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Bareilly: मौलाना के बयान पर निदा खान का विरोध, कहा- मुल्लाजी अल्लाह से डरें; पाकिस्तान की तरह न बनाएं माहौल

Bareilly अहमदाबाद की जामा मस्जिद के इमाम मौलाना शब्बीर अहमद के बयान का बरेली में विरोध हो गया। आला हजरत हेल्पिंग सोसाइटी की अध्यक्ष निदा खान ने उनके बयान का विरोध करते हुए कहा कि इस्लाम महिलाओं को इज्जत देने के साथ बराबरी की बात करता है।

By Peeyush DubeyEdited By: MOHAMMAD AQIB KHANTue, 06 Dec 2022 04:21 PM (IST)
Bareilly: मौलाना के बयान पर निदा खान का विरोध, कहा- मुल्लाजी अल्लाह से डरें; पाकिस्तान की तरह न बनाएं माहौल
Bareilly: मौलाना के बयान पर निदा खांन बोलीं- मुल्लाजी अल्लाह से डरें; पाकिस्तान की तरह न बनाएं माहौल : जागरण

बरेली, जागरण संवाददाता: अहमदाबाद की जामा मस्जिद के इमाम मौलाना शब्बीर अहमद के मुस्लिम महिलाएं टिकट लेकर चुनाव न लड़ने वाले बयान का बरेली में विरोध हो गया। आला हजरत हेल्पिंग सोसाइटी की अध्यक्ष निदा खान ने उनके बयान का विरोध करते हुए कहा कि इस्लाम महिलाओं को इज्जत देने के साथ बराबरी की बात करता है लेकिन इस बात पर बिना डिग्री वाले मौलाना कुछ न बोलकर गायब हो जाते हैं। भारत में संविधान से काम चलता है और ये लोग हमें इस तरह की नसीहत देने वाले कौन होते हैं।

निदा ने कहा कि खुद की बेटियों को कान्वेंट में पढ़ाते हैं और अवाम को अनपढ़ रहने की हिदायत देते हैं। उन्होंने कहा कि मुल्लाजी अल्लाह से डरें और अपने फायदे के लिए महिलाओं का उत्पीड़न न करें। निदा खान का कहना है कि आखिर मौलानाओं को महिलाओं से क्या दिक्कत है। आए दिन कोई न कोई नया फरमान जारी कर देते हैं। ऐसा लगता है कि यहां पर पाकिस्तान की तरह माहौल बनाना चाहते हैं।

महिलाओं को आजादी के साथ जीने दें

महिलाओं को जब उसका शौहर दहेज के लिए घर से निकाल देता है और मारता पीटता है तो उस समय ये नसीहत देने वाले लोग कहां चले जाते हैं। जब महिलाओं के साथ दुष्कर्म होता है तो ये लोग खामोशी अख्तियार कर लेते हैं। अच्छा यह है कि महिलाओं को आजादी के साथ जीने दें।

शहाबुद्दीन बोले, शरीयत मुस्लिम महिलाओं को गंदी राजनीति से रोकती

बरेली: दरगाह आला हजरत से जुड़े संगठन आल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने मौलाना शब्बीर अहमद के बयान का समर्थन करते हुए कहा कि इस्लामी शरीयत मुस्लिम महिलाओं को गंदी राजनीति करने से रोकती है।

इस्लाम ने महिलाओं की पाकिजगी और उनके रुतबे का ख्याल रखा है। मौजूदा दौर की चुनावी राजनीति से मुस्लिम महिलाओं को बचना चाहिए। शरीयत का यह हुक्म सिर्फ मुस्लिम महिलाओं पर लागू होता है और दूसरे तबके से ताल्लुक रखने वाली महिलाएं इससे अलग हैं।