तेल कंपनियां बचाने को दाम बढ़ाना जरूरी
मुंबई। सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियों के भारी-भरकम घाटे को देखते हुए डीजल, केरोसिन और रसोई गैस के दाम बढ़ाना जरूरी है। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने तेल कंपनियों को बचाने के लिए इसकी तत्काल जरूरत बताई है। इससे सरकार को भी अपना घाटा कम करने में मदद मिलेगी। इनकी बिक्री सरकार द्वारा नियंत्रित कीमतों पर की जाती है। हालां
मुंबई। सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियों के भारी-भरकम घाटे को देखते हुए डीजल, केरोसिन और रसोई गैस के दाम बढ़ाना जरूरी है। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने तेल कंपनियों को बचाने के लिए इसकी तत्काल जरूरत बताई है। इससे सरकार को भी अपना घाटा कम करने में मदद मिलेगी। इनकी बिक्री सरकार द्वारा नियंत्रित कीमतों पर की जाती है। हालांकि, सरकार ने साफ कर दिया है कि डीजल के दाम को नियंत्रणमुक्त करने का फिलहाल कोई इरादा नहीं है।
क्रिसिल ने कहा है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की ऊंची कीमतों से तेल कंपनियों के घाटे में बेतहाशा बढ़ोतरी हो रही है। इसे देखते हुए डीजल का दाम बढ़ाया जाना चाहिए। इसे अब ज्यादा दिनों तक टाला नहीं जा सकता। तेल कंपनियों के कुल घाटे में इसकी हिस्सेदारी 60 फीसद है। क्रिसिल का कहना है कि कीमतों में तत्काल 10-15 फीसद की वृद्धि करके इसे चरणबद्ध तरीके से अंतरराष्ट्रीय कीमतों से जोड़ा जाना चाहिए। सार्वजनिक क्षेत्र की तीनों तेल कंपनियों इंडियन ऑयल [आइओसी], भारत पेट्रोलियम [बीपीसीएल] और हिंदुस्तान पेट्रोलियम [एचपीसीएल] को अप्रैल-जून तिमाही में कुल 40,500 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है। आइओसी को सबसे ज्यादा 22 हजार करोड़ रुपये का घाटा हुआ है। देश में किसी भी कंपनी का अब तक का यह सर्वाधिक तिमाही घाटा है।
डीजल की कीमतें इससे पहले जून 2011 में बढ़ाई गई थी। वित्त वर्ष 2011-12 में पेट्रो उत्पादों की बिक्री पर तेल कंपनियों का नुकसान 77 फीसद बढ़कर 1,38,500 करोड़ रुपये हो गया। क्रिसिल के मुताबिक चालू वित्त वर्ष में कंपनियों का यह घाटा पिछले साल से भी ज्यादा रह सकता है। कंपनियों को डीजल की बिक्री पर 14 रुपये प्रति लीटर, केरोसिन पर 29 रुपये प्रति लीटर और रसोई गैस पर 250 रुपये प्रति सिलेंडर का नुकसान हो रहा है।
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