इसरो की लीथियम ऑयन बैटरी से दौड़ेंगे वाहन
इस बैटरी का उपयोग वाहनों को चलाने के लिए किया जा सकेगा। ये बैटरियां सौर ऊर्जा से चार्ज की जा सकेंगी।
मुंबई, ओमप्रकाश तिवारी। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) लीथियम ऑयन बैटरी तैयार कर रहा है। इनका उपयोग वाहनों में किया जा सकेगा। जिससे पेट्रोल-डीजल जैसे पारंपरिक ईंधन की खपत में कमी आएगी और प्रदूषण पर नियंत्रण भी किया जा सकेगा।
इसरो के अध्यक्ष डॉ.के.सिवन ने मुंबई में दैनिक जागरण से बात करते हुए कहा कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इन दिनों ह्यमेक इन इंडियाह्ण मुहिम के तहत कई जनोपयोगी अनुसंधान कर रहा है। इनमें से एक है लीथियम ऑयन बैटरी। जल्दी ही तैयार होने वाली इस बैटरी का उपयोग वाहनों को चलाने के लिए किया जा सकेगा। ये बैटरियां सौर ऊर्जा से चार्ज की जा सकेंगी।
सिवन के मुताबिक भारत में अभी विदेशों से आनेवाली जिस लीथियम ऑयन बैटरी की कीमत लगभग 150 अमरीकी डॉलर पड़ती है, इसरो द्वारा तैयार उसी बैटरी का भारत में औद्योगिक उत्पादन होने के बाद यह बैटरी सिर्फ 900 से 1000 रुपए की पड़ेगी। इससे ईंधन का खर्च कम होने के साथ-साथ प्रदूषण पर भी नियंत्रण किया जा सकेगा। बता दें कि भारत के दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और कोलकाता जैसे महानगर प्रदूषण से बुरी तरह जूझ रहे हैं। प्रदूषण कम करने के लिए बैटरीचालित वाहनों का प्रयोग शुरू हुआ है। लेकिन ये बैटरियां एक बार चार्ज होने के बाद अधिक दूरी तय नहीं कर पातीं, साथ ही इनकी भारवहन क्षमता भी कम होती है।
डॉ. सिवन के अनुसार इसरो कई और जनोपयोगी अनुसंधान कर रहा है। प्रधानमंत्री के डिजिटल इंडिया कार्यक्रम को आगे बढ़ाने के लिए उपग्रह से जुड़े हाई बैंडविथ की स्थापना भी इन्हीं में से एक है। ये व्यवस्था संचार क्षेत्र में अत्यंत उपयोगी साबित होगी। अपने अनुसंधानों का लाभ आम जनता तक पहुंचाने के लिए डॉ.सिवन इसरो का निजी क्षेत्र के साथ मजबूत गठबंधन चाहते हैं। ताकि इसरो द्वारा की गई खोज का सस्ता उत्पादन निजी क्षेत्र करे और उसका सीधा लाभ आम जनता को मिले। इसी योजना के तहत कृषि क्षेत्र में इसरो द्वारा कई अनुसंधान किए जा रहे हैं। उनके अनुसार अब तक हम देश में होनेवाली सिर्फ आठ फसलों के बारे में ही सही-सही अनुमान लगा पाते थे। लेकिन जल्दी ही इसरो के उपग्रहों के माध्यम से देश के विभिन्न भागों में पैदा होनेवाली 25 फसलों के बारे में सटीक अनुमान लगाए जा सकेंगे। समुद्र में किस क्षेत्र में और कितनी गहराई पर मछलियां उपलब्ध हैं, यह जानकारी तो अभी से मछुवारों को उपलब्ध होने लगी है।
पिछले वर्ष एक साथ 104 उपग्रह छोड़ने में डॉ.के.सिवन की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही थी। उन्हें रॉकेट मैन के नाम से भी जाना जाता है। इस क्षेत्र में भारत की विश्वसनीयता बताते हुए डॉ.सिवन कहते हैं कि उपग्रह लॉन्च करने की भारत की क्षमता एवं विश्वसनीयता किसी मायने में दुनिया के किसी भी विकसित देश से कम नहीं है। अन्य देशों को यह भरोसा है कि इसरो सही कक्षा में उनका उपग्रह स्थापित करने में सक्षम है। साथ ही भारत से अपने उपग्रह लॉन्च करवाना उन्हें सस्ता भी पड़ता है। यही कारण है कि अब उपग्रह लॉन्च करवाने के लिए भारत अन्य देशों का पसंदीदा स्थान बनता जा रहा है।