महाराष्ट्र में गोरखपुर और फूलपुर का दोहराव नहीं चाहते फडणवीस
महाराष्ट्र में दो लोकसभा सीटों के लिए 28 मई को उपचुनाव होंगे, यहां भाजपा का मुख्य मुकाबला बहुजन विकास आघाड़ी के उम्मीदवार बलिराम जाधव से है।
मुंबई, ओमप्रकाश तिवारी। महाराष्ट्र की दो लोकसभा सीटों के लिए 28 मई को उपचुनाव होने जा रहे हैं। दोनों जगह भाजपा को कड़ी टक्कर का सामना करना पड़ रहा है। मुख्यमंत्री फडणवीस इन दोनों सीटों पर पूरी ताकत लगा रहे हैं। ताकि यहां उत्तर प्रदेश के गोरखपुर एवं फूलपुर जैसी स्थिति दोहराने से बचा जा सके।
मुंबई से सटे पालघर लोकसभा सीट पर वहां के भाजपा सांसद चिंतामणि वनगा के निधन के कारण उपचुनाव हो रहा है, तो विदर्भ के भंडारा-गोंदिया लोकसभा क्षेत्र में भाजपा के ही सांसद नाना पटोले के भाजपा छोड़कर लोकसभा सदस्यता से इस्तीफा देने के कारण उपचुनाव हो रहा है। उम्मीद थी कि पालघर उपचुनाव में भाजपा अपने दिवंगत नेता चिंतामणि वनगा के पुत्र श्रीनिवास वनगा को टिकट देगी। लेकिन भाजपा ने श्रीनिवास के बजाय राजेंद्र गावित को टिकट दिया है। शिवसेना ने इस मौके का फायदा उठाते हुए श्रीनिवास को टिकट दे दिया है। वह वनगा की उपेक्षा का मुद्दा उठाकर श्रीनिवास को सहानुभूति के कारण मिलने वाले मतों पर निर्भर कर रही है। लेकिन इस सीट पर भाजपा का मुख्य मुकाबला एक स्थानीय दल बहुजन विकास आघाड़ी के उम्मीदवार बलिराम जाधव से है।
भंडारा-गोंदिया लोकसभा सीट पर भाजपा ने इस बार हेमंत पटले को टिकट दिया है। उनके विरुद्ध राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने मधुकर कुकड़े को उतारा है। यह सीट राकांपा के दिग्गज नेता प्रफुल पटेल की परंपरागत सीट है। लेकिन 2014 में भाजपा उम्मीदवार नाना पटोले के सामने प्रफुल पटेल को हार का मुंह देखना पड़ा था।
नाना पटोले ने अपना कार्यकाल पूरा होने के पहले ही भाजपा से असंतुष्ट होकर न सिर्फ लोकसभा सदस्यता छोड़ी, बल्कि भाजपा भी छोड़ दी है। इस बार वह स्वयं चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। बल्कि एनसीपी उम्मीदवार कुकड़े को समर्थन देकर उनकी जीत सुनिश्चित करने में लगे हैं। हालांकि इस सीट पर राकांपा नेता प्रफुल पटेल अपनी पत्नी वर्षा को चुनाव लड़वाना चाहते थे। लेकिन पार्टी ने मधुकर कुकड़े को उम्मीदवारी दी, तो अब वह भी कुकड़े को जिताने में लगे हैं।
27 अप्रैल को इन चुनावों की घोषणा होने के बाद से ही विपक्षी दलों ने भाजपा की राह मुश्किल करने की रणनीति बनानी शुरू कर दी थी। हालांकि दो दिन पहले कर्नाटक विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद दोनों लोकसभा क्षेत्रों के भाजपा कार्यकर्ताओं का उत्साह काफी बढ़ा हुआ है। भाजपा की प्रदेश इकाई भी मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के निर्देश पर इन दोनों सीटों पर पूरी ताकत लगा रही है।
फडणवीस किसी कीमत पर इन दोनों लोकसभा सीटों पर उत्तरप्रदेश के फूलपुर एवं गोरखपुर का इतिहास नहीं दोहराने देना चाहते। क्योंकि महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव भी 2019 में ही हैं, और इन नतीजों का असर निकट भविष्य में लोकसभा के साथ-साथ विधानसभा चुनावों पर भी अवश्य पड़ेगा।