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गरीबी घटाने को बढ़ानी होगी विकास की रफ्तार

भारत को अगर गरीबी घटानी है तो आर्थिक विकास की रफ्तार बढ़ानी होगी। योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया के मुताबिक, विकास दर को पटरी पर न लाया गया तो गरीबी में कमी होना मुश्किल है। अहलूवालिया ने बताया कि चालू वित्त वर्ष [2012-13] की पहली छमाही में सकल घरेलू उत्पाद [जीडीपी] की वृद्धि दर 5.4 फीसद

By Edited By: Published: Sun, 02 Dec 2012 08:05 AM (IST)Updated: Sun, 02 Dec 2012 08:19 AM (IST)
गरीबी घटाने को बढ़ानी होगी विकास की रफ्तार

नई दिल्ली। भारत को अगर गरीबी घटानी है तो आर्थिक विकास की रफ्तार बढ़ानी होगी। योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया के मुताबिक, विकास दर को पटरी पर न लाया गया तो गरीबी में कमी होना मुश्किल है।

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अहलूवालिया ने बताया कि चालू वित्त वर्ष [2012-13] की पहली छमाही में सकल घरेलू उत्पाद [जीडीपी] की वृद्धि दर 5.4 फीसद रही। अर्थव्यवस्था की यह रफ्तार पिछले साल की समान छमाही में 7.3 फीसद की विकास दर को देखते काफी धीमी है। आयोग के अनुमान के मुताबिक वर्ष 1994 से 2004 के बीच गरीबी घटने की दर 0.8 फीसद थी। पिछले सात साल में गरीबी घटने के दर में तेजी से वृद्धि हुई है। ऊंची विकास दर के कारण 11वीं पंचवर्षीय योजना में वास्तविक भत्तों में उछाल आया। वर्ष 2007 के बाद वास्तविक भलो चार गुना तेजी से बढ़े।

देश में विकास दर तभी बढ़ेगी, जब लोगों की आमदनी ऊंचे स्तर पर पहुंचेगी। इससे सामाजिक न्याय की अवधारणा को भी बल मिलेगा। उन्होंने लोगों की दक्षता बढ़ाने की जरूरत जताई ताकि वे ग्रामीण क्षेत्रों में गैर कृषि कार्यो से अच्छी आमदनी हासिल कर सकें।

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