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मिस्त्री की टाटा ग्रुप को दो-टूक: स्वतंत्र निदेशकों पर सवाल उठाना दुर्भाग्यपूर्ण बात

टाटा सन्स के चेयरमैन पद से साइरस मिस्‍त्री ने इंडिपेंडेंट डायरेक्‍टर्स की आजादी पर सवाल उठाए जाने को दुर्भाग्‍यपूर्ण बताया है

By Surbhi JainEdited By: Published: Sun, 13 Nov 2016 10:22 PM (IST)Updated: Wed, 11 Jan 2017 03:58 PM (IST)
मिस्त्री की टाटा ग्रुप को दो-टूक: स्वतंत्र निदेशकों पर सवाल उठाना दुर्भाग्यपूर्ण बात

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नई दिल्ली। टाटा सन्स के चेयरमैन पद से साइरस मिस्त्री ने इंडिपेंडेंट डायरेक्टर्स की आजादी पर सवाल उठाए जाने को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। मिस्त्री ने रविवार को ग्रुप को एक लेटर लिखा, जिसमें उन्होंने उन तमाम बातों के जवाब दिए जिनको ग्रुप उनके हटाए जाने की वजह बताया जा रहा है। मिस्त्री के लेटर के बाद टाटा सन्स ने अपनी प्रतिक्रिया भी दी। ग्रुप ने कहा कि स्थिति को मैनेज करने के लिए जो भी कदम उठाने पड़ेंगे, मैनेजमेंट उनके लिए तैयार है।

साइरस मिस्त्री ने पूछा वाडिया, पारेख और गोदरेज पर सवाल क्यों?

साइरस मिस्त्री ने टाटा समूह को लिखे लेटर में कहा कि जिन स्वतंत्र निदेशकों पर सवाल उठाए जा रहे हैं, उनमें दीपक पारेख, नुस्ली वाडिया और नादिर गोदरेज शामिल हैं। इन सभी दिग्गजों पर सवाल उठाना दुर्भाग्यपूर्ण है।

स्ट्रक्चर में बदलाव करना योजना का हिस्सा था: साइरस मिस्त्री

मिस्त्री ने लिखा कि उन पर लगाए गए आरोपों का सच्चाई से कोई वास्ता नहीं है। बोर्ड स्ट्रक्चर में बदलाव उस प्लान का हिस्सा था, जिसके जरिए कॉरपोरेट गवर्नेंस प्रैक्टिस में बदलाव करना था। इसकीमदद से नमक से लेकर सॉफ्टवेयर कंपनियों को इंडिपेंडेंटली चलाने का प्लान था।

मिस्त्री ने कहा है कि उनके चेयरमैन रहने के दौरान तैयार किए गए फ्रेमवर्क का लक्ष्य ग्रुप कंपनियों की वैल्यूज को मानना, बेस्ट प्रैक्टिसेज को बढ़ावा देना और टैलेंट को आगे लाना था।

यह काम ग्रुप की कंपनियों के इंडिपेंडेंट बोर्ड से ऑपरेटिंग हक छीने बिना किया जाना था। यह सिर्फ शेयरधारकों, कर्मचारियों और माइनोरिटी शेयरहोल्डर्स के हितों की रक्षा के लिए किया गया था। यह केवल जिम्मेदारी बांटने का मामला था।

मिस्त्री ने हमारा भरोसा तोड़ा

टाटा सन्स ने गुरुवार को 9 पेज का लेटर लिखकर साइरस मिस्त्री के आरोपों का जवाब दिया था। ग्रुप का कहना है कि मिस्त्री ने हमारा भरोसा तोड़ा है। वे टाटा ग्रुप की मेन ऑपरेटिंग कंपनियों से दूसरे रिप्रेजेंटेटिव्स को बाहर कर खुद का कंट्रोल चाहते थे। मिस्त्री की स्ट्रैट्जी थी कि वे टाटा बोर्ड में अकेले ही रिप्रेजेंटेटिव रहें। मिस्त्री का यह प्लान सोचा-समझा था और इस पर वे चार साल से काम कर रहे थे।


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