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एक अभ्यर्थी के पास होने पर मिलते थे 10 लाख रुपये, सिपाही भर्ती परीक्षा में साल्वरों को सीट तक पहुंचाने वाला गिरफ्तार

रुद्रापुर पासी टोला कुसम्ही बाजार के आकाश को एक अभ्यर्थी को उसकी सीट तक पहुंचाने और पास होने पर पांच से 10 लाख रुपये मिलते थे। इसकी सहायता से दिग्विजय नाथ डिग्री कालेज गेट पर ड्यूटी करते हुए अभ्यर्थी दुर्गेश यादव भी पकड़ा गया था। तभी से एसटीएफ इसे खोज रही थी। एसटीएफ ने आकाश को कोतवाली में दाखिल कराकर न्यायालय में पेश किया जहां से उसे जेल भेज दिया।

By Jagran News Edited By: Shivam Yadav Published: Thu, 18 Apr 2024 05:00 AM (IST)Updated: Thu, 18 Apr 2024 05:00 AM (IST)
एक अभ्यर्थी के पास होने पर मिलते थे 10 लाख रुपये।

जागरण संवाददाता, गोरखपुर। सिपाही भर्ती परीक्षा में साल्वरों को सीट तक पहुंचाने में मदद करने के आरोपी आकाश राव को एसटीएफ ने मंगलवार रात धर्मशाला पुल के पास से गिरफ्तार किया।

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एम्स थाना क्षेत्र के रुद्रापुर पासी टोला कुसम्ही बाजार के आकाश को एक अभ्यर्थी को उसकी सीट तक पहुंचाने और पास होने पर पांच से 10 लाख रुपये मिलते थे। इसकी सहायता से दिग्विजय नाथ डिग्री कालेज गेट पर ड्यूटी करते हुए अभ्यर्थी दुर्गेश यादव भी पकड़ा गया था। तभी से एसटीएफ इसे खोज रही थी। एसटीएफ ने आकाश को कोतवाली में दाखिल कराकर न्यायालय में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया।

उत्तर प्रदेश पुलिस आरक्षी भर्ती-2023 की लिखित परीक्षा में 17 फरवरी परीक्षा केंद्र इस्लामिया कॉलेज ऑफ कॉमर्स, बक्शीपुर में मूल अभ्यर्थी दुर्गेश यादव उर्फ अंकित के स्थान पर परीक्षा दे रहे साल्वर अंजनी कुमार उर्फ मनीष सिंह (कुरवा चैनपुर, सिंधियाघाट स्टेशन, पूर्व-मध्य रेलवे में स्टेशन मास्टर) को पकड़ा गया था। 

अभ्यर्थी दुर्गेश यादव बायोमेट्रिक कंपनी का आई कार्ड लगा ड्यूटी करते हुए गिरफ्तार हुआ था। उसने आरोपी आकाश राव का नाम लिया था। आकाश की गिरफ्तारी के लिए एसटीएफ को लगाया गया था। मंगलवार को एसटीएफ के टीम ने उसे गिरफ्तार कर लिया।

दुर्गेश के अंगूठे का निशान लेकर किया था फर्जीवाड़ा

एसटीएफ की पूछताछ में आरोपी आकाश ने बताया कि उसकी कंपनी ही गेट पर बायोमेट्रिक कराती है, जिस पर अभ्यर्थी अपना अंगूठा लगा केंद्र के अंदर प्रवेश पाता है। दुर्गेश को उसकी कंपनी से कार्ड बनाकर दिया गया था। उसकी ड्यूटी केंद्र के अंदर गेट पर लगी थी। जब साल्वर अंजनी केंद्र पर पहुंचा तो दुर्गेश ने अपना अंगूठा लगाकर उसे केंद्र के अंदर प्रवेश दिलाया था। इस तरह का फर्जीवाड़ा वह पहले भी कर चुका है।


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