Move to Jagran APP

बाजार में अरबों डालर झोंकने के बाद भी रुपया बेदम

नई दिल्ली। कमजोर अर्थव्यवस्था और खराब वैश्विक हालात ने रुपये पर ऐसा पलीता लगाया है कि रुपया डालर के मुकाबले में बेदम हो रहा है। भारतीय मुद्रा की इज्जत बचाने के लिए रिजर्व बैंक पिछले कई महीनों से बाजार में डालर झोंक रहा है। इसके बावजूद रुपया संभाले नहीं संभल रहा है, जबकि केंद्रीय बैंक ने इसकी भारी कीमत अपने विदेशी मुद्रा भंडार का एक

By Edited By: Published: Thu, 12 Jul 2012 09:33 AM (IST)Updated: Thu, 12 Jul 2012 09:49 AM (IST)
बाजार में अरबों डालर झोंकने के बाद भी रुपया बेदम

नई दिल्ली। कमजोर अर्थव्यवस्था और खराब वैश्विक हालात ने रुपये पर ऐसा पलीता लगाया है कि रुपया डालर के मुकाबले में बेदम हो रहा है। भारतीय मुद्रा की इज्जत बचाने के लिए रिजर्व बैंक पिछले कई महीनों से बाजार में डालर झोंक रहा है। इसके बावजूद रुपया संभाले नहीं संभल रहा है, जबकि केंद्रीय बैंक ने इसकी भारी कीमत अपने विदेशी मुद्रा भंडार का एक बड़ा हिस्सा गंवाकर चुकाई है। इससे रिजर्व बैंक का यह भंडार नाजुक स्थिति में आ गया है।

loksabha election banner

डालर के मुकाबले रुपये की विनिमय दर में सबसे ज्यादा उतार-चढ़ाव इस साल मई-जून के दौरान देखा गया है। इन दोनों महीनों में आरबीआइ ने करीब डेढ़ अरब डालर बाजार में डाले, फिर भी एक डालर की कीमत को 56 रुपये के ऊपर जाने से नहीं रोक पाया। सरकार के खस्ताहाल खजाने के चलते रिजर्व बैंक के रुपये की कीमत को रोकने के जितने भी प्रयास थे, वे नाकाफी साबित हुए।

अंतर बैंक विदेशी मुद्रा बाजार में डालर के मुकाबले रुपये की कीमत में अभी भी गिरावट का रुख बना हुआ है। बुधवार को भारतीय मुद्रा 24 पैसे कमजोर होकर 55.64 रुपये प्रति डालर पर बंद हुई।

अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले रुपये की कीमत में गिरावट पिछले साल सितंबर से शुरू हुई। अंतरराष्ट्रीय बाजार में अन्य विदेशी मुद्राओं के मुकाबले डालर की मजबूती ने रुपये को और कमजोर बनाया। रिजर्व बैंक तभी से रुपये की कीमत को संभालने की कोशिश कर रहा है। आंकड़ों के मुताबिक सितंबर, 2011 की शुरुआत से अब तक रिजर्व बैंक रुपये को थामने के लिए 22.23 अरब डॉलर बाजार में डाल चुका है, लेकिन नतीजा सिफर ही रहा। तब से रुपये की कीमत करीब 33 प्रतिशत नीचे आ चुकी है।

जानकारों की मानें तो अर्थव्यवस्था की अंदरूनी स्थिति इतनी कमजोर है कि केंद्रीय बैंक का कोई भी कदम रुपये को डालर के मुकाबले खड़ा नहीं कर पा रहा है।

सीमित संसाधनों के बावजूद रुपये की कीमत को गिरने से रोकने के चलते रिजर्व बैंक के विदेशी मुद्रा भंडार (फॉरेक्स रिजर्व) में तेजी से कमी आई है। दो सितंबर, 2011 को रिजर्व बैंक के पास 319 अरब डालर का विदेशी मुद्रा भंडार था। यह 29 जून के आंकड़ों के मुताबिक सिमटकर 289.9 अरब डालर रह गया है। ऐसी सूरत में अब अगर डॉलर में मजबूती आती है तो आरबीआइ चाहकर भी बाजार में रुपये की मदद के लिए नहीं उतर पाएगा।

इंडिया फॉरेक्स एडवाइजर्स के सीईओ अभिषेक गोयनका मानना है कि मौजूदा अंतरराष्ट्रीय स्थितियों को देखते हुए रुपये में मंदी का रुख है। इसलिए एक डालर की कीमत 57 रुपये तक भी चली जाए तो ताज्जुब की बात नहीं होगी।

रिजर्व बैंक का कदम-

-फिर भी डॉलर के सामने नहीं संभल पा रही भारतीय मुद्रा

-दस महीने में 22.23 अरब डॉलर घटा विदेशी मुद्रा भंडार

विदेशी मुद्रा भंडार

माह , फारेक्स रिजर्व

सितंबर, 2011 , 319 अरब डॉलर

जून, 2012 , 289 अरब डॉलर

मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.