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एकांत का आनंद!

अकेलेपन में अवसाद के फेर में पड़ने से बेहतर है अपने शौक को समय देना और खुशनुमा जिंदगी जीना.. अगर आप ज्यादा सामाजिक नहीं हैं या फिर आप इससे दूर भागती हैं और अकेली हैं तो कोई बात नहीं। आप अपने अकेलेपन को भी जिंदादिली और खुशनुमा अंदाज में जी सकती हैं। हर परिि

By Edited By: Published: Mon, 18 Aug 2014 03:31 PM (IST)Updated: Mon, 18 Aug 2014 03:31 PM (IST)
एकांत का आनंद!

अकेलेपन में अवसाद के फेर में पड़ने से बेहतर है अपने शौक को समय देना और खुशनुमा जिंदगी जीना..

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अगर आप ज्यादा सामाजिक नहीं हैं या फिर आप इससे दूर भागती हैं और अकेली हैं तो कोई बात नहीं। आप अपने अकेलेपन को भी जिंदादिली और खुशनुमा अंदाज में जी सकती हैं। हर परिस्थिति हमेशा बुरी नहीं होती है। यह आपके नजरिए पर निर्भर है कि आप क्या सोचती हैं। इसलिए बेहतर रहेगा कि अकेलेपन को सकारात्मक नजर से देखें और क्रिएटिव हो जाएं।

अपने मन का करिए

जब आप अकेले रहती हैं तो आपके आसपास कोई शख्स नहीं होता है जो आपको देख रहा हो। इस दौरान आप हर तरह के बंधन से मुक्त होती हैं। आप वो सारी चीजें कर सकती हैं जो करना चाहती हैं। भले ही स्वीकारने में थोड़ा अटपटा लगे, लेकिन अपने मन का करने का सुनहरा अवसर होता है अकेलापन। इस दौरान वह सब करिए जो आपको पसंद है। इसमें नाचना, गाना, मनपसंद खाना बनाना और खाना या फिर मूवी देखना या लिखना कुछ भी शामिल हो सकता है। नई दिल्ली की एमबीए स्टूडेंट आकांक्षा दीक्षित कहती हैं, 'जब मैं अकेलेपन के फेर में पड़ती हूं तो तेज आवाज में म्यूजिक सुनने लगती हूं। मुझे गाने सुनना पसंद हैं और यह मेरा मूड हल्का कर देते हैं।'

क्रिएटिव हो जाएं

अकेलेपन का यह मतलब नहीं है कि आप लेजी हो जाएं और दिनभर सुस्ती के साथ बिस्तर पर आराम फरमाएं। यह एकाकीपन आपको अवसाद में पहुंचा सकता है। गाजियाबाद की वैशाली शर्मा बताती हैं, 'पति के ऑफिस और बच्चों के स्कूल जाने के बाद मैं घर पर अकेल रहती थी। सारा दिन आलस्य और उलझन में बीतता था। अब मैं अपने एकाकीपन को व्यस्त होकर बिताती हूं। मुझे बागवानी करने का शौक है। अपने घर में किचन गार्डेन तैयार करने के साथ ही फूलों के पौधे भी रोपे हैं। अब तो दिन का काफी समय इनकी देखरेख में गुजर जाता है। खिलते हुए फूल और पौधों में आते फल मन को बहत सुकून देते हैं।'

सोशल साइट्स तो हैं

यदि अकेले में आपको कुछ भी करने का मन नहीं करता है और आप टेक्नोसेवी हैं तो सोशल साइट्स में समय बिताना अकेलापन काटने का बेहतर माध्यम हो सकता है। इसमें आप देश-दुनिया और नए दोस्तों से जुड़कर समय गुजार सकती हैं। इससे न सिर्फ मनोरंजन होता है, बल्कि नॉलेज भी बढ़ती है। गुड़गांव की आरती कनौजिया बताती हैं, 'मुझे तरह-तरह की डिश बनाने का बहुत शौक है, इसलिए जब मैं अकेले होती हूं तो इंटरनेट से रेसिपी सीखने लगती हूं।'


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