आरोप : एक्सईएन ने तेज आवाज में बोलने पर एफआइआर की दी चेतावनी, गुस्साए किसान दरी बैछाकर बैठे धरने पर
गांव तिगरा के किसानों की ट्यूबवेलों का ट्रांसफार्मर रखने की मांग को लेकर भारतीय किसान संघ का प्रतिनिधिमंडल सहारनपुर रोड स्थित पावर हाउस में एक्सईएन से मिला। 15 दिन से किसानों का ट्रांसफार्मर खराब है। शिकायत के बाद भी समस्या का समाधान नहीं हुआ। एक्सईएन पर किसानों ने धमकाने का आरोप लगाते हुए कार्यालय के बाहर दरी बिछा धरना दे दिया। जिससे बिजली निगम में हड़कंप मच गया। बाद में एक्सईएन पवन नरूला किसानों के बीच पहुंचे।
जागरण संवाददाता, यमुनानगर : गांव तिगरा के किसानों की ट्यूबवेलों का ट्रांसफार्मर रखने की मांग को लेकर भारतीय किसान संघ का प्रतिनिधिमंडल सहारनपुर रोड स्थित पावर हाउस में एक्सईएन से मिला। 15 दिन से किसानों का ट्रांसफार्मर खराब है। शिकायत के बाद भी समस्या का समाधान नहीं हुआ। एक्सईएन पर किसानों ने धमकाने का आरोप लगाते हुए कार्यालय के बाहर दरी बिछा धरना दे दिया। जिससे बिजली निगम में हड़कंप मच गया। बाद में एक्सईएन पवन नरूला किसानों के बीच पहुंचे। उन्होंने किसानों की समस्या को सुना और जल्द समाधान का आश्वासन दिया। तब किसान शांत हुए। भारतीय किसान संघ के प्रदेश महामंत्री रामबीर सिंह चौहान, प्रताप सिंह, राजकुमार, मदन भगत, ठाकुर रामबीर तिगरा, मीडिया प्रमुख विकास राणा, विक्की गुर्जर, रवि राणा, सुबोध सिंह, रामचंद्र जठलाना व अन्य ने बताया कि गांव तिगरा के किसानों के नलकूपों का एक ट्रांसफार्मर 15 दिन खराब है। वीरवार को एक्सईएन पवन नरूला के पास गए तो वह भड़क उठे। उनका जवाब था कि बिल न भरे जाने के कारण ट्यूबवेल का ट्रांसफार्मर नहीं रखा जा रहा है, जबकि किसानों का कहना है कि बिल भर दिए गए हैं। एक नलकूप रह गया। यह गरीब आदमी है। फसल काटने के बाद वह भी बिल भर देगा, लेकिन वह नहीं माने। तब किसानों ने कहा कि काफी सरकारी कार्यालयों के बिल बकाया है। उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है। ऐसे में किसान को ही जलील क्यों किया जाता है। आरोप है कि यह बात सुन एक्सईएन यहां तक कह गए कि यदि ऊंची आवाज में बात करोगे तो एफआइआर करा दी जाएगी। इस पर किसान भड़क गए और दरी बिछाकर कार्यालय के बाहर धरना शुरू कर दिया। उन्होंने अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए। बातचीत के माध्यम से हो गया था समाधान :
बिजली निगम के एक्सईएन पवन नरूला ने सभी आरोपों को बेबुनियाद बताया। कुछ किसानों के बिल नहीं भरे हुए थे। कार्यालय में पहुंचकर काफी ऊंची आवाज में भी बात कर रहे थे। समझाने का प्रयास किया लेकिन नहीं माने। उनको कहा गया था कि समस्या बताएं, उसका समाधान करा दिया जाएगा। किसान कार्यालय के बाहर धरने पर बैठे और अभद्र भाषा का प्रयोग करें। वह बिल भर देते हैं तो ट्रांसफार्मर लगा देंगे। सही भाषा का इस्तेमाल करना चाहिए। बाद में बातचीत के माध्यम से समाधान हो गया था।