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Jharkhand Politics: आदिवासी-कुड़मी लड़ाई से धधकेगा झारखंड, ट्रेन रोको आंदोलन का जवाब देने की तैयारी

Kudmi Movement in Jharkhand कुड़मी संगठनों की मांग को गलत बताते हुए उनके खिलाफ आदिवासी समूह मोर्चा खोलने की तैयारी कर रहा है। रेल रोको आंदोलन से आदिवासी बनाम कुड़मी की पृष्ठभूमि तैयार हो गई है। आदिवासी संगठनों का तर्क है कि कुड़मी की मांग असंवैधानिक है।

By Pradeep singhEdited By: M EkhlaquePublished: Mon, 26 Sep 2022 08:03 PM (IST)Updated: Mon, 26 Sep 2022 08:04 PM (IST)
Jharkhand News: झारखंड में कुड़मी आंदोलन के विरोध में आदिवासी आंदोलन की तैयारी। फाइल फोटो।

रांची, राज्य ब्यूरो। Kudmi Movement in Jharkhand झारखंड समेत बंगाल और ओडिशा में कुड़मी को आदिवासी का दर्जा देने की मांग को लेकर रेल रोको आंदोलन से आदिवासी समूहों में प्रतिक्रिया है। राजनीतिक दल इस समुदाय के प्रभाव को देखते हुए भले ही मांग के विरोध में सामने नहीं आ रहे हैं, लेकिन आदिवासी समूहों ने इसके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। विभिन्न आदिवासी संगठनों ने इस मांग को अंसवैधानिक करार देते हुए कहा है कि कुड़मी कभी भी आदिवासी नहीं हो सकते।

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मांग के विरोध में एक दिवसीय उपवास की घोषणा

आदिवासी अधिकार रक्षा मंच ने इस मांग के खिलाफ एकदिवसीय उपवास की घोषणा की है। संगठन का आरोप है कि यह आदिवासियों की पहचान, संस्कृति और अस्मिता को प्रभावित करने की साजिश है, जिसे वे सफल नहीं होने देंगे। इनका दावा है कि यह हावी होने का प्रयास है ताकि आदिवासी हाशिये पर चले जाएं। इस मांग को जनजातीय शोध संस्थान ने पूर्व में ही ठुकरा दिया है।

सरकारों का स्टैंड नहीं बदला तो करेंगे विरोध : सालखन

आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष पूर्व सांसद सालखन मुर्मू के मुताबिक झारखंड, ओडिशा और बंगाल में सत्तारूढ़ राजनीतिक दल कुड़मी को आदिवासी का दर्जा देने संबंधी मांग की पक्षधर है। उन्हें स्टैंड बदलना होगा, अन्यथा इसका पुरजोर विरोध होगा। पांच प्रदेशों में आदिवासी इनका खिलाफत करने को बाध्य होंगे। 30 सितंबर को सेंगेल की कोलकाता रैली में इसका सार्वजनिक विरोध होगा। एसटी बनने की दौड़ में कुड़मी समाज द्वारा तीन राज्य में रेल-रोड चक्का जाम करना नया राजनीतिक ध्रुवीकरण है। इसका सेंगेल विरोध करेगा।

पहचान की लड़ाई लड़ रहे कुड़मी : शैलेंद्र महतो

पूर्व सांसद शैलेंद्र महतो का दावा है कि झारखंड, बंगाल और ओडिशा के कुड़मी अपनी पहचान की लड़ाई लड़ रहे हैं। इसी कड़ी में तीनों राज्यों में समाज के लोगों ने आंदोलन किया। कुछ आदिवासी संगठनों की तरफ से प्रश्न खड़े किए जा रहे हैं। उन्हें इतिहास का अध्ययन करना चाहिए।


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