Raju Pal Murder: पांच किलोमीटर तक विधायक राजू पाल पर बरसाई गई थी गोली, इस माफिया का नाम आया था सामने
Raju Pal Murder बसपा विधायक राजू पाल हत्याकांड को लेकर बड़ा फैसला आया है। लखनऊ की सीबीआई कोर्ट ने मामले में शुक्रवार को अहम फैसला सुनाते हुए चार आरोपियों को दोषी करार दिया है। सात आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र तय किया है। इसमें अब्दुल कवि रंजीत पाल आबिद प्रधान जावेद फरहान इसरार गुलहसन शामिल है। तीन आरोपियों की मौत हो चुकी है।
जागरण संवाददाता, प्रयागराज। Raju Pal Murder तिथि 25 जनवरी 2005। दिन मंगलवार। दोपहर करीब तीन बजे थे। शहर पश्चिमी के तत्कालीन बसपा विधायक राजू पाल स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल स्थित पोस्टमार्टम हाउस से अपने साथियों के साथ दो गाड़ी में सवार होकर अपने घर नीवां धूमनगंज के लिए निकले थे।
जीटी रोड स्थित सुलेमसराय में उनकी क्वालिस गाड़ी को घेरकर हमलावरों ने गोलियां बरसानी शुरू कर दी थी। इतना ही नहीं आटो में जब राजू पाल समेत अन्य घायलों को बाई का बाग स्थित जीवन ज्योति अस्पताल ले जाया जा रहा था, तब भी रास्ते में गोलियों की तड़तड़ाहट सुनाई पड़ी थी।
सुलेमसराय से मेडिकल चौराहे तक करीब पांच किलोमीटर तक गोलियों की बौछार हुई थी। इस सनसनीखेज हत्याकांड से शहर ही नहीं, पूरा प्रदेश दहल उठा था। माफिया अतीक अहमद, उसके भाई अशरफ, करीबी फरहान, आबिद, रंजीत पाल, अब्दुल कवि, इसरार अहमद, गुलहसन, जावेद आदि के खिलाफ धारा 147, 148, 149, 307, 302, 120 बीस 506 आइपीसी और 7 सीएलए एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कराया गया था। अतीक अहमद तब फूलपुर से समाजवादी पार्टी का सांसद था।
नीवां धूमनगंज निवासी राजू पाल को बहुजन समाज पार्टी ने वर्ष 2004 में शहर पश्चिमी विधानसभा से टिकट दिया था। राजू पाल के सामने माफिया अतीक अहमद का छोटा भाई अशरफ था। अशरफ सपा के टिकट से मैदान में था, जबकि अतीक सपा से फूलपुर का सांसद था। विधानसभा चुनाव हुआ और राजू पाल ने अशरफ को पराजित कर दिया था। इसे लेकर माफिया के कुनबे में आक्रोश फैल गया था।
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विधायक राजू पाल को जान से मारने की धमकी दी गई थी। हालांकि, किसी ने यह नहीं सोचा था कि यह धमकी सच साबित होगी। 15 जनवरी 2005 को राजू पाल ने पूजा पाल से शादी की। इसके ठीक दसवें दिन यानि 25 जनवरी को राजू पाल अपने साथियों के साथ दो गाड़ी में सवार होकर अपने किसी परिचित का शव देखने पोस्टमार्टम हाउस गए थे।
वहां से वापस लौटते समय राजू पाल खुद क्वालिस चला रहे थे। उनके बगल में दोस्त की पत्नी रुखसाना बैठी थी, जो उन्हें चौफटका के पास मिली थी। साथ में संदीप यादव और देवीलाल भी थे। पीछे स्कार्पियो में चालक महेंद्र पटेल, ओमप्रकाश और नीवां के सैफ समेत चार लोग सवार थे। दोनों गाड़ियों में एक-एक शस्त्र सिपाही भी थे।
सुलेमसराय में क्वालिस और स्कार्पियो को घेरकर गोलियों की बौछार कर दी गई थी। कई गोलियां धंसने से घायल राजू पाल समेत सभी लोगों को आटो से जीवन ज्योति अस्पताल ले जाया गया था। वहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। शूटआउट में संदीप यादव और देवीलाल भी मारे गए थे। बाद में मामले की जांच सीबीआइ को सौंप दी गई थी। लंबी सुनवाई के बाद शुक्रवार को सीबीआइ कोर्ट ने फरहान, आबिद, रंजीत पाल, अब्दुल कवि, इसरार अहमद, गुलहसन, जावेद को दोषी करार देते हुए सजा सुनाई।
अस्पताल से ही लग गए थे पीछे
शूटर गाड़ियों में एसआरएन अस्पताल से राजू पाल के पीछे लगे थे। इस दौरान राजू पाल सिविल लाइंस में कुछ लोगों से मिलने के लिए रुके थे। कुछ क्षण बातचीत के बाद वह क्वालिस में बैठकर खुद ड्राइविंग करने लगे। चौफटका के पास राजू पाल का एक परिचित मिला, जिस पर विधायक ने गाड़ी रोक दी थी। यहीं पर रुखसाना मिली जो गाड़ी में बैठ गई थी। कुछ ही दूर पर सुलेमसराय में उन पर हमला कर दिया गया था।