मूडीज ने फिर घटाया विकास दर अनुमान
नई दिल्ली। अर्थव्यवस्था के सुस्ती से उबरने को लेकर देसी-विदेशी संस्थाओं का भरोसा बहाल होता नहीं दिख रहा है। ग्लोबल रेटिंग एजेंसी मूडीज ने वर्ष 2012 के लिए विकास दर अनुमान को फिर से घटाकर 5.5 फीसद कर दिया है। कमजोर मानसून, गलत आर्थिक नीतियों और ग्लोबल संकट के कारण एजेंसी ने यह कटौती की है।
नई दिल्ली। अर्थव्यवस्था के सुस्ती से उबरने को लेकर देसी-विदेशी संस्थाओं का भरोसा बहाल होता नहीं दिख रहा है। ग्लोबल रेटिंग एजेंसी मूडीज ने वर्ष 2012 के लिए विकास दर अनुमान को फिर से घटाकर 5.5 फीसद कर दिया है। कमजोर मानसून, गलत आर्थिक नीतियों और ग्लोबल संकट के कारण एजेंसी ने यह कटौती की है। इससे पहले इसने जीडीपी के 6.5 फीसद की दर से बढ़ने का अनुमान लगाया था। मूडीज ने वर्ष 2013 के अपने अनुमान को भी 6.2 फीसद से कम कर छह फीसद कर दिया है।
मूडीज के वरिष्ठ अर्थशास्त्री ग्लेन लेविन का कहना है कि भारतीय रिजर्व बैंक और सरकार की ओर से अर्थव्यवस्था के हित में सही कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। दोनों की ओर से न तो ऐसे कोई संकेत ही मिल रहे हैं जिससे अर्थव्यवस्था रफ्तार पकड़ सके। कमजोर मानसून सुस्ती को बढ़ाने में और मददगार हो रही है। जून-सितंबर अवधि में औसत से 20 फीसद कम बारिश से कृषि क्षेत्र और ग्रामीणों की आमदनी प्रभावित होगी। इससे खाद्य कीमतें बढ़ेंगी और उपभोक्ता मांग में कमी आएगी। मूडीज का कहना है कि ग्लोबल आर्थिक संकट ने तो पहले से ही घरेलू अर्थव्यवस्था को अपनी चपेट में ले रखा है।
दो दिन पहले ही घरेलू रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने भी जीडीपी का अनुमान घटाकर 5.5 फीसद कर दिया था। सरकार ने चालू वित्त वर्ष 2012-13 के लिए सात फीसद विकास दर का अनुमान लगाया है। मगर योजना आयोग, भारतीय रिजर्व बैंक सहित तमाम देसी-विदेशी वित्तीय संस्थानों ने अपने अनुमान में कटौती कर दी है।
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