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Maharashtra: शिवसेना ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी पर फिर साधा निशाना

Maharashtra बुधवार को प्रकाशित सामना के संपादकीय में लिखा गया है कि सरकार द्वारा बारह नामों की सिफारिश किए जाने को अब आठवां महीना लग गया है। राज्यपाल के निर्णय का पालना निश्चित तौर पर कौन से महीने में हिलने वाला है?

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Wed, 18 Aug 2021 06:46 PM (IST)Updated: Wed, 18 Aug 2021 06:46 PM (IST)
Maharashtra: शिवसेना ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी पर फिर साधा निशाना
शिवसेना ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी पर फिर साधा निशाना। फाइल फोटो

मुंबई, राज्य ब्यूरो। शिवसेना के मुखपत्र सामना के संपादकीय में फिर राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को घेरने की कोशिश की गई है। सामना ने विधान परिषद के लिए 12 सदस्यों की नियुक्ति न किए जाने पर राज्यपाल पर अनेक व्यंग्यात्मक टिप्पणियां की हैं। सामना के कार्यकारी संपादक शिवसेना प्रवक्ता व राज्यसभा सदस्य संजय राउत हैं। बुधवार को प्रकाशित सामना के संपादकीय में लिखा गया है कि सरकार द्वारा बारह नामों की सिफारिश किए जाने को अब आठवां महीना लग गया है। राज्यपाल के निर्णय का पालना निश्चित तौर पर कौन से महीने में हिलने वाला है? यह राजभवन की दाई को एक बार स्पष्ट करना चाहिए। सामना ने इस प्रकरण के लिए राज्यपाल कोश्यारी के साथ-साथ भाजपा को भी जिम्मेदार ठहराते हुए लिखा है कि महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी सर्वत्र उपहास का विषय बन गए हैं। पद का इतना अवमूल्यन व पतन राज्यपाल साहब ने कर दिया है। राजभवन की घटनाओं से अब जनता व सरकार को भी कुछ फर्क नहीं पड़ता। राज्यपाल के अधोपतन के लिए जितना वे खुद जिम्मेदार हैं, उससे ज्यादा राज्य का उनका पितृपक्ष भाजपा जिम्मेदार है।

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गौरतलब है कि कुछ दिनों पहले ही मुंबई उच्च न्यायालय ने भी अपने एक फैसले में कहा है कि निर्णय लेने के लिए आठ महीने लगाना थोड़ा ज्यादा ही हो गया है। संपादकीय के जरिए सवाल किया गया है कि राज्यपाल से मांग करनी है तो निश्चित तौर पर क्या किया जाए? उनके राजभवन में एकत्रित होकर तालियां, थालियां, घंटा बजाकर राज्यपाल का ध्यान इस प्रश्न की ओर आकर्षित किया जाए या और कुछ किया जाए? संपादकीय में यह आरोप भी लगाया गया है कि राज्यपाल ये नियुक्तियां तब तक नहीं करना चाहते, जब तक राज्य में उनकी पसंद की कोई सरकार शपथ न ले ले। गौरतलब है कि प्रदेश में यह मामला काफी दिनों से सुर्खियों में है। इस मामले को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष एक-दूसरे पर हमलावर है।  


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