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केयर्न-वेदांता सौदे पर कोर्ट ने केंद्र से जवाब मांगा

सुप्रीम कोर्ट ने केयर्न-वेदांता के 8.5 अरब डालर के सौदे की वैधता को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका पर केंद्र से जवाब मागा है। याचिका में इसके साथ ही इस बात की सीबीआई जाच कराने की भी माग की गई है कि क्यों ओएनजीसी और सरकार ने सौदे में अपने कानूनी अधिकार का इस्तेमाल करने पर जोर नहीं दिया।

By Edited By: Published: Mon, 23 Apr 2012 07:12 PM (IST)Updated: Mon, 23 Apr 2012 07:46 PM (IST)

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने केयर्न-वेदांता के 8.5 अरब डालर के सौदे की वैधता को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा है। याचिका में इसके साथ ही इस बात की सीबीआई जांच कराने की भी मांग की गई है कि क्यों ओएनजीसी और सरकार ने सौदे में अपने कानूनी अधिकार का इस्तेमाल करने पर जोर नहीं दिया।

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न्यायमूर्ति डी के जैन और न्यायमूर्ति अनिल आर दवे की पीठ ने केंद्र को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। याचिका में इस सौदे के विभिन्न पहलुओं का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक [कैग] से आडिट कराने की भी मांग की गई है।

याचिका में अनिल अग्रवाल की अगुवाई वाली वेदांता रिसोर्सेज द्वारा केयर्न इंडिया में बहुलांश हिस्सेदारी का अधिग्रहण करने को सरकार की मंजूरी का भी आडिट कराने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि इस तरह की पेशकश पहले सार्वजनिक क्षेत्र की ओएनजीसी को की जानी चाहिए थी।

जनहित याचिका पर पीठ ने ओएनजीसी, केयर्न एनर्जी और वेदांता रिसोर्सेज को भी नोटिस जारी किया है। इससे पहले 2 मार्च को न्यायमूर्ति एच एल दत्तू और न्यायमूर्ति सी के प्रसाद की पीठ ने याचिका की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था।

बेंगलूर निवासी अरुण कुमार अग्रवाल द्वारा दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि ओएनजसी के केयर्न समूह के साथ करार में यह प्रावधान है कि यदि केयर्न समूह केयर्न इंडिया में अपने शेयर बेचना चाहेगा, तो इसकी पेशकश पहले ओएनजीसी से की जाएगी।

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