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वाट्सएप का इस्तेमाल अब ई-लर्निग में, वीडियो कॉलिंग से करवाई जा रही है पढ़ाई

भिवंडी के एक स्कूल में एक शिक्षक वाट्सएप का इस्तेमाल ई-लर्निग में कर रहे हैं व अन्य शिक्षकों को इसके लिए प्रशिक्षित भी कर रहे हैं।

By BabitaEdited By: Published: Mon, 13 Aug 2018 09:43 AM (IST)Updated: Mon, 13 Aug 2018 09:43 AM (IST)
वाट्सएप का इस्तेमाल अब ई-लर्निग में, वीडियो कॉलिंग से करवाई जा रही है पढ़ाई
वाट्सएप का इस्तेमाल अब ई-लर्निग में, वीडियो कॉलिंग से करवाई जा रही है पढ़ाई

मुंबई, मिड डे। भिवंडी जिला परिषद स्कूल के एक  शिक्षक इन दिनों अनोखे तरीके से स्कूली बच्चों को शिक्षा देने में जुटे हैं। वह वाट्सएप का इस्तेमाल ई-लर्निग में कर रहे हैं। जिला परिषद स्कूल के बच्चों के लिए उन्होंने वाट्सएप वीडियो के माध्यम से मुफ्त क्लास लेना शुरू किया है। वह ई-लाइब्रेरी और प्रमुख पुस्तकों पर आडियो सेशन भी शुरू कर चुके हैं और अपने स्कूली पाठ्यक्रम से हर अध्याय का शिक्षण सत्र भी शुरू करेंगे। इसके लिए वह अन्य शिक्षकों को प्रशिक्षित भी कर रहे हैं।

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अलंकार वारगडे जिला परिषद हाई स्कूल में शिक्षक हैं। वह शिक्षकों को आइटी विषय से संबंधित प्रशिक्षण भी देना शुरू करेंगे। उनका विचार छात्रों को वाट्सएप वीडियो के माध्यम से पढ़ाने और उन्हें शैक्षणिक कार्यो में व्यस्त रखने का है। इस पहल से छात्र खेल-खेल में ज्ञान हासिल करने में समर्थ बनते हैं। यहां तक कि उनके माता-पिता भी उन्हें ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित करेंगे।

इस तरीके से दो उद्देश्यों की पूर्ति होती है। बच्चे न केवल तरोताजा बने रहेंगे, बल्कि ज्ञान भी हासिल करेंगे। उनके माता-पिता को भी लगातार उन्हें पढऩे के लिए जोर नहीं देना पड़ेगा। वारगडे ने कहा कि वे टेलीविजन और कार्टून देखने में समय जाया नहीं करेंगे। 

शिक्षक ने आगे कहा कि अभी तक हमारे पास विभिन्न कहानियों के आडियो हैं। इन कहानियों से भारत का हर आदमी परिचित है। हम माता-पिता और हर कक्षा के छात्रों का समूह तैयार करेंगे और वीडियो से विषय के कठिन अध्याय की व्याख्या की जाएगी। शिक्षक के माध्यम से कक्षा में उन्हें नई तकनीक के साथ कैसे संपर्क साधा जा सकता है, इसका प्रशिक्षण दिया गया है। यह माध्यम शिक्षा को रोचक बनाता है।

पांचवीं की छात्र के पिता ने की सराहना 

पांचवीं कक्षा की एक छात्र के पिता योगेश जोशी ने कहा, अलंकार सर ने सुपर्ब काम किया है। यह केवल हमारे बच्चों के लिए ही नहीं, बल्कि आदिवासी पाड़ा के बच्चों के लिए भी मददगार है। अलंकार सर छोटी कहानियां सुनाते हैं। वह सूचनात्मक होती हैं।

समय पर आने लगे आदिवासी बच्चे 

जोशी ने बताया कि हम आदिवासी पाड़ा गए थे। वहां बच्चे देरी से स्कूल पहुंचते थे। लेकिन जब हमने अलंकार सर का वीडियो दिखाना शुरू किया तो वे समय पर स्कूल आने लगे।


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