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Lok Sabha Election 2024: कभी रामपुर की सियासत में था आजम परिवार और नवाब खानदान का दबदबा; इस बार बदल गई तस्वीर

Lok Sabha Election 2024 आजादी के बाद से ही रामपुर की सियासत में नवाब खानदान और सपा नेता आजम खां का दबदबा रहा है। नवाब खानदान के लोग नौ बार सांसद चुने गए तो आजम खां 10 बार रामपुर शहर से विधायक बने। राज्यसभा और लोकसभा सदस्य भी रहे। इस बार दोनों ही परिवार चुनाव मैदान से बाहर हैं।

By Mohd Muslemeen Edited By: Swati Singh Published: Fri, 29 Mar 2024 03:58 PM (IST)Updated: Fri, 29 Mar 2024 03:58 PM (IST)
Lok Sabha Election 2024: कभी रामपुर की सियासत में था आजम परिवार और नवाब खानदान का दबदबा; इस बार बदल गई तस्वीर
चुनावी दंगल से बाहर हुए आजम परिवार और नवाब खानदान

जागरण संवाददाता, रामपुर। आजादी के बाद से ही रामपुर की सियासत में नवाब खानदान और सपा नेता आजम खां का दबदबा रहा है। नवाब खानदान के लोग नौ बार सांसद चुने गए तो आजम खां 10 बार रामपुर शहर से विधायक बने। राज्यसभा और लोकसभा सदस्य भी रहे। रामपुर में चुनाव चाहे विधानसभा का रहा हो या लोकसभा का, इन दोनों खानदानों के लोग चुनाव जरूर लड़ते रहे, लेकिन इस बार दोनों ही परिवार चुनाव मैदान से बाहर हैं।

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लोकसभा चुनाव में सपा और कांग्रेस का गठबंधन है और रामपुर सीट सपा के खाते में है। सपा ने इस बार ऐसे व्यक्ति को टिकट दिया है, जिनकी रामपुर की राजनीति में पहले से कोई पहचान नहीं है, लेकिन वह रामपुर के ही रजानगर गांव के मूल निवासी है।

सपा ने लगाया नए चेहरे पर दांव

यह शख्स 19 साल से दिल्ली की पार्लियामेंट वाली मस्जिद में इमामत करते रहे। ढाई माह पहले उनकी सपा मुखिया अखिलेश से मुलाकात हुई थी और अब उन्हें प्रत्याशी बना दिया गया। भाजपा ने एक बार फिर सांसद घनश्याम सिंह लोधी पर दाव लगाया है, जबकि बसपा से जीशान खां मैदान में हैं। जीशान भी राजनीति में नया चेहरा हैं। वह पहले कोई चुनाव नहीं लड़े हैं। ये तीनों ही प्रत्याशी ऐसे हैं, जिनका नवाब खानदान या आजम खां के परिवार से कोई रिश्ता नहीं है। जबकि इससे पहले अधिकतर चुनाव में इन दोनों खानदान के लोग ही प्रत्याशी बनते रहे। दोनों परिवार एक दूसरे के कट्टर विरोधी रामपुर में करीब पौने दो सौ साल तक नवाबों का राज रहा।

नवाबी गई तो सियासत में आ गया नवाब खानदान

नवाबी गई तो नवाब खानदान सियासत में आ गया। आजादी के बाद 1952 में हुए पहले लोकसभा चुनाव में महान क्रांतिकारी मौलाना अबुल कलाम आजाद रामपुर से प्रत्याशी बने, लेकिन इनके चुनाव की बागडोर नवाब रजा अली खां के हाथ में ही रही। मौलाना तो नामांकन कराने के बाद रामपुर नहीं आए थे। दूसरे और तीसरे लोकसभा चुनाव में नवाब रजा अली खां के दामाद सैयद अहमद मेंहदी सांसद बने। इसके बाद रजा अली खां के बेटे नवाब जुल्फिकार अली खां उर्फ मिक्की मियां पांच बार और उनकी पत्नी बेगम नूरबानो दो बार सांसद बनीं। इनके बेटे नवाब काजिम अली खां उर्फ नवेद मियां पांच बार विधायक चुने गए और प्रदेश सरकार में मंत्री भी रहे।

नवाब खानदान का आजम खां से रहा 36 का आंकड़ा

पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष मशकूर अहमद मुन्ना कहते हैं कि नवाब खानदान का सपा नेता आजम खां से 36 का आंकड़ा रहा। आजम खां ने अपनी राजनीति की शुरुआत ही नवाबों के विरोध से की। बेगम नूरबानो इस बार भी चुनाव लड़ना चाहती थीं, उन्होंने घोषणा भी कर दी थी, लेकिन सीट सपा के खाते में चली गई। अगर कांग्रेस चाहती तब भी आजम खां उन्हें चुनाव लड़ाने के लिए तैयार नहीं होते।

रास नहीं आई लोकसभा की सदस्यता

आजम खां शहर से 10 बार विधायक चुने गए। साल 2019 में पहली बार लोकसभा सदस्य का चुनाव लड़े और जीते। किंतु उन्हें लोकसभा की सदस्यता रास नहीं आई और उनके खिलाफ बड़े पैमाने पर मुकदमे दर्ज हुए। इस समय आजम खां, उनकी पत्नी पूर्व सांसद तजीन फात्मा और बेटे पूर्व विधायक अब्दुल्ला जेल में हैं। अब्दुल्ला के फर्जी जन्म प्रमाण पत्र मामले में सात साल की सजा काट रहे हैं। इस कारण आजम का परिवार भी चुनावी दंगल से बाहर हो गया।आजम खां 1977 से चुनाव लड़ते रहे।

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