शैक्षिक संस्थाओं को डिग्री देने के साथ-साथ गुणवत्ता पर भी ध्यान देना जरूरी : न्यायमूर्ति राजेश बिंदल
इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजेश बिंदल ने कहा कि शैक्षिक संस्थाओं को डिग्री देने के साथ-साथ गुणवत्ता पर भी ध्यान देना जरूरी है। क्वालिटी मैनेजमेंट बेहद जरूरी है। यहीं नहीं मानीटरिंग की व्यवस्था सशक्त बनानी होगी।
जागरण संवाददाता, वाराणसी : इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजेश बिंदल ने कहा कि शैक्षिक संस्थाओं को डिग्री देने के साथ-साथ गुणवत्ता पर भी ध्यान देना जरूरी है। क्वालिटी मैनेजमेंट बेहद जरूरी है। यहीं नहीं मानीटरिंग की व्यवस्था सशक्त बनानी होगी। वर्तमान दौर में दुनिया तेजी से आगे बढ़ रही। दो-ढाई वर्ष में ज्ञान अपडेट हो रहा है। वहीं 30 वर्ष पुराना पाठ्यक्रम अब भी पढ़ रहे हैं। हमें समय-समय पर पाठ्यक्रम भी अपडेट करना होगा।
वह शनिवार को महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के गांधी अध्ययनपीठ सभागार में आयोजित शिक्षा के विशिष्ट एवं नए आयामों को प्रस्तुत करती नई शिक्षा नीति विषयक दो दिवसीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि विकास की विभिन्न योजनाओं के लिए हम पंच वर्षीय या एक वर्षीय योजना बनाते हैं। वहीं नई शिक्षा नीति की समीक्षा करने में हमें 34 वर्ष लग गए। पहली बार शिक्षा नीति वर्ष 1948 में लाया गया था। इसके बाद वर्ष 1986 में कोठारी समिति की रिपोर्ट आई।
अफसोस की बात कोठारी समिति की रिपोर्ट पूरी तरीके से नहीं लागू हो सकी। जबकि एजुकेशन देश के नालेज का बेस है। ऐसे में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को ईमानदारी से लागू करना होगा। क्रिकेट में 20-20 मैच होता है। ऐसे में ध्यान देना होगा शार्ट टर्म न हो। कहा कि हमारे यहां रिसर्च का बेस कमजोर है। इसकी गुणवत्ता पर विशेष ध्यान देना होगा।
प्रतिभाओं को रोकने का हो इंतजाम : न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता
विधि विभाग की आयोजित व भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (नई दिल्ली) द्वारा प्रायोजित विशिष्ट अतिथि हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता ने कहा देश में प्रतिभा की कोई कमी नहीं हैं। दुर्भाग्य इस बात का कि प्रतिभाएं यहां पलायन हो रही हैं। इसे रोकने के लिए पुख्ता इंतजाम करने की जरूरत है। कहा कि देश व समाज की प्रगति तभी होगी। जब हम देश व समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझेंगे।
इनोवेशन भी बेहद जरूरी : कुलपति
अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. आनंद कुमार त्यागी ने कहा कि जो हम सिखते हैं उसे जनउपयोगी व समाज के कल्याण के लिए कैसे उपयोगी बनाया जाय। इस ओर हम को ध्यान देने की आवश्कता है। इसके समाजपयोगी इनोवेशन भी बेहद जरूरी है।
पुस्तक का हुआ विमोचन
इस मौके पर अतिथियों ने स्मारिका तथा डा. शिल्पी गुप्ता न्यायिक नियंत्रण के तहत कार्यकारी विवेक : एक विश्लेषणात्मक विचार तथा शशांक चंदेल व डा. अमिताभ सिंह की पुस्तक महिलाओं की समसामयिक स्थिति नामक किताब का विमोचन किया।
विषय प्रवर्तन जय प्रकाश नारायण विश्वविद्यालय (छपरा) के पूर्व कुलपति प्रो. हरिकेश सिंह, स्वागत विभागाध्यक्ष व संकायाध्यक्ष प्रो. रंजन कुमार, संचालन डा. निमिषा गुप्ता व धन्यवाद ज्ञापन डा. शिल्पी गुप्ता ने किया।