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महाराष्ट्र के राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी न तो पद छोड़ने जा रहे, न हटाया जा रहा, राजभवन ने किया अफवाहों का खंडन

सत्तारूढ़ भाजपा एवं शिवसेना का एकनाथ शिंदे गुट भी राज्यपाल पर हो रहे विपक्ष के हमलों का खुलकर जवाब नहीं दे रहे हैं। सिर्फ एक बार उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने ही यह कहकर विपक्ष को उत्तर देने की कोशिश की है कि राज्यपाल ने कुछ भी गलत नहीं कहा।

By Jagran NewsEdited By: Vijay KumarPublished: Mon, 28 Nov 2022 07:34 PM (IST)Updated: Mon, 28 Nov 2022 07:34 PM (IST)
महाराष्ट्र के राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी न तो पद छोड़ने जा रहे, न हटाया जा रहा, राजभवन ने किया अफवाहों का खंडन
महाविकास आघाड़ी सरकार चली भी गई, और उसके भेजे नामों पर राज्यपाल ने कोई निर्णय नहीं किया।

मुंबई, राज्य ब्यूरो। महाराष्ट्र के राजभवन ने स्पष्ट कर दिया है कि राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी न तो अपना पद छोड़ने जा रहे हैं, न ही उन्हें उनके पद से हटाया जा रहा है। राजभवन का कहना है कि इस प्रकार की खबरें निराधार हैं। बता दें कि राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी द्वारा छत्रपति शिवाजी महाराज पर दिए गए एक बयान को लेकर विपक्षी दल कांग्रेस, राकांपा और शिवसेना उद्धव बालासाहब ठाकरे लगातार उनकी आलोचना करते आ रहे हैं।

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स्पष्टीकरण आज राजभवन को देना पड़ा

यहां तक कि सत्तारूढ़ भाजपा एवं शिवसेना का एकनाथ शिंदे गुट भी राज्यपाल पर हो रहे विपक्ष के हमलों का खुलकर जवाब नहीं दे रहे हैं। सिर्फ एक बार उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने ही यह कहकर विपक्ष को उत्तर देने की कोशिश की है कि राज्यपाल ने कुछ भी गलत नहीं कहा। सत्तापक्ष की इसी चुप्पी ने राज्यपाल के पद छोड़ने की अफवाहों को जन्म दिया। जिसका स्पष्टीकरण आज राजभवन को देना पड़ा है।

राज्यपाल और सरकार के बीच टकराव

यहां तक कि इस स्पष्टीकरण के बाद भी शिवसेना उद्धव बालासाहब ठाकरे के युवा नेता राज ठाकरे ने पुनः राज्यपाल पर हमला बोलते हुए दबाव बनाने की कोशिश की है। उन्होंने कहा है कि वर्तमान राज्यपाल राज्य एवं महापुरुषों का अपमान करते जा रहे हैं, और सरकार उन्हें हटाने के बजाय चुप्पी साधे बैठी है। बता दें कि 2019 में महाविकास आघाड़ी सरकार बनने के बाद से ही राज्यपाल और सरकार के बीच टकराव शुरू हो गया था।

घेरने का कोई न कोई बहाना ढूंढते रहते हैं

तब अनेक टकराव के अनेक मुद्दों में से एक मुद्दा विधान परिषद की 12 सीटों पर मनोनयन के लिए राज्यपाल द्वारा अनुमति नहीं प्रदान किया जाना भी था। अंततः महाविकास आघाड़ी सरकार चली भी गई, और उसके भेजे नामों पर राज्यपाल ने कोई निर्णय नहीं किया। महाविकास आघाड़ी तभी से राज्यपाल से खार खाए बैठी है, और इसके नेता उन्हें घेरने का कोई न कोई बहाना ढूंढते रहते हैं।


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