेल कंपनियों को अभी पेट्रोल पर 9 रुपये प्रति लीटर का अनुमानित घाटा हो रहा है।
सूत्रों के मुताबिक, पेट्रोलियम मंत्रालय का दूसरा प्रस्ताव संपन्न तबके को सब्सिडी वाली गैस की आपूर्ति को चरणबद्ध तरीके से रोकने को लेकर होगा। मंत्रालय इस बात से उत्साहित है कि हाल ही में स्थाई संसदीय समिति ने इस बात की पुरजोर वकालत की है कि अमीरों से रसोई गैस की पूरी कीमत वसूली जानी चाहिए। मंत्रालय की तरफ से जिस चरणबद्ध योजना का प्रस्ताव पेश करने पर विचार हो रहा है, उसमें सबसे पहले एमपी, एमएलए व आधिकारी वर्ग के कर्मचारियों को सब्सिडी वाली रसोई गैस की आपूर्ति बंद की जाएगी। दूसरे चरण में 50 हजार रुपये प्रति माह से अधिक आय वालों से रसोई गैस की पूरी कीमत वसूली जाएगी। अभी दिल्ली में रसोई गैस की कीमत ग्राहकों से 400 रुपये प्रति सिलेंडर वसूलने के बावजूद तेल कंपनियों को 570 रुपये का घाटा हो रहा है।
तेल कंपनियों की मुश्किल
1. दिसंबर, 2011 के बाद नहीं मिली पेट्रोल कीमत बढ़ाने की इजाजत
2. पिछले छह महीने से कच्चा तेल 110 से 120 डॉलर प्रति बैरल के बीच
3. पेट्रोल पर नौ, डीजल पर 16 व रसोई गैस पर 570 रुपये का घाटा
4. वर्ष 2011-12 के लिए सरकार से 49 हजार करोड़ रुपये और मांगे
5. तेल कंपनियों को इस साल 1.81 लाख करोड़ रुपये का घाटा संभव
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