क्या है Stock Split और Bonus Share जो शेयर मार्केट के इन्वेस्टर को करता है प्रभावित
स्टॉक स्प्लिट का मतलब होता है शेयरों का विभाजन। आसान भाषा में कहें तो किसी भी शेयर को दो या दो से अधिक हिस्सों में तोड़ देना होता है। बता दें कि बोनस इश्यू तब होता है जब मौजूदा शेयरहोल्डर (Shareholders) को निश्चित अनुपात में अतिरिक्त शेयर दिए जाते हैं।
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। कंपनियां अपने फायदे को शेयरहोल्डर्स के साथ समय-समय पर साझा करती रहती हैं। इसके लिए कंपनियां कई बार अपने शेयरहोल्डर को डिविडेंड देती हैं। तो वहीं कई बार शेयरधारकों अतिरिक्त शेयर भी दिया जाता है। शेयर बाजार में इन्वेस्ट करने वाले इन्वेस्टर अक्सर स्टॉक स्प्लिट (Stock Split) और बोनस शेयर (Bonus Share) के बारे में सुनते ही होंगे, लेकिन इन्वेस्टर को इसका मतलब नहीं पता होता है। इसका मतलब क्या होता है और कंपनियां इन शब्दों का इस्तेमाल क्यों करती हैं?
स्टॉक स्प्लिट क्या है
स्टॉक स्प्लिट का मतलब होता है शेयरों का विभाजन। आसान भाषा में कहें तो किसी भी शेयर को दो या दो से अधिक हिस्सों में तोड़ देना होता है। बता दें कि कंपनी इसमें नया शेयर जारी नहीं करती है। लेकिन इसमें मौजूदा शेयरों को ही डिवाइड या स्प्लिट कर दिया जाता है। उदाहरण के लिए अगर कोई कंपनी 1:2 रेश्यो में स्टॉक स्प्लिट का एलान करती है तो इसका मतलब होता है कि अगर आपके पास उस कंपनी का एक शेयर है तो यह 2 गुणा शेयर बन जाएगा। वहीं, 100 शेयरों की संख्या स्प्लिट या डिवाइड के बाद 200 हो जाएगी।
बोनस शेयर क्या होता है मतलब
बता दें कि बोनस इश्यू तब होता है जब मौजूदा शेयरहोल्डर (Shareholders) को निश्चित अनुपात में अतिरिक्त शेयर दिए जाते हैं। उदाहरण के लिए अगर कोई कंपनी 4:1 के रेश्यो में बोनस इश्यू का एलान करती है तो इसका मतलब है कि अगर किसी शेयरधारकों के पास 1 शेयर हो तो उसे इसके बदले 4 शेयर मिलेगा। यानी कि अगर किसी इन्वेस्टर के पास 10 शेयर हैं तो उसे बोनस शेयर के रूप में कुल 40 शेयर मिल जाएंगे।
क्या है इसके अंतर और इन्वेस्टर के लिए क्या है इसके फायदे
स्टॉक स्प्लिट (Stock Split) और बोनस शेयर (Bonus Share)दोनों में ही शेयरों की संख्या में बढ़ोतरी होती है। साथ ही, मार्केट वैल्यू भी कम हो जाती है। वहीं सिर्फ स्टॉक स्प्लिट में ही फेस वैल्यू कम हो जाती है, लेकिन बोनस इश्यू में ऐसा नहीं होता हैं। बता दें कि स्टॉक स्प्लिट और बोनस इश्यू में यही मुख्य अंतर होता है।इससे कंपनियां इन दोनों तरीकों से अपने शेयरधारकों को इनाम देती है। बोनस इश्यू और स्टॉक स्प्लिट दोनों में ही शेयरहोल्डर्स को अतिरिक्त राशि देने की जरूरत नहीं होती है। स्टॉक स्प्लिट में पहले से उपलब्ध शेयर स्प्लिट हो जाती है। यानी कि आपके पास उपलब्ध शेयरों की संख्या में बढ़ोतरी हो जाती है। शेयरों की प्राइस घट जाती है। आपके द्वारा इन्वेस्टमेंट किए गए पैसे पर स्टॉक स्प्लिट की वजह से कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।