सिर्फ 3 घंटे में नासिक से पुणे पहुंचा लीवर, बचाई गई मरीज की जान
नासिक और पुणे के बीच एक स्पेशल ग्रीन कॉरिडोर बना 6 घंटे की दूरी को सिर्फ 3 घंटे में तय करते हुए एक 50 साल के मरीज की जिंदगी बचाई गई। यह संभव हुआ है दोनों जिलों की पुलिस की पहल से।
पुणे। नासिक और पुणे के बीच एक स्पेशल ग्रीन कॉरिडोर बना 6 घंटे की दूरी को सिर्फ 3 घंटे में तय करते हुए एक 50 साल के मरीज की जिंदगी बचाई गई। यह कारनामा संभव हुआ है दोनों जिलों की पुलिस की पहल से।
नासिक में भर्ती सुभाष भानुशाली को डॉक्टरों ने ब्रेन डेड घोषित कर दिया था। जिसके बाद उनके परिजनों ने उनके अंगों का दान करने का निर्णय लिया। इस फैसले के बारे में अस्पतालों के बाद प्रादेशिक प्रत्यारोपण समिति को सूचित किया गया। समिति की समन्वयक आरती गोखले के मुताबिक,सोमवार की सुबह ग्रीन कॉरिडोर बनाना तय किया गया और पुलिस को ये जानकारी दी गई।'' नासिक-पुणे महामार्ग पर सभी पुलिस थानों, महामार्ग पुलिस को तैयार रहने को कहा गया और दोपहर करीब साढ़े तीन बजे नासिक एम्बुलेंस ग्रीन कॉरिडोर पर रवाना हुई। एम्बुलेंस समय पर पहुंच सके इसके लिए तमाम तरह के इंतजाम किए गए।
शहर के सभी सिग्नल, चौराहों पर यातायात पुलिस और स्थानीय पुलिस को तैनात किया गया। पुणे के सहयाद्री अस्पताल में शाम साढ़े सात बजे एक मरीज़ का लिवर प्रत्यारोपण हुआ। अस्पताल के यकृत प्रत्यारोपण विशेषज्ञ डॉ. बिपीन विभूते ने बताया कि जिनका लिवर प्रत्यारोपित किया गया वह मरीज़ 50 वर्षीय पुरुष है। इस व्यक्ति को लिवर सिरोसिस था।