Hazaribagh News: विद्यालयों को भेजी रसीद... पहुंचा दिया सामान, कहा अपलोड कर दो बिल; घेरे में BEEO और जिला शिक्षा अधीक्षक
खेलो इंडिया और खेलो झारखंड की सुविधा संपन्न करने के दृष्टिकोण से प्राथमिक को पांच हजार और मध्य विद्यालयों को दस हजार रुपए मार्च माह में केंद्र सरकार की तरफ से खेल सामाग्री उपलब्ध कराने के लिए दिए गए थे। आवश्यकतानुसार और गुणवत्ता युक्त खेल सामग्री खरीदारी के लिए विद्यालय प्रबंधन समिति को अधिकृत करते हुए जवाबदेही बनाया गया है।
अरविंद राणा, हजारीबाग। खेलो इंडिया और खेलो झारखंड की सुविधा संपन्न करने के दृष्टिकोण से प्राथमिक को पांच हजार और मध्य विद्यालयों को दस हजार रुपए मार्च माह में खेल सामाग्री उपलब्ध कराने के लिए दिए गए थे। राशि केन्द्र सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जाती है। आवश्यकतानुसार और गुणवत्ता युक्त खेल सामग्री खरीदारी के लिए विद्यालय प्रबंधन समिति को अधिकृत करते हुए जवाबदेही बनाया गया है।
समिति को अधिकार है कि सामग्री उपलब्ध कराने वाले कई एजेंसियों का सैम्पल देखकर गुणवत्ता के पैमाने पर खरा उतरने वाले एजेंसी से खेल सामग्री का क्रय करे। परंतु जिले में एक रैकेट तैयार कर विद्यालयों में खेल सामाग्री की आपूर्ति तो नहीं परंतु उन्हें बिल जरुर उपलब्ध करा दिया गया।
बकायदा बिल के उपर रसीद का क्रमांक लिखकर दिया गया, ताकि इस बात की पुष्टि हो सके कि किस नंबर का बिल किस विद्यालय का है। जानकारी के अनुसार यह कोडिंग सिस्टम जिला स्तर पर तैयार किया गया है। जिसके तहत वित्तीय वर्ष 2023 -24 में मार्च माह के अंतिम सप्ताह में करीब 1462 विद्यालयों द्वारा बिल अपलोड कर पैसे निकाल लिए गए।
आखिर क्या है माजरा
खेल मद में वित्तीय वर्ष 2023 -24 के लिए यह राशि फरवरी के अंतिम और मार्च के प्रथम सप्ताह में जारी किया गया था। जानकारी के अनुसार सभी विद्यालयों के प्रधानों को निदेश जारी किया गया कि मार्च के दूसरे सप्ताह तक बिल जमा करा दे। निदेश के आलोक में बीइइओ के अधीनस्थ कर्मचारियों ने उपलब्ध कराई गई और बिल विद्यालय को सौंप दिया।
बिना खेल सामाग्री की खरीद किए हीं पदाधिकारियों के दिशा निदेश के आलोक में प्रभारियों ने आनन फानन में बिल जमा कराकर नगदी निकाल लिए। 1462 विद्यालयों के लिए करीब 1.25 करोड़ राशि जारी किया गया था।
किंतु एक ही एजेंसी का वाउचर सभी विद्यालयों में उपलब्ध होना शंका उत्पन्न करता है । यह इस बात की पुष्टि कर रहा है कि जिला में खेल सामग्री खरीदारी में खेल अवश्य हुआ है।
प्रबंध समिति को नहीं पता कौन सा है बिल
जिले में खेल सामाग्री को लेकर भी नियमों को दरकिनार कर बड़े पैमाने पर पैसे की बंदरबाट की गई। जानकारी के अनुसार विद्यालय प्रबंधन की बैठक में खेल सामग्री खरीदारी से संबंधित कोई प्रस्ताव नहीं लिया गया। सच यह है कि खेल सामग्री की खरीददारी विद्यालय प्रबंधन समिति की कोई भूमिका नहीं है।
नियमों और विद्यालय प्रबंधन समिति के अधिकारों का हनन कर खेल सामग्री खरीदने से पूर्व ही वाउचर लगाकर राशि निकासी कर लेना खेल सामग्री क्रय में बड़े घोटाले की ओर संकेत करता है। इस प्रकरण में प्रभारी प्रधानाध्यापक सवालों के घेरे है जबकि असली खेल प्रखंड और जिला स्तर पर की गई।
मौन है अधिकार और पदाधिकारी
पुरे मामले को लेकर दैनिक जागरण ने बीते गुरुवार को पेज वन पर खबर प्रकाशित कर बताया था कि सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (पीएफएमएस) एक वेब-आधारित ऑनलाइन सॉफ्टवेयर एप्लिकेशन के माध्यम से उपलब्ध कराए गए पैसे की निगरानी रखा जा सके।
परंतु जिले में यह बहुउद्देशीय एप्प का मदद बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा के लिए किया जा रहा है। जिसका ताजा उदाहरण वित्तीय वर्ष 2023 -24 में जिले के 1462 प्राथमिक एवं मध्य विद्यालय है। जहां बच्चों की खेल सामाग्री खरीद के लिए उपलब्ध करायी गई करीब 1.25 करोड़ की राशि बिल अपलोड कर निकाल ली गई।
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