Move to Jagran APP

आंकड़ों में उलटफेर से आती है साख पर आंच

बीते दिनो औद्योगिक उत्पादन के आंकड़ो मे हुई गड़बड़ी से सरकारी सांख्यिकी की विश्वसनीयता सवालो के घेरे मे है। विशेषज्ञो के मुताबिक संशोधन के बाद आंकड़ो मे भारी उलटफेर से देश की साख पर खासा असर पड़ता है। लिहाजा सरकार को इन्हे जुटाने के लिए बेहतर प्रणाली विकसित करनी चाहिए। साथ ही किसी गड़बड़ी के लिए जवाबदेही भी तय की जाए। ससद की स्थाई समिति ने भी आकड़ो की गड़बड़ी को गभीरता से लिया है। सरकार से इस पूरे मामले मे रिपोर्ट मागी है।

By Edited By: Published: Thu, 03 May 2012 07:07 PM (IST)Updated: Thu, 03 May 2012 07:39 PM (IST)
आंकड़ों में उलटफेर से आती है साख पर आंच

नई दिल्ली। बीते दिनों औद्योगिक उत्पादन के आंकड़ों में हुई गड़बड़ी से सरकारी सांख्यिकी की विश्वसनीयता सवालों के घेरे में है। विशेषज्ञों के मुताबिक संशोधन के बाद आंकड़ों में भारी उलटफेर से देश की साख पर खासा असर पड़ता है। लिहाजा सरकार को इन्हें जुटाने के लिए बेहतर प्रणाली विकसित करनी चाहिए। साथ ही किसी गड़बड़ी के लिए जवाबदेही भी तय की जाए। संसद की स्थाई समिति ने भी आंकड़ों की गड़बड़ी को गंभीरता से लिया है। सरकार से इस पूरे मामले में रिपोर्ट मांगी है।

loksabha election banner

पिछले महीने फरवरी के औद्योगिक उत्पादन के आंकड़े [आइआइपी] जारी किए गए। इसके साथ ही जनवरी, 2012 के आइआइपी के संशोधित आंकड़े भी सामने आए। शुरू में औद्योगिक उत्पादन की विकास दर 6.8 प्रतिशत रही, लेकिन संशोधित आंकड़ों में यह घटकर मात्र 1.4 फीसद रह गई। आर्थिक क्षेत्र में इसकी तीखी प्रतिक्रिया हुई। अक्टूबर, 2011 में निर्यात के आंकड़ों में भी गड़बड़ी सामने आई थी। खाद्य महंगाई के मामले में भी कई मौके ऐसे आए, जब संशोधित आंकड़ों में भारी उलटफेर हुआ।

कारोबारी सलाहकार फर्म डन एंड ब्रैडस्ट्रीट के वरिष्ठ अर्थशास्त्री अरुण सिंह ने कहा कि इसमें दो राय नहीं कि संशोधन के बाद आंकड़ों में यदि बड़ा बदलाव होता है, तो इससे देश की साख प्रभावित होती है। निवेशकों पर इसका ज्यादा असर होता है। इससे सभी तरह के आंकड़ों पर प्रश्नचिन्ह लग जाता है। उद्योग चैंबर पीएचडी सीसीआइ के मुख्य अर्थशास्त्री एसपी शर्मा ने भी कहा कि सरकार को अपने आंकड़े जुटाने की प्रक्रिया को दुरुस्त करना चाहिए। एक बार आंकड़े जारी होने के बाद उनकी समीक्षा में एक प्रतिशत अंक से ज्यादा की घटबढ़ नहीं होनी चाहिए। वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने भी आइआइपी आंकड़ों में आए बदलाव को चकित करने वाला बताया था। ग्लोबल रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड एंड पुअर्स द्वारा भारत की परिदृश्य रेटिंग को नकारात्मक कर दिए जाने पर शर्मा ने कहा कि केवल ऊंचे राजकोषीय घाटे और चालू खाते के घाटे के आधार पर साख घटाना ठीक नहीं है।

मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.