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Bilaspur: युवाओं के लिए मिसाल बना नरेंद्र, मशरूम के 100 बैगों से शुरू किया कारोबार, अब घर बैठे कमा रहा लाखों

बिलासपुर जिला के नम्होल के रहने वाले नरेंद्र सिंह स्नातक शिक्षा एवं होटल मैनेजमेंट करने के बाद जुनून और कड़ी मेहनत से न सिर्फ खेती के क्षेत्र में एक अलग मुकाम हासिल किया बल्कि लाखों बेरोजगार युवाओं और एंटरप्रेन्योर्स के लिए प्रेरणा का स्रोत बने हैं।

By Jagran NewsEdited By: Nidhi VinodiyaPublished: Thu, 02 Feb 2023 05:55 PM (IST)Updated: Thu, 02 Feb 2023 05:55 PM (IST)
युवाओं के लिए मिसाल बना नरेंद्र, मशरूम के 100 बैगों से शुरू किया कारोबार, अब घर बैठे कमा रहा लाखों

बिलासपुर, जागरण संवाददाता  :  बिलासपुर जिला के नम्होल के रहने वाले नरेंद्र सिंह स्नातक शिक्षा एवं होटल मैनेजमेंट करने के बाद जुनून और कड़ी मेहनत से न सिर्फ खेती के क्षेत्र में एक अलग मुकाम हासिल किया, बल्कि लाखों बेरोजगार युवाओं और एंटरप्रेन्योर्स के लिए प्रेरणा का स्रोत बने हैं। नरेंद्र, पलोग पंचायत में एग्रो हिल मशरूम नाम से कंपनी चलाते हैं। उन्होंने 2008 में 100 मशरूम कंपोस्ट बैग सिर्फ 8000 रुपये छोटे स्तर से मशरूम उत्पादन के क्षेत्र में कदम रखा। आज वे लगभग 15 लाख रुपये वार्षिकी का यह कारोबार कर रहे हैं। इतना ही नहीं, वह अब तक हजारों लोगों को मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण भी दे चुके हैं।

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ऐसे हुई शुरुआत

वर्ष 2008 में होटल मैनेजमेंट की ट्रेनिंग करने के उपरांत विज्ञापन के माध्यम से मशरूम खेती में हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा उद्यान विभाग के माध्यम से द्वारा प्रदान किए जा रहे विभिन्न प्रकार के अनुदान और विभाग द्वारा लोगों को मशरूम खेती से संबंधित दिए जाने वाले प्रशिक्षण के बारे में जानकारी प्राप्त की, जिसके उपरांत उद्यान विभाग बिलासपुर के माध्यम से चंबाघाट सोलन में प्रशिक्षण प्राप्त किया। आईसीएआर के अंतर्गत डायरेक्टरेट ऑफ मशरूम रिसर्च केंद्र सरकार सोलन में लगातार प्रशिक्षण लेते रहे। वर्ष 2014 में कंपोस्ट व बीज का प्रोजेक्ट तैयार करने के बाद उद्यान विभाग के माध्यम से पलोग में एग्रो हिल मशरूम फार्म स्थापित की गई। बाद में प्रदेश सरकार के माध्यम से डायरेक्टरेट ऑफ मशरूम रिसर्च सेंटर सोलन से मशरूम सपॉन की विशेष ट्रेनिंग ली।नरेश ने बताया कि प्रदेश सरकार की ओर से मिली सहायता और विशेष ट्रेनिंग के बाद अच्छी आय की शुरुआत हुई।

वर्ष 2020 तक पिछले सभी प्रकार के ऋण चुका दिये गए । इसके बाद वातानुकूलित मशरूम इकाई 3000 बैग क्षमता की भी उद्यान विभाग के माध्यम से स्थापित की गई, जिससे अब वर्ष भर उत्पादन हो रहा है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2020- 21 में 14000 मशरूम कंपोस्ट बैग और 10000 किलो बीज का उत्पादन एवं वितरण किया गया, उससे लगभग 25 लाख का कारोबार हुआ है।

लॉकडाउन में भी पीछे नहीं हटे नरेंद्र

कोरोना के कारण लॉकडाउन से जहां पूरी विश्व की आर्थिकी चरमरा गई, वहीं शुरू में नरेंद्र की आर्थिकी में भी फर्क पड़ा, लेकिन जल्द ही कड़ी मेहनत व दृढ़ इच्छा शक्ति से इस नुकसान से बाहर आ गए। उनका कहना है कि मशरूम की मांग इतनी ज्यादा थी कि जल्दी ही उन्होंने इससे रिकवरी कर ली।

कभी ढूंडते थे नौकरी, अब कई लोगों को दिया रोजगार 

नरेंद्र बताते हैं कि शुरू में वह भी दूसरे युवाओं की तरह किसी कंपनी या होटल मैनेजमेंट के तहत काम ढूंढ रहे थे, लेकिन सही समय पर उद्यान विभाग के सही परामर्श से आज उन्होंने यह मुकाम हासिल किया है। नरेंद्र बताते हैं कि अब उनके इस फार्म में 8 से 10 लोगों को सालभर के लिए रोजगार उपलब्ध हैं, इसके अतिरिक्त फार्म के अन्य कार्यों के लिए लोगों को भी जरूरत के मुताबिक समय-समय पर रोजगार उपलब्ध होता है। नरेंद्र बताते हैं कि इस सीजन में उन्होंने 28000 बैग मशरूम खाद के लगभग 12 सौ किसानों को वितरित किये और इन्हें खुम्ब क्षेत्र से जोड़ने का कार्य किया।

नरेंद्र ने बताया कि खाद और मशरूम की सप्लाई बिलासपुर जिला के साथ-साथ सोलन मंडी हमीरपुर ऊना आदि जिलों में हो रही है और कंपोस्ट की इतनी मांग है कि हम लोगों की इस मांग को पूरी नहीं कर पा रहे हैं। जहां तक ताजा मशरूम का सवाल है बिलासपुर मंडी के साथ सुंदर नगर, कुल्लू, मनाली, सोलन तथा शिमला की मंडियों से भी लगातार डिमांड आ रही है और अच्छी पैदावार होने के बावजूद भी डिमांड अभी भी पूरी नहीं हो पा रही है।

बेस्ट मशरूम ग्रोअर का मिला खिताब

वर्ष 2000 और 21-22 के दौरान पुणे आईसीएआर डायरेक्टरेट ऑफ मशरूम रिसर्च सेंटर चंबाघाट सोलन द्वारा राष्ट्रीय स्तर का बेस्ट मशरूम ग्रोवर अवार्ड ऑफ इंडिया से नवाजा गया। इसके अतिरिक्त कृषि विश्वविद्यालय जम्मू से उन्हें न्वोन्मेशी किसान पुरस्कार भी प्रदान किया गया। इनमें री जड़ी मशरूम, शिताके मशरूम और ऋषि मशरूम इसके अतिरिक्त हैं। रेडियम काबुल डिग्री काला कनक पड़ा दूरियां पराली ढिंगरी इत्यादि ऐसे मशरूम हैं जिनकी भारी डिमांड है और जिसकी कीमत भी बहुत अधिक है, जिसे मेडिकल मशरूम के नाम से भी जाना जाता है। उनका अगला प्रयास मेडिकल मशरूम की क्षेत्र में कार्य करना है।


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