एविएशन में एफडीआई को मिल सकती है मंजूरी
सरकार जल्द ही अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने वाले कुछ बड़े फैसले ले सकती है। इसकी शुरुआत शुक्रवार को होने वाली कैबिनेट की बैठक से होने की संभावना है। मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति [सीसीईए]अपनी बैठक में पांच सार्वजनिक उपक्रमों में विनिवेश के फैसले के साथ-साथ एविएशन क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश एफडीआई को
नई दिल्ली। सरकार जल्द ही अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने वाले कुछ बड़े फैसले ले सकती है। इसकी शुरुआत शुक्रवार को होने वाली कैबिनेट की बैठक से होने की संभावना है। मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति [सीसीईए] अपनी बैठक में पांच सार्वजनिक उपक्रमों में विनिवेश के फैसले के साथ-साथ एविएशन क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश एफडीआई को हरी झंडी दिखा सकती है।
खस्ता वित्तीय हालत से गुजर रहीं घरेलू एयरलाइनों की मदद के लिए उद्योग लंबे समय से एविएशन में विदेशी एयरलाइन कंपनियों घरेलू एयरलाइनों में एफडीआई को मंजूरी देने की मांग की जा रही है। लंबे इंतजार के बाद सीसीईए अपनी बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दे सकती है। केंद्रीय वाणिज्य, उद्योग व कपड़ा मंत्री आनंद शर्मा ने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा कि बैठक के एजेंडा में यह प्रस्ताव शामिल है।
वित्त और नागरिक विमानन मंत्रालय घरेलू एविएशन कंपनियों में विदेशी एयरलाइनों को 49 प्रतिशत इक्विटी हिस्सेदारी खरीदने के प्रस्ताव पर पहले ही सहमति जता चुके हैं। वैसे, कुछ मंत्रालयों से इस पर अनुमति की मुहर लगना बाकी है। माना जा रहा है कि अब सरकार मंत्रिमंडल की बैठक में ही इस विषय पर सहमति बनाएगी।
मौजूदा विमानन नीति में एविएशन क्षेत्र में 49 प्रतिशत एफडीआई की इजाजत तो है, परंतु विदेशी एयरलाइनों को इसकी अनुमति नहीं है। गैर-एविएशन क्षेत्र से जुड़े विदेशी निवेशक इस स्तर तक नागरिक विमानन क्षेत्र में निवेश कर सकते हैं। अगर कैबिनेट विदेशी एयरलाइन कंपनियों को 49 प्रतिशत विदेशी निवेश की इजाजत दे देती है तो इसका सबसे अधिक फायदा किंगफिशर को होगा। निजी क्षेत्र की यह एयरलाइन नकदी की कमी से बुरी तरह जूझ रही है।
सीसीईए की बैठक में हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड [एचसीएल], नाल्को, नेवेली लिग्नाइट, ऑयल इंडिया और एमएमटीसी में विनिवेश के प्रस्ताव को भी मंजूरी मिल सकती है। सरकार एचसीएल में 9.59, नाल्को में 12.15, नेवेली लिग्नाइट में 5, ऑयल इंडिया में 10 और एमएमटीसी में 9.33 प्रतिशत इक्विटी कम करना चाहती है।
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