150 सुरक्षाकर्मियों की मौत के जिम्मेदार नक्सली पति-पत्नी गिरफ्तार
Naxalite couple arrested.150 सुरक्षाकर्मियों की मौत के जिम्मेदार नक्सली पति और पत्नी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।
राज्य ब्यूरो, मुंबई। महाराष्ट्र पुलिस ने पिछले 20 साल में करीब 150 सुरक्षाकर्मियों की मौत के जिम्मेदार नक्सली पति-पत्नी किरण व नर्मदा को हैदराबाद से गिरफ्तार कर लिया है। पिछले माह एक मई को गढ़चिरौली में 15 पुलिसकर्मियों व उससे पहले नौ अप्रैल को दंतेवाड़ा में भाजपा विधायक की मौत का साजिशकर्ता भी इन्हें माना जा रहा है। इन दोनों पर अलग-अलग 20-20 लाख रुपए का इनाम घोषित था।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, रविवार को 60 वर्षीय कैंसर पीड़ित नर्मदा और उसका पति उस समय पुलिस के फंदे में आ गए, जब वह अपनी दूसरी कीमोथेरेपी के लिए हैदराबाद के एक अस्पताल में थी। गिरफ्तारी के बाद इन दोनों के महाराष्ट्र लाए जाने की पुष्टि अभी नहीं हो सकी है। नर्मदा को अलूरी कृष्णा कुमारी और सुजातक्का आदि नामों से भी जाना जाता है। वह पिछले दस वर्षों से महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जनपद में नक्सली गतिविधियों में मार्गदर्शक की भूमिका निभाती रही है, जबकि उसका पति 57 वर्षीय किरण कुमार उर्फ किरण दादा माओवादी सीपीआई की दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी का सदस्य है। वह मूलतः विजयवाड़ा का रहने वाला है और माओवादियों का मुखपत्र मानी जानेवाली पत्रिका प्रभाकर के प्रकाशन का काम देखता है। इसके अलावा माओवादी गतिविधियों के प्रचार-प्रसार एवं प्रेस से संपर्क रखने का काम भी वही देखता रहा है।
बताया जाता है कि नर्मदा अपनी कैंसर की बीमारी के कारण पिछले कुछ महीनों से गढ़चिरौली की नक्सली गतिविधियों में अधिक सक्रिय नहीं थी। लेकिन एक मई को गढ़चिरौली में कुरखेड़ा के निकट आईईडी विस्फोट करके उड़ाए गए एक वाहन में उसका ही हाथ था। इस विस्फोट में वाहन चालक सहित महाराष्ट्र पुलिस की स्पेशल टीम के 15 जवान भी मारे गए थे। इसके अलावा इसी वर्ष अप्रैल में छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में हुए नक्सली हमले में भी नर्मदा का हाथ बताया जा रहा है। इस हमले में एक भाजपा विधायक की मौत हो गई थी।
पिछले वर्ष गढ़चिरौली की इटापल्ली तहसील में 40 नक्सलियों के मारे जाने की घटना के बाद नर्मदा और किरण दादा की गिरफ्तारी को पुलिस की दूसरी बड़ी सफलता माना जा रहा है। पुलिस सूत्रों के अनुसार, यह जोड़ा लंबे समय से शहरी नक्सलियों व भूमिगत कैडर के बीच कड़ी का काम करता रहा है। शहरी कैडर शीर्ष सीपीआई माओवादी नेतृत्व तक संदेश उसके जरिए ही पहुंचाता था और नीचे के कैडर तक पैसा भी उसके जरिए ही पहुंचता था। उसके संबंध भीमा-कोरेगांव मामले में अब तक गिरफ्तार कई माओवादी नेताओं से भी रहे हैं।
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