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जेट ने रोकी थी टाटा की उड़ान

अगर टाटा समूह और सिंगापुर एयरलाइंस को 15 साल पहले निजी एयरलाइंस शुरू करने की मंजूरी दी गई होती तो देश में विमानन क्षेत्र का इतिहास कुछ और ही होता। उड़ान भरना तो दूर, जेट की शह पर विदेशी निवेश के सवाल पर शुरू में ही इस योजना के पर कतर दिए गए। यह बात पूर्व नौकरशाह एमके कॉ ने अपनी किताब में कही है।

By Edited By: Published: Mon, 30 Apr 2012 08:41 AM (IST)Updated: Mon, 30 Apr 2012 12:50 PM (IST)
जेट ने रोकी थी टाटा की उड़ान

नई दिल्ली। अगर टाटा समूह और सिंगापुर एयरलाइंस को 15 साल पहले निजी एयरलाइंस शुरू करने की मंजूरी दी गई होती तो देश में विमानन क्षेत्र का इतिहास कुछ और ही होता। उड़ान भरना तो दूर, जेट की शह पर विदेशी निवेश के सवाल पर शुरू में ही इस योजना के पर कतर दिए गए। यह बात पूर्व नौकरशाह एमके कॉ ने अपनी किताब में कही है।

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आइके गुजराल सरकार के समय नागर विमानन सचिव रहे कॉ की किताब एन ऑउटसाइडर एवरीवेयर- रेवेलेशन बाइ एन इनसाइडर के नाम से प्रकाशित हुई है।

इस किताब में कहा गया है कि टाटा समूह ने सिंगापुर एयरलाइंस की 40 फीसद हिस्सेदारी के साथ एक निजी विमानन कंपनी शुरू करने का प्रस्ताव किया था। रतन टाटा से बड़ी चुनौती मिलने की आशंका से नरेश गोयल की अगुआई वाली जेट एयरवेज ने विदेशी हिस्सेदारी को लेकर मामले में मध्यस्थता की थी।

कॉ ने लिखा कि इसे जेट की टाटा पर विजय के रूप में देखा गया था। यदि इसे नीति के तौर पर पेश किया जाता तो टाटा समूह के लिए माफिक हालात पैदा होते। तत्कालीन नागर विमानन मंत्री सीएम इब्राहिम खुश नहीं थे। वह राजी नहीं थे। जेट वालों ने उन्हें कहा था कि मैं टाटा समूह को फायदा पहुंचाने की कोशिश कर रहा

मंत्री ने बार-बार कोशिश करने के बावजूद इस फाइल को अपनी मंजूरी नहीं दी। हाल ही में रतन ने कहा था कि एक आदमी टाटा समूह और उसकी विमानन क्षेत्र में उतरने की इच्छा के आड़े आ गया, लेकिन उन्होंने इसका ब्योरा नहीं दिया।

सेवानिवृत्ता नौकरशाह ने नए प्रस्तावों में भी विदेशी विमानन कंपनियों को 40 फीसद हिस्सेदारी देने की मंजूरी से जुड़े प्रावधान की वकालत की है। उन्होंने कहा कि आज भी देश में नागर विमानन नीति नहीं है।

इस क्षेत्र के कई विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक जेट एयरवेज के प्रमोटर इस क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश से सहमत नहीं होंगे, तब तक एफडीआइ को मंजूरी नहीं मिलेगी।

कॉ के मुताबिक टाटा समूह बेंगलूर में एक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा भी बनाना चाहता था। उनके पास एक ऐसा विदेशी सहयोगी था, जिसके पास ग्लोबल स्तर का हवाई अड्डा बनाने की सारी विशेषज्ञता थी। आमतौर पर इस प्रस्ताव को मंजूरी मिल जानी चाहिए थी। कॉ ने इस मामले को मंत्री इब्राहिम के सामने रखा, लेकिन उन्होंने इस प्रस्ताव को अनुमति नहीं दी। टाटा आखिरकार इंतजार करके थक गए और अपना प्रस्ताव वापस ले लिया।

भ्रष्टाचार की कहानी है एयर इंडिया

एयर इंडिया की मौजूदा स्थिति के बारे में उन्होंने कड़ी टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि यह विमानन कंपनी के बेनामी स्वामित्व, रिश्वत, सभी प्रतिद्वंद्वी कंपनियों के एक के बाद एक डूबने, नौकरशाहों व राजनीतिक नेताओं द्वारा कुप्रबंधन, वीवीआइपी उड़ान, हज उड़ान ने इसका बेड़ा गर्क किया। यह बेशर्मी से लूटने और बेइंतहा भ्रष्टाचार की कहानी है।

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