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शिंदे सरकार की चेतावनी के बाद 'बैकफुट' पर जरांगे, 17 दिन से चल रहा अपना अनशन समाप्त किया

Manoj Jarange on backfoot रविवार शाम जरांगे अपने गांव अंतरवली सराटी में लोगों को संबोधित करते हुए अचानक तैश में आ गए और उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर अपने एनकाउंटर की साजिश का आरोप लगाते हुए कहा कि अब वह मुंबई में फडणवीस के बंगले के बाहर ही अनशन करेंगे। इतना कहकर वह पैदल ही मुंबई के लिए निकल पड़े थे।

By Jagran News Edited By: Mahen Khanna Updated: Tue, 27 Feb 2024 04:14 AM (IST)
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जरांगे ने 17 दिन से चल रहा अपना अनशन समाप्त किया।
राज्य ब्यूरो, मुंबई। एक दिन पहले ही उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को भला-बुरा कहते हुए तैश में मुंबई मार्च पर निकल पड़े मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे पाटिल सरकार की कड़ी चेतावनी के बाद सोमवार को बैकफुट पर आते दिखाई दिए। उन्होंने 17 दिन से चल रहा अपना अनशन समाप्त कर दिया। अब वह गांव-गांव जाकर लोगों को अपना मुद्दा समझाएंगे।

फडणवीस के बंगले के बाहर अनशन की कही थी बात

रविवार शाम जरांगे अपने गांव अंतरवली सराटी में लोगों को संबोधित करते हुए अचानक तैश में आ गए और उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर अपने एनकाउंटर की साजिश का आरोप लगाते हुए कहा कि अब वह मुंबई में फडणवीस के बंगले के बाहर ही अनशन करेंगे। इतना कहकर वह पैदल ही मुंबई के लिए निकल पड़े थे।

लेकिन, इसी दौरान मुंबई में चल रही मंत्रिमंडल की बैठक के बाद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, दोनों उप मुख्यमंत्रियों देवेंद्र फडणवीस एवं अजीत पवार ने एक सुर से जरांगे द्वारा इस्तेमाल की गई भाषा पर आपत्ति जताई। उन्हें कानून हाथ में न लेने की चेतावनी दी। कुछ दिनों पहले ही जरांगे के साथ समझौता करने वाले मुख्यमंत्री शिंदे ने कहा कि अब तक राज्य सरकार ने संयम रखा है। लेकिन उसकी परीक्षा न ली जाए।

जरांगे की सभी मांगें मान चुकी है सरकार

राज्य सरकार जरांगे की सभी मांगें मान चुकी है। लेकिन वह अपनी मांगें बढ़ाते जा रहे हैं। अब उनकी भाषा राजनीतिक हो गई है। फडणवीस ने भी कानून-व्यवस्था बिगाड़ने की कोशिश करने वालों पर पुलिसिया कार्रवाई की चेतावनी दी।इसके बाद जरांगे पाटिल को उनके समर्थकों ने पड़ोस के ही एक गांव से वापस अंतरवली सराटी लौटने के लिए मना लिया। माना जा रहा है कि जरांगे के पास सरकार का संदेश पहुंचने के बाद ही उन्होंने सोमवार शाम अपना 17 दिन से चला आ रहा अनशन समाप्त करने की घोषणा की।

पुलिस ने सोमवार सुबह से ही उनके अनशन स्थल के आसपास धारा- 144 लगा दी थी। जिससे स्वयं जरांगे को अपने समर्थकों से घर वापस जाने की अपील करनी पड़ी। अपना अनशन समाप्त करते हुए उन्होंने कहा कि वह अनशन खत्म कर रहे हैं। आंदोलन वापस नहीं ले रहे हैं। उनके समर्थक तीन-चार युवक रोज क्रमिक अनशन करते रहेंगे। साथ ही वह गांव-गांव में घूमकर लोगों को अपना मुद्दा समझाने का प्रयास करेंगे।

प्रेट्र के अनुसार, अधिकारियों ने कहा है कि मराठा आरक्षण आंदोलन के मद्देनजर कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए महाराष्ट्र के जालना, छत्रपति संभाजीनगर और बीड जिलों में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गईं। उन्होंने बताया कि एहतियात के तौर पर इन जिलों की सीमाएं भी सील कर दी गई हैं।

एक अन्य अधिकारी ने बताया कि बीड जिले में बिना अनुमति के आंदोलन करने के आरोप में तीन मामले दर्ज किए गए हैं। राज्य परिवहन की एक बस को नुकसान पहुंचाने के आरोप में दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है। जालना जिले के अंबाद तालुका में कर्फ्यू लगाया गया है।

सरकार मूक दर्शक नहीं रह सकती

बांबे हाई कोर्ट ने सोमवार को कहा कि मराठा आरक्षण से जुड़े विरोध प्रदर्शन के बीच महाराष्ट्र सरकार मूक दर्शक नहीं बनी रह सकती। उसके पास कानून व्यवस्था बनाए रखने की शक्तियां हैं। न्यायमूर्ति एएस गडकरी और न्यायमूर्ति श्याम चांडक की खंडपीठ ने कहा कि सरकार को स्थिति को नियंत्रित करने के लिए अदालत के आदेश की आवश्यकता नहीं है। पीठ मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे द्वारा शुरू किए गए विरोध प्रदर्शन के खिलाफ गुणरतन सदावर्ते द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

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